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तनाव से दूर रहना चाहते हैं तो जरूर पढ़िये

एक प्रोफेसर अपने छात्रों को अभिनव प्रयोगों के माध्यम से जीवन के महत्वपूर्ण सूत्रों को समझाने के लिए प्रसिद्ध थीं। इसलिए उनकी क्लास में छात्र-छात्राएं काफी रूचि लेते थे। एक दिन प्रोफेसर अपने साथ कांच का एक बड़ा गिलास लेकर आईं। छात्रों में यह जानने को उत्सुकता थी कि प्रोफेसर आज क्या नया बताने वाली हैं। 
प्रोफेसर ने अपने टेबल पर रखे जग से इस गिलास को आधा भर दिया। इस पर स्टूडेंट्स ने समझा कि प्रोफेसर शायद पूछेंगी कि यह गिलास आधा भरा है या आधा खाली है। दूसरा सवाल यह हो सकता है कि इस गिलास की लंबाई कितनी है या फिर यह कितने वजन का हो सकता है। हर सुबह आपके सामने ये दो विकल्प
प्रोफेसर ने स्टूडेंट्स से गिलास के बारे में राय जानी। इस पर किसी स्टूडेंट ने कहा, यह गिलास आधा किलो वजन का है। यह आधा भरा है। किसी ने कहा, यह 600 ग्राम का है और आधा खाली है। जब सभी छात्र-छात्राओं ने अपनी अपनी राय पेश कर दी, तो प्रोफेसर ने उनको समझाया। कहानी बताएगी, बोलने से पहले समझना क्यों है जरूरी
प्रोफेसर ने कहा, गिलास आधा भरा या है आधा खाली है। या यह कितने भी वजन का है, इससे आपकी सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता। आपकी सेहत पर अगर कोई फर्क पड़ता है तो वह इस बात से कि आप इस गिलास को कितने समय के लिए उठा सकते हैं। यदि आप इसको एक मिनट के लिए उठाए रखेंगे तो कोई फर्क नहीं पड़ेगा। खुद में बदलाव चाहते हैं तो जरूर पढ़ें ये दस बातें
प्रोफेसर ने छात्रों से कहा, यदि आप इस गिलास को आधा घंटे के लिए उठाए रखेंगे तो आपके हाथ में दर्द हो सकता है। यदि इसे एक घंटे तक उठाए रखेंगे तो दर्द थोड़ा बढ़ सकता है और नसों में थोड़ा खिंचाव महसूस करेंगे। अगर इसको पूरे दिन उठाए रखेंगे तो हो सकता है, आपका हाथ काम करना बंद कर दें या फिर पैरालाइसिस हो जाए। 
प्रोफेसर ने कहा, इस गिलास की तरह हमारी चिंताएं औऱ समस्याएं भी हैं। यदि हम अपनी चिंता के वजन को ज्यादा समय के लिए मन से लगाकर बैठे रहेंगे तो शारीरिक और मानसिक रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है। समस्याओं पर चिंतन करने से कुछ नहीं होगा। उसके समाधान की दिशा में काम करें तो ज्यादा बेहतर होगा। यह बात अच्छी तरह जान लीजिए कि कोई भी ऐसी समस्या नहीं है, जिसका समाधान नहीं हो सकता। जिस समस्या का आप अपने स्तर से समाधान कर सकते हैं, उस पर काम कीजिए। जिसका समाधान आपके बस में नहीं है तो उसकी चिंता छोड़ दें। क्योंकि चिंता करके कोई लाभ नहीं होने वाला।  एक ही जोक पर बार-बार नहीं हंस सकते तो…

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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