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ICAR-IISWC VKSA-2025 Workshop: अनुभवों को साझा करने के साथ रिसर्च के मुद्दों व रणनीतियों पर चर्चा

ICAR-IISWC VKSA-2025 Workshop: देहरादून, 20 जून,2025: आईसीएआर–भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (ICAR-IISWC), देहरादून ने 20 जून 2025 को विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)-2025 पर एक अनुभव साझा कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला में 29 मई से 12 जून 2025 के दौरान की गई गतिविधियों की समीक्षा की गई। यह कार्यशाला संस्थान के आठ क्षेत्रीय केंद्रों—आगरा, बल्लारी, चंडीगढ़, दतिया, कोरापुट, कोटा, उदगमंडलम और वसाड—तथा मुख्यालय देहरादून से आए वैज्ञानिकों, फील्ड समन्वयकों और अनुसंधान टीमों के लिए एक महत्वपूर्ण मंच रही, जिसमें VKSA पहल के क्रियान्वयन की समीक्षा की गई और अनुसंधान योग्य मुद्दों तथा भविष्य की रणनीतियों की पहचान की गई।

ICAR-IISWC VKSA-2025 Workshop का उद्घाटन करते हुए संस्थान के निदेशक डॉ एम. मधु ने कहा कि VKSA पहल ने विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में किसान समुदायों के साथ संस्थान की भागीदारी को मजबूत करने का एक उल्लेखनीय अवसर प्रदान किया है। उन्होंने जमीनी अनुभवों को अनुसंधान योग्य सुझावों और नीतिगत इनपुट्स में रूपांतरित करने की आवश्यकता पर बल दिया। आईसीएआर-आईआईएसडब्ल्यूसी में VKSA के समन्वयक, डॉ. बांके बिहारी ने सभी प्रतिभागियों का स्वागत किया और कार्यशाला के एजेंडे को प्रस्तुत करते हुए विचार-विमर्श की दिशा तय की।

कार्यशाला के उद्देश्य और महत्व

कार्यशाला समन्वयक और प्रधान वैज्ञानिक, डॉ एम. मुरुगानंदम ने बताया कि यह कार्यशाला विभिन्न केंद्रों के अनुभवों को समन्वित करने, कार्यान्वयन रणनीतियों को परिष्कृत करने और भविष्य की पहलों के लिए नवाचारों की खोज करने हेतु एक प्रमुख अवसर सिद्ध हुई है। उन्होंने नीतियों के निर्माण, क्षमतावर्धन और किसान-केंद्रित कृषि परिवर्तन को बढ़ावा देने में साझा अनुभवों के आदान-प्रदान की महत्ता को भी रेखांकित किया।

विकसित कृषि संकल्प अभियान (VKSA)-2025: एक अवलोकन

VKSA-2025, भारत सरकार की एक प्रमुख राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य स्थानीय रूप से उपयुक्त और सहभागी दृष्टिकोणों के माध्यम से सतत कृषि विकास को बढ़ावा देना है। VKSA के उद्देश्यों के अनुरूप, ICAR-IISWC अपने सभी क्षेत्रीय केंद्रों के माध्यम से विभिन्न पहलों को क्रियान्वित कर रहा है, जिनमें मृदा एवं जल संरक्षण, खरीफ फसलों के लिए टिकाऊ प्रथाओं का प्रचार-प्रसार, आजीविका संवर्धन और विशेष रूप से छोटे एवं सीमांत किसानों के बीच महिला सशक्तिकरण शामिल हैं।

