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उत्तरकाशी के आपदाग्रस्त मांडो व कंकराड़ी गांवों में पहुंचे मुख्यमंत्री धामी

उत्तरकाशी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी बुधवार को उत्तरकाशी जिले के आपदा प्रभावित मांडो व कंकराड़ी गांव पहुंचे। मुख्यमंत्री ने आपदा से नुकसान की जानकारी ली और प्रभावितों से बात की। उन्होंने आपदा प्रभावितों को हरसंभव मदद का भरोसा दिया।

मुख्यमंत्री धामी ने ग्रामीणों की मांग पर जिलाधिकारी को मांडो गांव के विस्थापन की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश दिए। जल्द ही भू-वैज्ञानिक सर्वे कराने और विस्थापन की कार्रवाई के निर्देश दिए।

आपदा में मृतक के पति देवानन्द भट्ट सर्प जोगत गांव में बेसिक स्कूल में अध्यापक हैं। उनकी माता अनपूर्णा देवी ने उनका स्थानान्तरण जिला मुख्यालय के नजदीकी स्कूल में करने की मांग की। सीएम ने तत्काल उनका स्थानांतरण जिला मुख्यालय में करने के निर्देश डीएम को दिए।

मांडो गांव के बाद मुख्यमंत्री कंकराड़ी गांव पहुंचे। जहां उन्होंने मृतक सुमन के परिजनों से मुलाकात करके हरसंभव मदद का भरोसा दिया।

मुख्यमंत्री ने आपदा पीड़ितों को आपदा राहत की मद से चार लाख रुपये तथा एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से देने की घोषणा की।

मुख्यमंत्री ने प्रभावित गांवों के विस्थापन, क्षतिग्रस्त पुलों व आन्तरिक मार्गों के शीघ्र निर्माण के निर्देश जिलाधिकारी को दिए। इस दौरान जिला प्रभारी मंत्री गणेश जोशी, प्रभारी सचिव मुख्यमंत्री एसएन पांडे, जिलाधिकारी मयूर दीक्षित, एसपी मणिकांत मिश्रा, सीडीओ गौरव कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष रमेश चौहान, ब्लाक प्रमुख शैलेंद्र कोहली आदि उपस्थित रहे।

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Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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