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हिमालय क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हो रहा पौधों का जीवन चक्र

इंडिया साइंस वायर
पेड़-पौधों के जीवन-चक्र पर जलवायु परिवर्तन का व्यापक असर पड़ रहा है। पता चला है कि जलवायु परिवर्तन, हिमालय क्षेत्र के पेड़-पौधों पर फूल और फल आने के चक्र को भी प्रभावित कर रहा है। ऊपरी हिमालय क्षेत्र में पेड़-पौधों पर जलवायु परिवर्तन एवं मौसमी घटनाओं के प्रभाव के आकलन के लिए किए गए नये अध्ययन में यह खुलासा हुआ है।
इस अध्ययन में कुछ स्थानीय वनस्पतियों में सामान्य से तीन-चार महीने पहले फूल और फल आने की घटनाएं देखी गई हैं। उत्तराखंड वन विभाग द्वारा राज्य के पिथौरागढ़ जिले के सीमांत क्षेत्र मुनस्यारी में किए गए इस अध्ययन में चार स्थानीय पौधों के जीवन-चक्र में इस तरह के बदलाव दर्ज किए गए हैं।

जिन चार वनस्पतियों के पुष्पन एवं फलन पर ये बदलाव देखे गए हैं, उनमें सुन्दर फूलों वाला उत्तराखंड का राज्य वृक्ष बुरांस (रोडोडेंड्रॉन), काफल (मिरिका एस्कुलेंटा),हिसालू (रूबस इलिप्टिकस) और हिमालयन चेरी (प्रुनस सेरासोइड्स) शामिल हैं।

शोधकर्ताओं का कहना है कि पेड़-पौधों की इन प्रजातियों में फूल और फल आने का सामान्य समय बसंत या ग्रीष्म ऋतु होती है। लेकिन, इस वर्ष इन पेड़-पौधों में फूल एवं फल आने की प्रक्रिया जनवरी के अंत में देखी गई है।

रोडोडेंड्रोन, जिसे स्थानीय तौर पर बुरांस कहते हैं, में फूल आमतौर पर मार्च से मई के महीनों में लगते हैं। पर, इस अध्ययन के दौरान बुरांस में जनवरी में ही फूल खिलते देखे गए हैं। इसी तरह, अप्रैल से जून के अंत तक लगने वाले काफल जनवरी के महीने में ही लग गए हैं।

चीफ कन्जर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट्स (रिसर्च) संजीव चतुर्वेदी ने पौधों में समय से पहले फूल और फल आने के पीछे जलवायु परिवर्तन को जिम्मेदार बताया है। उन्होंने कहा कि पेड़-पौधों पर फूल और फल आने के चक्र में बदलाव ऊपरी हिमालयी क्षेत्र के गर्म होने के कारण हो रहा है ।

मुनस्यारी अपनी बर्फीली सर्दियों के लिए जाना जाता है। इसीलिए, इन परिवर्तनों को जलवायु परिवर्तन के संकेतक के रूप में देखा जा रहा है। अध्ययनकर्ताओं का कहना यह भी है कि हम पिछले कई वर्षों से सर्वेक्षण में इन पौधों में फूल और फल आने के चक्र में परिवर्तन देख रहे थे। लेकिन, इस बार यह अंतर अधिक स्पष्ट दिखाई पड़ रहा है।- (यह लेख इंडिया साइंस वायर से लिया गया है।)

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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