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नथुवावाला पेयजल योजना का शिलान्यास

देहरादून। नथुवावाला पेयजल योजना दिसम्बर 2020 तक तैयार हो जाएगी। वर्ष 2050 तक की जरूरतों को ध्यान में रखकर प्लान की गई यह योजना 22 करोड़ 48 लाख रुपये की है, जो विश्व बैंक से पोषित है और अर्द्धनगरीय क्षेत्रों में पेयजल उपलब्ध कराने के लिए है। इसके साथ ही सौंग नदी पर बांध के लिए बजट का प्रावधान किया गया है। सौंग बांध बनने से पूरा क्षेत्र रीचार्ज हो जाएगा।

मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने रविवार को नथुवावाला, देहरादून में 22 करोड़ 48 लाख रुपये की पेयजल योजनाओं का शिलान्यास किया। उन्होंने कहा कि इस पेयजल योजना से क्षेत्र में प्रतिदिन 16 घंटे पेयजल उपलब्ध होगा। इस योजना से पानी 40 फीट की ऊँचाई तक बिना पम्प की सहायता से लिफ्ट हो सकता है।

रावत ने कहा कि पूरे प्रदेश के लिए लगभग एक हजार करोड़ रुपये की अर्द्धनगरीय पेयजल योजना है। दो साल में नथुवावाला, बालावाला, बद्रीपुर, नत्थनपुर, नवादा क्षेत्रों के लिए 60 करोड़ से अधिक की पेयजल योजनाएं शुरू की गईं, जिनमें से 36 करोड़ रुपये की योजनाएं पूर्ण हो चुकी हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पेयजल योजना 2050 तक पानी की आपूर्ति करेगी। सौंग बांध के लिए बजट का प्रावधान किया गया है। सौंग बांध बनने के बाद यह पूरा क्षेत्र रिचार्ज हो जाएगा। सौंग बांध बनने के बाद रिस्पना नदी पर पानी की व्यवस्था की जाएगी। नदियों के पुनर्जीवीकरण के लिए सरकार प्रयास कर रही है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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