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कोरोना योद्धा: नवजात सुखदीप सिंह ने कोरोना से जीत ली जंग

जालंधर। वह केवल 20 दिन का ही था, जब वह कोरोना पॉजिटिव पाया गया और उसे कोरोना योद्धा बनने में दस दिन लगे। उसके माता-पिता की प्रार्थनाओं तथा डॉक्टर की नि:स्वार्थ सेवा एवं विशेषज्ञता तथा नर्सिंग स्टाफ की देखभाल ने उसे इस घातक वायरस के चंगुल से बचा लिया।
आरटी-पीसीआर सहित सभी मेडिकल जांचों से गुजरने के बाद जालंधर के पंजाब इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (पीआईएमएस) से नवजात सुखदीप सिंह डिस्चार्ज हुआ। वह शायद राज्य का सबसे छोटा विजेता है, जिसने कोरोना को हरा दिया।
उसके माता-पिता दोनों ही कोविड नैगेटिव थे। उसके पिता गुरदीप सिंह ने कहा, ‘हमें यह जानकर धक्का लगा कि हमारा बच्चा कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। कपूरथला के रहने वाले एक साधारण पृष्ठभूमि के गुरदीप सिंह ने कहा कि भगवान ने हमारी प्रार्थना सुन ली और हमारा बच्चा अस्पताल द्वारा उपलब्ध कराई गई देखभाल तथा चिकित्सा सेवाओं की बदौलत स्वस्थ हो गया है।
मां संदीप कौर की खुशियों का कोई ठिकाना नहीं रहा, जब उन्होने चमक भरी आंखों के साथ अपने बच्चे को गोद में लिया।
दादी कुलविंदर कौर बेहद खुश हैं। उन्होंने कहा, ‘वाहेगुरु दी मेहर हुई, जो मेरा पोता ठीक होके घर वापस आ गया। ‘डॉक्टरां ने उसका बहुत ख्याल रखा।‘

नवजात की देखभाल करने वाला नर्सिंग स्टाफ भी बहुत खुश है। टीम में शामिल नर्स रुबी ने कहा, ‘ हमने बच्चे की बेहद सावधानी के साथ देखभाल की। ऐसे नवजात को कष्ट से गुजरते देखना मुश्किल था।’ उन्होंने कहा कि  मां को बच्चे को दूध पिलाने की अनुमति नहीं थी, इसलिए उसे चम्मच से दूध पिलाया गया।
पीआईएमएस में बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. जतिन्दर सिंह, जिनकी देखभाल में वह बच्चा स्वस्थ हुआ, ने कहा कि बच्चे को काफी बुखार और सीजर्स (दौरे) के साथ भर्ती किया गया था।

उसका मामला हमारे लिए बहुत चुनौतीपूर्ण था। इससे भी अधिक चुनौतीपूर्ण उसके माता-पिता को समझाना था। लेकिन उन्होंने मामले की गंभीरता समझी और बच्चे के उपचार में पूरा सहयोग दिया।
डॉ. सिंह ने सावधान किया कि ‘वायरस के इस दूसरे चरण में, सभी को सुरक्षित रहने की जरूरत है और खुद को तथा समाज को बचाने के लिए सरकार के सभी निर्देशों का पालन करना अनिवार्य है।’ साभारः पीआईबी

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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