अनुभव साझाकरण और प्रमुख निष्कर्ष

कार्यशाला के दौरान, केंद्राध्यक्षों, फील्ड टीमों और नोडल अधिकारियों ने VKSA क्रियान्वयन के अपने अनुभव, सफल कहानियाँ, फील्ड स्तर के नवाचार और सामने आई चुनौतियाँ साझा कीं। उनके अनुभवों से विभिन्न कृषि-जलवायु स्थितियों में अपनाई गई विविध रणनीतियों का पता चला, जैसे एकीकृत खेती प्रणालियों का प्रचार, स्थान-विशिष्ट प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन उपाय और उन्नत कृषि तकनीकों के प्रसार की रणनीतियाँ। इन विचार-विमर्शों से भविष्य की पहलों का मार्गदर्शन करने वाले नीतिगत दिशा-निर्देशों और अनुसंधान प्राथमिकताओं की भी पहचान की गई।

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प्रमुख नीतिगत विषय और अनुसंधान प्राथमिकताएं

प्रमुख नीतिगत विषयों में केंद्रीय तकनीकी डेटाबेस का विकास और साझा करना, वैज्ञानिकों और किसानों के बीच नियमित संवाद के माध्यम से समुदाय आधारित विस्तार तंत्र को मजबूत करना, कृषि में मानव-वन्यजीव संघर्ष की बढ़ती समस्या का समाधान करना, कृषि इनपुट की गुणवत्ता और वितरण को नियंत्रित करना, समय पर सलाह देने के लिए क्षेत्रीय कृषि कॉल सेंटरों की स्थापना, इनपुट वितरण प्रणाली को लक्ष्य-आधारित न बनाकर आवश्यकता-आधारित बनाए रखना, कृषि उत्पादों के लिए मूल्य संवर्धन और विपणन संपर्क को बढ़ावा देना, और स्कूल पाठ्यक्रमों में कृषि साक्षरता को शामिल करना शामिल थे।

अनुसंधान के क्षेत्र में, कार्यशाला में यह रेखांकित किया गया कि विशिष्ट कृषि-जलवायु परिस्थितियों और संसाधन सीमाओं के अनुरूप वैकल्पिक भूमि उपयोग मॉडल विकसित किए जाएं, वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए टिकाऊ निवारक तकनीकों का नवाचार किया जाए, मक्का, हल्दी, अदरक और कचालू जैसी फसलों के लिए एकीकृत कीट एवं रोग प्रबंधन प्रथाएं तैयार की जाएं, और कुशल जल संचयन एवं सिंचाई प्रणालियों की डिजाइनिंग की जाए।

VKSA पहलों के सकारात्मक प्रभाव और भविष्य की दिशा

फील्ड क्रियान्वयन टीमों से प्राप्त फीडबैक में VKSA पहलों के सकारात्मक प्रभावों को रेखांकित किया गया, जिनमें फसल उत्पादकता में वृद्धि, मृदा क्षरण में कमी, जल उपयोग दक्षता में सुधार और मूल्यवर्धित कृषि उत्पादों के माध्यम से बेहतर बाजार पहुंच शामिल है। ये परिणाम VKSA-2025 की आत्मनिर्भर कृषि और विकसित भारत@2047 के राष्ट्रीय लक्ष्यों में सार्थक योगदान देने की संभावनाओं को उजागर करते हैं।

कार्यशाला का समापन भविष्य की दिशा पर एकमत सहमति के साथ हुआ, जिसमें प्रलेखन, नीतिगत समर्थन और सिद्ध मॉडल व तकनीकों के प्रसार हेतु ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया गया। समापन सत्र में इंजी. एस.एस. श्रीमाली, वरिष्ठ वैज्ञानिक, ने कार्यशाला के मुख्य निष्कर्षों का सार प्रस्तुत किया और सभी प्रतिभागियों के उत्साहपूर्ण योगदान के लिए धन्यवाद व्यक्त किया। इस कार्यशाला में देशभर से लगभग 100 प्रतिभागियों, जिनमें से 50 ऑनलाइन माध्यम से जुड़े थे, ने सक्रिय रूप से भाग लिया, जिनमें वैज्ञानिक, तकनीकी अधिकारी और समन्वयक शामिल थे।

Rajesh Pandey

newslive24x7.com टीम के सदस्य राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून के निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। जीवन का मंत्र- बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

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