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जनरल रावत एक असाधारण सेनानायक थे : राष्ट्रपति

देहरादून। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि जनरल बिपिन रावत एक असाधारण सेनानायक थे, और उनकी मृत्यु एक ऐसा शून्य पैदा करती है, जिसे भरा नहीं जा सकता। राष्ट्रपति आज (11 दिसम्बर, 2021 को) देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड की समीक्षा के अवसर पर संबोधित कर रहे थे।

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राष्ट्रपति ने कहा कि हम आज यहां एकत्र हुए हैं जब देश को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के असामयिक निधन के सदमे से बाहर आना बाकी है। उत्तराखंड उनका घर था और उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षित किया गया था।

भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में उन्हें उनके असाधारण कौशल के लिए स्वॉर्ड ऑफ़ ऑनर से सम्मानित किया गया था। यदि यह दारुण त्रासदी न हुई होती तो वे कैडेटों के लिए खुशी और गर्व के साथ पासिंग आउट परेड को देखते हुए आज यहां हमारे बीच होते।

राष्ट्रपति ने कहा कि जनरल रावत ने उस भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) का गौरव बढ़ाया है, जो एक प्रेरक परंपरा को आगे बढ़ाने वाली संस्था है। उनसे पहले फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा, फील्ड मार्शल सैम मानेकशॉ और कई अन्य असाधारण योद्धाओं और रणनीतिकारों ने यहां युवा कैडेटों के रूप में अपनी सेवा यात्रा शुरू की।

उनमें से कुछ ने हमारे देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राणों की आहुति भी दी। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि शीघ्र ही पराक्रम और बुद्धिमत्ता वाले अपने विशिष्ट जीवन की यात्रा पर निकलने वाले जेंटलमैन कैडेट आने वाले समय में इस अकादमी की समृद्ध विरासत को आगे बढ़ाएंगे।

आईएमए में सफलतापूर्वक अपना प्रशिक्षण पूरा करने पर कैडेटों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि सैनिकों और सैन्य बलों नायकों के रूप में उनकी सेवा और समर्पण एक शांतिपूर्ण, स्वतंत्र और लोकतांत्रिक भारत की शक्ति को और बढ़ाएगा।

उन्होंने आग्रह किया कि इस अवसर पर, हमें अकादमी के कई उत्कृष्ट पूर्व छात्रों में से एक, जनरल बिपिन रावत द्वारा अर्जित प्रतिष्ठित स्थान को याद करना चाहिए, जो अपनी कड़ी मेहनत से भविष्य की पीढ़ियों  के लिए सैनिक आचरण के आदर्श के रूप में उभरे थे।

राष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि हमारा झंडा हमेशा ऊंचा लहराएगा, क्योंकि यहां उपस्थित जेंटलमैन कैडेट जैसे वीर एवं पराक्रमी पुरुष इसके सम्मान को अक्षुण्ण रखते हुए इसकी रक्षा करेंगे।

पासिंग आउट परेड में अफगानिस्तान, भूटान, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, श्रीलंका, ताजिकिस्तान, तंजानिया, तुर्कमेनिस्तान और वियतनाम के मित्र देशों के जेंटलमैन कैडेटों को देखकर राष्ट्रपति प्रसन्न दिखे।

उन्होंने कहा कि हम अपने मित्र राष्ट्रों के बीच विशेष बंधन को संजो कर रखते हैं, और यह भारत के लिए बहुत गर्व की बात है कि मित्र देशों के ऐसे अच्छे अधिकारी और जेंटलमैन आज यहां से स्नातक हो रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये सभी भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में मिले प्रशिक्षण के दौरान अपने सहयोगियों और प्रशिक्षकों के साथ बने मित्रता के अनूठे बंधन को भविष्य में भी बनाए रखेंगे।-PIB

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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