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कोरोना पर वारः मुख्यमंत्री ने मंत्रियों, राज्य मंत्रियों को सौंपी जिलों की कमान

मुख्यमंत्री ने विधानसभा अध्यक्ष और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक में की स्थिति की समीक्षा

देहरादून। कोरोना वायरस की रोकथाम, प्रभावी नियंत्रण एवं अनुश्रवण के लिए राज्य के मंत्रियों व राज्यमंत्रियों को जनपदों का प्रभारी नियुक्त किया गया है। वहीं मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद्र अग्रवाल, सहकारिता व उच्च शिक्षा राज्य मंत्री डॉ. धनसिंह रावत व अन्य जनप्रतिनिधियों ने राज्य में कोरोना वायरस के संक्रमण की वर्तमान स्थिति और प्रदेशवासियों को इसके प्रभाव से बचाने के लिए उठाए गए कदमों पर विचार विमर्श किया।

मुख्यमंत्री ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम और समीक्षा के लिए  कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज को हरिद्वार, सुबोध उनियाल को टिहरी व उत्तरकाशी, डॉ हरक सिंह रावत को पौड़ी, अरविन्द पाण्डेय को चम्पावत व पिथौरागढ़, यशपाल आर्य को अल्मोड़ा व नैनीताल एवं मदन कौशिक को देहरादून व उधमसिंह नगर, राज्यमंत्री डॉ. धनसिंह रावत को रुद्रप्रयाग व चमोली तथा रेखा आर्या को बागेश्वर का प्रभारी नियुक्त किया गया है।

उधर, मुख्यमंत्री आवास में हुई बैठक में मुख्यमंत्री रावत ने कहा कि स्थिति का लगातार जायजा लिया जा रहा है और हर आवश्यक उपाय किया जा रहा है। अभी उत्तराखंड स्टेज वन में ही है फिर भी हर तरह की सावधानी बरती जा रही है। आगे के लिए किसी भी स्थिति के लिए पूरी योजना तैयार है।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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