उत्तराखंड चुनावः अपने इस सियासी दांव पर चित हुए हरक सिंह
बार-बार अपने कांग्रेस में जाने की अटकलों को हवा दे रहे थे हरक
देहरादून। भाजपा से निष्कासित पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत को उनकी ही रणनीति ने इस स्थिति में पहुंचा दिया कि वो तीन दिन से कांग्रेस का दरवाजा खटखटा रहे हैं और कोई रेस्पांस अभी तक दिखाई नहीं दिया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के हालिया बयान से तो यही संदेश जाता है कि कांग्रेस में जाने की अटकलों को राजनीतिक दबाव के लिए इस्तेमाल करने वाले हरक सिंह का दांव उल्टा पड़ गया।
मुख्यमंत्री धामी का कहना है, भाजपा ने उनको (हरक सिंह रावत) तब तक पूरा सम्मान दिया जब तक वह पार्टी के साथ थे। भाजपा ने उनकी खबरें (कांग्रेस में शामिल होने की) सामने आने के बाद निष्कासित करने का फैसला किया। हमने अपना फैसला ले लिया है, अब कांग्रेस को फैसला लेना है।
He was given due respect till the time he was with us…When reports emerged…party took the decision (to expel him). We have taken our call…now it's up to the Congress to take a decision: Uttarakhand CM Pushkar Singh Dhami on expelled State Minister Harak Singh Rawat pic.twitter.com/yeaA2VJhEI
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) January 18, 2022
पहली बात तो यह कि कुछ माह से लगातार हरक सिंह रावत के कांग्रेस में जाने की खबरें, जो सुर्खियां बन रही थीं, उनमें जताई गईं संभावनाएं फिलहाल इस समय तक नजर नहीं आ रही हैं। यदि इनमें कोई संभावना होती तो अभी तक हरक सिंह कांग्रेस में शामिल हो जाते। इसका सीधा मतलब है कि इस तरह की अटकलों को सिर्फ हवा दी जा रही थी। इन अटकलों को हवा कौन दे रहा था, इस बात अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि हरक सिंह रावत ने अपने सोशल मीडिया पर कभी इन खबरों का कोई खंडन नहीं किया था। उन्होंने एक बार भी दावे के साथ सोशल मीडिया पर यह नहीं कहा कि वो कांग्रेस में नहीं जा रहे हैं। इससे साफ है कि वो अपने कांग्रेस में जाने की खबरों को चर्चाओं में रहने देना चाह रहे थे।
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दूसरा, कैबिनेट मंत्री पद से इस्तीफे की खबर पर भी हरक सिंह रावत कई घंटे तक चुपी साधे रहे और फिर मुख्यमंत्री के साथ चाय पर चर्चा करते ही दिखे। उस समय उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की तारीफों के पुल बांध दिए थे।
इस बार फिर उनके कांग्रेस में शामिल होने की खबरें सामने आईं, जैसा कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने अपने वक्तव्य में कहा है। इस तरह की खबरों से हरक सिंह का दांव उल्टा पड़ गया औऱ उनको भाजपा से बाहर का रास्ता देखना पड़ा। जैसा कि हरक सिंह स्वयं कह रहे हैं कि सोशल मीडिया पर चले एक मनगढ़ंत समाचार को आधार बनाकर उन्होंने (भाजपा ने) इतना बड़ा निर्णय ले लिया, जबकि मेरे सबसे अच्छे संबंध थे, लेकिन उन्होंने मुझे से बिना बात किए हुए इतना बड़ा निर्णय ले लिया।
अब देखना यह है कि कांग्रेस अपने दरवाजे पर उनको इंतजार कराती है या फिर उनका स्वागत करती है या फिर कोई बात ही नहीं करती। हालांकि यह राजनीति है इसमें संभावनाएं पल-पल में बदलती रहती हैं और इसी के साथ आशंकाएं भी जन्म लेती रहती हैं।