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सूचना विभाग के कर्मचारियों ने उठाया वेतन विसंगतियों का मामला

देहरादून। उत्तराखंड सूचना कर्मचारी संघ ने वेतन विसंगति समिति के समक्ष प्रभावी तरीके से अपनी बात रखी। संघ ने समिति से वेतन विसंगतियों के मामलों के जल्द समाधान पर जोर दिया। वहीं, समिति ने संघ को उनकी मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया।

संघ के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह की अध्यक्षता में गठित वेतन विसंगति समिति को जिला सूचना अधिकारी, अतिरिक्त जिला सूचना अधिकारी, सहायक लेखाकार, अनुवादक, लेखा संवर्ग एवं संरक्षक कम डाटा एंट्री आपरेटर आदि संवर्गों के वेतन विसंगति मामलों की जानकारी दी।

संघ ने समिति को बताया कि अन्य विभागों के समान स्तर एवं शैक्षिक योग्यता और कार्य वाले पदों एवं संवर्गों की तुलना में सूचना विभाग में वेतनमान के उच्चीकरण, पदोन्नतियों एवं एसीपी का लाभ प्रदान करने में भेदभाव किया जा रहा है, जबकि ऐसे लाभ अन्य विभागों में स्वीकृत किए जाने के उदाहरण हैं।

उत्तराखंड सूचना कर्मचारी संघ के महामंत्री सुरेश चन्द्र भट्ट ने वेतनमान का न्यायहित में उच्चीकरण करने की आवश्यकता बताई। संघ के सलाहकार केएस पंवार ने सूचना विभाग के लेखा संवर्ग के कार्मिकों को अन्य विभागों की तरह एसीपी का लाभ स्वीकृत नहीं किए जाने तथा सहायक लेखाकारों को 30 साल से अधिक की सेवा के बाद भी पदोन्नति नहीं दिए जाने का मामला उठाया।

पंवार ने कहा कि उत्तर प्रदेश में लेखा संवर्ग के कार्मिकों को वर्ष 2008 से पदोन्नति का लाभ दिया जा चुका है, लेकिन उत्तराखंड राज्य में आवंटित सहायक लेखाकारों को पदोन्नति से वंचित रखा गया है।

उन्होंने विभाग के विभिन्न संवर्गों के वेतनमानों के उच्चीकरण के औचित्य के संबंध में भी समिति को अवगत कराया।

समिति से वार्ता में संयुक्त मंत्री प्रशांत रावत ने संरक्षक कम डाटा एंट्री आपरेटर्स  पदधारकों के वेतन स्तर में उच्चीकरण का मामला प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि संरक्षक कम डाटा एंट्री आपरेटर को वर्तमान में लेवल-2 का वेतनमान दिया जा रहा है, जबकि इस पद के लिए शैक्षिक योग्यता स्नातक निर्धारित है। लिहाजा समान प्रवृत्ति के अन्य पदों/संवर्गों की भांति संरक्षकों को उच्च वेतनमान दिया जाना जरूरी है।

इस अवसर पर संघ के अध्यक्ष भुवन चन्द्र जोशी ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वेतन विसंगति समिति के अध्यक्ष शत्रुघ्न सिंह, सदस्य सचिव गंगा प्रसाद एवं समिति के सदस्यों ने संघ की मांगों पर सकारात्मक कार्यवाही का आश्वासन दिया है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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