Uncategorized

फेसबुक ने पेश किया वीआर हेडसेट ‘ओकुलस गो’

सैन फ्रांसिस्को। फेसबुक ने एक नए वर्चुअल रियलटी हेडसेट ‘ओकुलस गो’ वीआर हेडसेट को 199 डॉलर की शुरुआती कीमत पर लॉन्च करने की घोषणा की है। फेसबुक के सीईओ मार्क जुकरबर्ग ने एक ब्लॉग पोस्ट में लिखा, ओकुलस गो हमारा पहला स्टैंडअलोन उत्पाद है, जो वीआर में जाने का सबसे आसान तरीका है।

मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि ओकुलस गो अगले साल 199 डॉलर में बिक्री के लिए उपलब्ध होगा। कंपनी ने दावा किया है कि वीआर में फिल्में और कॉन्सर्ट देखना, गेम खेलना और अपने दोस्तों के साथ मस्ती करना अपने आप में अद्भुत होगा। फेसबुक के सीईओ ने कैलिफोर्निया के सैन होजे में कंपनी के वार्षिक ‘ओक्लुस कनेक्ट’ सम्मेलन में कहा कि यह ‘सबसे अधिक पहुंच योग्य वीआर हेडसेट’ है और इसके 2018 में किसी भी वक्त लॉन्च होने की संभावना है। जुकरबर्ग भी चाहते हैं कि एक अरब लोग वीआर में शामिल हों।

फेसबुक के उपकरण वीआर के उपाध्यक्ष ह्यूगो बर्रा के अनुसार डेवलपर्स के लिए वीआर में शामिल होने के लिए सबसे आसान तरीका आ गया है। इस हेडसेट में दृश्य स्पष्टता के लिए उच्च-रिजॉल्यूशन फास्ट-स्विच एलसीडी स्क्रीन है जो ‘स्क्रीन डोर प्रभाव’ (एसडीई) को कम करने में सहायता करती है। कम चमक के साथ एक विस्तृत क्षेत्र को देखने के लिए अगली पीढ़ी के लेंस हैं। ‘

ओकुलस गो’ के पास हेडसेट पर कैमरे हैं और यह डिवाइस ऑरियनटेशनेल ट्रैकिंग का पता लगाने के लिए कंप्यूटर दृष्टि तकनीक का उपयोग करता है। हेडसेट में स्पीकर लगाए गए हैं, जिसे उपयोगकर्ता सीधे वीआर में ले जा सकते हैं और हेडसेट को किसी और के साथ साझा करने के लिए आसान बना सकते हैं। व्यक्तिगत उपयोग के लिए 3.5 मिमी मानक हेड फोन जैक भी दिया गया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button