agriculturefood

जानिए, किसानों के लिए कौन -कौन सी योजनाएं चला रही सरकार

नाबार्ड का सर्वेः पांच साल में देश में बढ़े 8.7 फीसदी कृषक परिवार

नई दिल्ली। 21 मार्च, 2025

राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के ‘नाबार्ड अखिल भारतीय ग्रामीण वित्तीय समावेशन सर्वेक्षण (एनएएफआईएस)’ के अनुसार, कृषि वर्ष 2016-17 में कृषि परिवारों का प्रतिशत 48 प्रतिशत था, जो वर्ष 2021-22 में बढ़कर 56.7 प्रतिशत हो गया।

ग्रामीण कार्यबल में शामिल श्रमिकों की संख्या का केंद्रीय रूप से कोई रखरखाव नहीं किया जाता है। हालांकि, सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय (एमओएसपीआई) से जुड़े राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के अनुसार, कृषि और संबद्ध क्षेत्र में लगे सामान्य श्रमिकों का प्रतिशत इस प्रकार है-

पीएलएफएस सर्वेक्षण वर्ष कृषि में लगे श्रमिकों का प्रतिशत
2020-21 46.5
2021-22 45.5
2022-23 45.8

स्रोत: वार्षिक रिपोर्टआवधिक श्रम बल सर्वेक्षण, एमओएसपीआई. (2019-20 से 2022-23)

कृषि राज्य विषय के अंतर्गत आता है और भारत सरकार उचित नीतिगत उपायों, बजटीय आवंटन और विभिन्न योजनाओं/कार्यक्रमों के माध्यम से राज्यों के प्रयासों में मदद करती है। भारत सरकार की विभिन्न योजनाएं/कार्यक्रम कृषि उत्पादन में वृद्धि, लाभकारी रिटर्न और किसानों को आय सहायता देकर किसानों के कल्याण के लिए हैं।

किसानों की समग्र आय और कृषि क्षेत्र में लाभकारी रिटर्न बढ़ाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग (डीएएंडएफडब्ल्यू) की ओर से चलाई जा रही प्रमुख योजनाएं/कार्यक्रम इस प्रकार हैं:

1. प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान)

2. प्रधानमंत्री किसान मान धन योजना (पीएम-केएमवाई)

3. प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई)/ पुनर्गठित मौसम आधारित फसल बीमा योजना (आरडब्ल्यूबीसीआईएस)

4. संशोधित ब्याज अनुदान योजना (एमआईएसएस)

5. कृषि अवसंरचना कोष (एआईएफ)

6. 10,000 नए किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) का गठन और संवर्धन

7. राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन और शहद मिशन (एनबीएचएम)

8. नमो ड्रोन दीदी

9. राष्ट्रीय प्राकृतिक खेती मिशन (एनएमएनएफ)

10. प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण अभियान (पीएम-आशा)

11. स्टार्ट-अप्स और ग्रामीण उद्यमों के लिए कृषि कोष (एग्री एसयूआरई)

12. प्रति बूंद अधिक उपज (पीडीएमसी)

13. कृषि मशीनीकरण उप-मिशन (एसएमएएम)

14. परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)

15. मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता (एसएचएंडएफ)

16. वर्षा आधारित क्षेत्र विकास (आरएडी)

17. कृषि वानिकी

18. फसल विविधीकरण कार्यक्रम (सीडीपी)

19. कृषि विस्तार उप-मिशन (एसएमएई)

20. बीज और रोपण सामग्री पर उप-मिशन (एसएमएसपी)

21. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एवं पोषण मिशन (एनएफएसएनएम)

22. कृषि विपणन के लिए एकीकृत योजना (आईएसएएम)

23. एकीकृत बागवानी विकास मिशन (एमआईडीएच)

24. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ)-ऑयल पाम

25. राष्ट्रीय खाद्य तेल मिशन (एनएमईओ)-तिलहन

26. पूर्वोत्तर क्षेत्र के लिए जैविक मूल्य श्रृंखला विकास मिशन

27. डिजिटल कृषि मिशन

28. राष्ट्रीय बांस मिशन

ग्रामीण युवाओं का कौशल प्रशिक्षण (एसटीआरवाई) 

सरकार ग्रामीण युवाओं के कौशल प्रशिक्षण (एसटीआरवाई) को भी क्रियान्वित कर रही है। इसका उद्देश्य ग्रामीण युवाओं और किसानों को कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में अल्पावधि कौशल प्रशिक्षण (सात दिन की अवधि) प्रदान करना है, ताकि उनके ज्ञान और कौशल का उन्नयन हो सके और ग्रामीण क्षेत्रों में मजदूरी/स्वरोजगार को बढ़ावा मिले।

इस घटक का उद्देश्य कुशल श्रमशक्ति की एक सूची बनाने के लिए कृषि आधारित व्यावसायिक क्षेत्रों में महिला किसानों सहित ग्रामीण युवाओं को अल्पावधि कौशल आधारित प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदान करना है। हाल ही में, एसटीआरवाई कार्यक्रम को कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंधन एजेंसी (एटीएमए) कैफेटेरिया के अंतर्गत शामिल कर लिया गया है।

कृषि अवसंरचना कोष (एग्री इन्फ्रा फंड)

कृषि अवसंरचना कोष (एग्री इंफ्रा फंड) गांवों में कृषि आधारित उद्योगों का विस्तार करने में मदद करता है। यह कोल्ड स्टोरेज, गोदामों और प्रसंस्करण इकाइयों जैसे बुनियादी ढांचे के विकास के लिए वित्तीय सहायता और कम ब्याज दर पर ऋण प्रदान करता है। यह कोष आधुनिक कृषि पद्धतियों और प्रौद्योगिकी अपनाने, उत्पादकता बढ़ाने और विभिन्न कृषि आधारित क्षेत्रों में विविधीकरण को बढ़ावा देने का समर्थन करता है। इसका उद्देश्य ग्रामीण कृषि को बदलना, बाजार तक पहुंच बढ़ाना और किसानों की आजीविका में सुधार करना है। यह किसानों, एफपीओ और स्टार्ट-अप के बीच उद्यमशीलता को प्रोत्साहित करता है, जिससे रोजगार के अवसर पैदा होते हैं।

यह जानकारी कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री श्री रामनाथ ठाकुर ने आज राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

 

 

Rajesh Pandey

मैं राजेश पांडेय, उत्तराखंड के डोईवाला, देहरादून का निवासी और 1996 से पत्रकारिता का हिस्सा। अमर उजाला, दैनिक जागरण और हिन्दुस्तान जैसे प्रमुख हिन्दी समाचार पत्रों में 20 वर्षों तक रिपोर्टिंग और एडिटिंग का अनुभव। बच्चों और हर आयु वर्ग के लिए 100 से अधिक कहानियां और कविताएं लिखीं। स्कूलों और संस्थाओं में बच्चों को कहानियां सुनाना और उनसे संवाद करना मेरा जुनून। रुद्रप्रयाग के ‘रेडियो केदार’ के साथ पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाईं और सामुदायिक जागरूकता के लिए काम किया। रेडियो ऋषिकेश के शुरुआती दौर में लगभग छह माह सेवाएं दीं। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया। बाकी जिंदगी को जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक, एलएलबी संपर्क: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला, देहरादून, उत्तराखंड-248140 ईमेल: rajeshpandeydw@gmail.com फोन: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button