
उत्तराखंड के डॉ. मायाराम उनियाल को आयुष मंत्रालय का धन्वंतरी पुरस्कार
देहरादून। 22 फरवरी, 2025
देश के जाने-माने आयुर्वेद, जड़ी-बूटी विशेषज्ञ डाॅ. मायाराम उनियाल को केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने प्रतिष्ठित धन्वंतरी पुरस्कार से सम्मानित किया है। देशभर में सिर्फ तीन विशेषज्ञों को यह पुरस्कार मिला है। वहीं, आयुष मंत्रालय के बेहद महत्वपूर्ण प्रकृति परीक्षण अभियान के पहले चरण में उत्तराखंड के प्रयासों की सराहना की गई है। पूरे प्रदेश में डेढ़ लाख लोगों का प्रकृति परीक्षण किया गया है।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय की ओर से 20 फरवरी को मुंबई में आयोजित कार्यक्रम में डाॅ. मायाराम उनियाल को यह पुरस्कार प्रदान किया गया। केंद्रीय आयुष मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रताप राव जाधव ने डाॅ. उनियाल के साथ ही आयुर्वेद विशेषज्ञ डाॅ. ताराचंद व डाॅ. जमदग्नि को धन्वंतरी पुरस्कार प्रदान किया। इस पुरस्कार के अंतर्गत विशेषज्ञों को पांच-पांच लाख रुपये की धनराशि प्रदान की गई है।
डाॅ. उनियाल को इससे पहले, आयुष मंत्रालय की ओर से प्रतिष्ठित लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार भी दिया जा चुका है। उन्होंने आयुर्वेद, जड़ी-बूटी के क्षेत्र में कई शोध किए हैं। डाॅ. उनियाल का कहना है कि आयुष के क्षेत्र में उत्तराखंड तमाम संभावनाओं से भरा हुआ है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश आयुष के क्षेत्र में निरंतर प्रगति कर रहा है। देश के प्रकृति परीक्षण अभियान को पहले चरण में मिली सफलता उत्साहित करने वाली है। इससे लोगों का जीवन निरोगी और स्वस्थ होगा। मैं इस अभियान से जुड़े समस्त लोगों और पुरस्कृत होने वाले विशेषज्ञों को हार्दिक बधाई देता हूं।
केंद्रीय आयुष मंत्रालय के प्रकृति परीक्षण अभियान का शुभारंभ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने किया था। इस अभियान के तहत उत्तरकाशी के महीडांडा जैसे सीमांत इलाके में स्थित आईटीबीपी की पोस्ट तक भी आयुष टीम पहुंची और जवानों का प्रकृति परीक्षण किया।
राज्य समन्वयक डाॅ. जेएन नौटियाल के अनुसार, विपरीत भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद डेढ़ लाख लोगों का उत्तराखंड में प्रकृति परीक्षण किया गया है। इसकी सराहना हुई है। उत्तराखंड समेत सभी राज्यों के समन्वयकों को मंत्रालय के स्तर पर सम्मानित किया गया है।
पूरे देश में एक करोड़ लोगों के प्रकृति परीक्षण का लक्ष्य रखा गया था। लक्ष्य से ज्यादा एक करोड़ 29 लाख लोगों का प्रकृति परीक्षण किया गया है। इस अभियान में केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने एक पोर्टल लाॅच किया है, जिसमें रजिस्ट्रेशन कराने के बाद संबंधित व्यक्ति से बातचीत के आधार पर उसकी प्रकृति का निर्धारण किया जा रहा है। वात, कफ व पित्त की स्थिति का आकलन करके संबंधित व्यक्ति की प्रकृति बताई जा रही है। इसके साथ ही, आयुर्वेद चिकित्सक संबंधित व्यक्ति को उसकी प्रकृति के अनुरूप आहार-विहार का परामर्श दे रहे हैं।
प्रकृति परीक्षण अभियान के सचिव डॉ. आशुतोष गुप्ता ने कहा कि प्रकृति परीक्षण अभियान में लक्ष्य से ज्यादा लोगों का परीक्षण किया गया है और कई कीर्तिमान बने हैं। कठिन भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड राज्य ने इस अभियान को सफल बनाने के लिए अच्छे प्रयास किए हैं। इस अभियान का दूसरा चरण चल रहा है। लोगों के उत्तम स्वास्थ्य के लिए यह अभियान उपयोगी साबित होगा।