उत्तराखंड चुनावः इस सीट पर 195 वोटों से हार का बदला और कब्जा बररकार रखने की चुनौती
चार बार के विधायक चीमा के बेटे को भाजपा और पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे को कांग्रेस ने दिया टिकट
देहरादून। राजनीति के दिग्गज स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी की कर्मभूमि रही काशीपुर में बीस साल बाद चुनाव बेहद दिलचस्प होगा। भाजपा ने यहां 20 साल से काबिज हरभजन सिंह चीमा के बेटे त्रिलोक और कांग्रेस ने यहां से 20 साल पहले चुनाव हारे केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चंद सिंह को मैदान में उतारा है। अब देखना है कि क्या भाजपा प्रत्याशी इस सीट पर अपना कब्जा बरकरार रख पाते हैं या फिर कांग्रेस प्रत्याशी महज 195 वोटों से पिता की चुनावी हार का बदला ले पाते हैं। इस सीट पर आम आदमी पार्टी (आप) के प्रत्याशी दीपक बाली और बसपा के गगन कांबोज भी मैदान में हैं। मतदाताओं का निर्णय किसके पक्ष में रहेगा, यह तो दस मार्च को ही पता चलेगा।
उत्तर प्रदेश के समय में 1957 में अस्तित्व में आई काशीपुर सीट पर सबसे पहले विधायक कांग्रेस के लक्ष्मण दत्त थे। यहां से 1962 में कांग्रेस प्रत्याशी देवीदत्त निर्वाचित हुए। 1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रामदत्त ने कांग्रेस प्रत्याशी नारायण दत्त तिवारी को हराया। 1969 में कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी ने प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के रामदत्त जोशी को हराया। 1974 में नारायण दत्त ने कांग्रेस के टिकट पर निकटतम प्रतिद्वंद्वी भारतीय क्रांति दल के गणपत सिंह को 25,808 वोटों से हराया।
1977 में नारायण दत्त तिवारी ने जनता पार्टी की लहर के बाद भी काशीपुर सीट पर विजय हासिल की। उन्होंने जनता पार्टी के गोविंद सिंह को हराया। 1980 में कांग्रेस (आई) के टिकट पर सतेंद्र चंद्र गुड़िया यहां से विधायक बने। 1985 में नारायण दत्त तिवारी ने लोकदल के अनवर अहमद को हराया। तिवारी को कुल मतदान के 70.17 फीसदी मत हासिल हुए। 1989 में निर्दलीय करन चंद्र सिंह विधायक चुने गए। 1991 और 1992 के चुनाव में भाजपा के राजीव कुमार निर्वाचित हुए। इन दोनों चुनावों में केसी सिंह निकटतम प्रतिद्वंद्वी रहे।
1996 में केसी सिंह बाबा ऑल इंडिया इंदिरा कांग्रेस (तिवारी) के टिकट पर विधायक बने। केसी सिंह ने 56,998 वोट हासिल किए थे। उन्होंने भाजपा के राजीव कुमार को हराया था। राजीव कुमार को 54,340 वोट मिले थे। बसपा के हरभजन सिंह तीसरे स्थान पर थे।
राज्य गठन के बाद हुए चार चुनावों में यहां से भाजपा प्रत्याशी हरभजन सिंह चीमा ही विजयी रहे। 2002 के चुनाव में उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी केसी सिंह बाबा को 195 वोट से हराया था। चीमा को 18396 और केसी सिंह को 18201 वोट मिले थे। इस चुनाव के बाद बाबा ने इस सीट पर चुनाव नहीं लड़ा। अकाली दल के कोटे से भाजपा के टिकट पर हरभजन सिंह चीमा ने 2007 में सपा के मोहम्मद जुबेर को हराया। 2012 औऱ 2017 में उन्होंने कांग्रेस के मनोज जोशी को पराजित किया। चीमा चार बार के विधायक हैं और इस बार 2022 में भाजपा ने उनके बेटे त्रिलोक सिंह चीमा को मैदान में उतारा है।
वहीं, काशीपुर में कांग्रेस ने पूर्व सांसद केसी सिंह बाबा के बेटे नरेंद्र चंद्र सिंह को प्रत्याशी बनाया। राजनीति के दिग्गजों के पुत्रों के बीच चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। इन दोनों के बीच आप नेता दीपक बाली इन दोनों को टक्कर देने के लिए जुटे हैं। वहीं, बसपा ने गगन कांबोज को प्रत्याशी बनाया है।