संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंतोनियो गुटेरेश ने 11 फ़रवरी, को ‘विज्ञान में महिलाओं व लड़कियों के अंतर्राष्ट्रीय दिवस’ पर विज्ञान और प्रौद्योगिकी में, लैंगिक समानता को आगे बढ़ाने की पुकार लगाई है। एक सन्देश में उन्होंने कहा, “विज्ञान और टेक्नॉलॉजी में लैंगिक समानता को बढ़ावा देना, एक बेहतर भविष्य के निर्माण के लिये बेहद ज़रूरी है।
कोविड-19 के ख़िलाफ़ लड़ाई में हमने इसे एक बार फिर देखा है। महिलाएँ, जो कि कुल स्वास्थ्यकर्मियों की लगभग 70 प्रतिशत हैं, वो महामारी से सबसे अधिक प्रभावित होने वालों में शामिल हैं और इस महामारी का मुक़ाबला करने के प्रयासों की अगुवाई करने वालों में भी। बीते वर्ष के दौरान, लैंगिक असमानताएँ बहुत ज़्यादा बढ़ी हैं, क्योंकि स्कूल बन्द होने और घरों से ही कामकाज किये जाने का सबसे ज़्यादा असर महिलाओं पर ही पड़ा है।
Women…
🔬laid the foundation to our DNA
🔭helped us to better understand the universe
🎆broke the sound barrier & gender barriers along the way11 February is #WomenInScience Day!
Join us as we celebrate pioneering women who dared to discover! https://t.co/YM7SOljRfK pic.twitter.com/XiO2hMpgg2
— UNESCO 🏛️ #Education #Sciences #Culture 🇺🇳😷 (@UNESCO) February 10, 2021
महासचिव गुटेरेश ने संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवँ सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) का उल्लेख करते हुए कहा कि विश्व में, शोधकर्ताओं में, महिलाओं की संख्या केवल एक तिहाई है, और शीर्ष विश्वविद्यालयों में, वरिष्ठ पदों पर, महिलाएँ, पुरुषों की तुलना में, बहुत कम संख्या में हैं। इस असमानता के कारण, उनके कार्यों की प्रकाशन दर कम रही है, महिलाओं का कार्य कम नज़र आया है, उन्हें कम पहचान मिली है, और धन भी कम मिला है।
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीनों से सीखने में भी ये पूर्वाग्रह नज़र आते हैं। उन्होंने ज़ोर देकर कहा कि महिलाओं और लड़कियों का विज्ञान से नाता है।
यूएन प्रमुख ने आगाह किया कि दकियानूसी सोच ने, महिलाओं और लड़कियों को विज्ञान से सम्बन्धित क्षेत्रों से दूर कर दिया है। विज्ञान, टेक्नॉलॉजी, इंजीनियरिंग और गणित (एसटीएएम) क्षेत्रों में, महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने से, पुरुषों की तुलना में, महिलाओं को मिलने वाले वेतन व आमदनी में अन्तर को ख़त्म किया जा सकता है, और अगले 10 वर्षों में, महिलाओं की आमदनी 299 अरब डॉलर तक बढ़ाई जा सकती है।
यूनेस्को के मुताबिक टेक्नॉलॉजी से जुड़े बहुत से क्षेत्रों में ज़रूरी कौशल का अभाव है। इसके बावजूद केवल 28 प्रतिशत महिलाएँ ही इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट हैं, जबकि कम्प्यूटर विज्ञान और इन्फॉर्मेटिक्स में 40 प्रतिशत ग्रेजुएट महिलाएँ हैं।
यूनेस्को की प्रमुख ऑड्रे अज़ूले ने अपने सन्देश में कहा कि कृत्रिम बुद्धिमता की समाज में भूमिका बढ़ रही है, लेकिन इस क्षेत्र में शोध एवं विकास में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम है, जिसका सीधा नतीजा ये होगा कि उनकी ज़रूरतों और परिप्रेक्ष्यों को नज़रअन्दाज़ कर दिया जाएगा, विशेष रूप से दैनिक जीवन की ज़रूरतों से सम्बन्धित उत्पादों, जैसे कि स्मार्टफ़ोन एप्स को तैयार करते समय।
यूनेस्को ने आगाह किया है कि महिलाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाए जाने की आवश्यकता है, ताकि पारम्परिक लैंगिक पूर्वाग्रहों को, विश्व अर्थव्यवस्था के अगले दौर में, पनपने से रोका जा सके।
साभार- संयुक्त राष्ट्र समाचार