मां राजराजेश्वरी ने हैजे से बचाया था यह गांव
गिंवाला गांव में विराजमान हैं मां, नवरात्र में पूरे गांव का भ्रमण करके आशीर्वाद देती हैं
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव
श्रीकेदारनाथ हाईवे पर एक गांव है गिंवाला, जहां पर अधिकतर परिवार अगस्त्यमुनि के पास के ही एक और गांव चमेली से आकर बसे हैं। पहले गिंवाला में चमेली गांव की छानियां होती थीं। सड़क से कुछ ही दूरी पर होने की वजह से गिंवाला ज्यादा सुविधाजनक गांव है।गिंवाला गांव के अंतिम छोर पर सबसे ऊँचाई पर स्थित क्षेत्रपाल देवता के स्थान के पास ही मां राजराजेश्वरी का मंदिर है। मंदिर में नियमित रूप से पूजा अर्चना के लिए गांववालों की ड्यूटी बांधी गई है।
एक लोककथा के अनुसार, मां राजराजेश्वरी ने इस गांव को हैजे की चपेट में आने से बचाया था। रिटायर्ड शिक्षक शिवराज सिंह भंडारी बताते हैं, उन्होंने अपने पूर्वजों ने माता की कथा के बारे में जाना है। बताया जाता है, हरिद्वार से फैले हैजे का प्रकोप उनके गांव पर भी था, क्योंकि यह गांव यात्रा लाइन पर है। यात्रा के दौरान हैजे से उनके गांव गिंवाला के भी बहुत लोग मारे गए थे। सभी गांववाले बहुत दुखी थे।
बताते हैं, गांव के प्रधान श्याम सिंह बिष्ट पर देवी मां अवतरित हुईं। गांववालों को पहली बार पता चला था कि उनके गांव में देवी मां का स्थान है। मां राजराजेश्वरी ने ग्रामीणों से कहा, आज के बाद से तुम्हारे गांव में कोई भी व्यक्ति हैजे से नहीं मरेगा। तुम सब मेरी शरण में हो। भंडारी बताते हैं, माता के आशीर्वाद के बाद से गांव में हैजे से एक भी व्यक्ति की मृत्यु नहीं हुई। माता ने क्षेत्रपाल देवता के स्थान के पास उनके मंदिर की स्थापना करने को कहा। गांववालों ने माता का मंदिर बनाया और प्रतिदिन माता की पूजा अर्चना की जाती है।
ग्रामीण हमें गांव में ही एक स्थान दिखाते हैं, जिसे बारे में बताते हैं कि यह चक्र है, जहां किसी समय में पशु बलि दी जाती थी। अब तो वर्षों से बलिप्रथा बंद है।
भंडारी बताते हैं, नवरात्र के दिनों में उन प्रधान जी के पौत्र पर देवी अवतरित होती हैं और पूरे गांव का भ्रमण करके ग्रामीणों को आशीर्वाद देती हैं और लोगों की समस्याएं भी सुनती हैं। गिंवाला गांव में, जिस स्थान पर मंदिर है, वहां से पूरा गांव, श्रीकेदारनाथ हाईवे और मंदाकिनी नदी दिखाई देते हैं।
“गांव में मकान बनाने के लिए जब भी बुनियाद खोदी गई थीं, तभी मिट्टी से कोयला निकला। इससे यह अंदाजा लगाया जाता है कि वर्षों पहले इस गांव में आग लगी होगी। उसका कोयला ही मिट्टी में दबा है,” सेवानिवृत्त शिक्षक शिवराज सिंह भंडारी बताते हैं।