नवरात्र कल से, मां मनइच्छा की सैकड़ों वर्ष प्राचीन प्रतिष्ठित पिंडी के दर्शन का सौभाग्य
माता के चरणों से निकलती है जलधारा, 41 दिन तक प्रतिदिन दर्शन करने से पूरी होती मनोकामना
डोईवाला। कल दो अप्रैल से चैत्र नवरात्र (Chaitra Navratri 2022) शुरू हो रहे हैं। मां मनइच्छा देवी के मंदिर में नवरात्र पूजन के लिए विशेष व्यवस्था की गई हैं। यहां प्रतिष्ठित पिंडी के रूप में अवतरित मां मनइच्छा देवी के दर्शन करने का सौभाग्य भी मिलता है, वहीं घने वन क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण श्रद्धालुओं के मन को भाता है। मां मनइच्छा देवी की प्रतिष्ठित पिंडी पांच सौ वर्ष से भी अधिक प्राचीन है। माता के चरणों से जलधारा निकलती है। दस अप्रैल 2022 को मंदिर में भंडारे का आयोजन किया जाएगा।
मंदिर के पुजारी हर्षमणि नौटियाल ने बताया, मां मनइच्छा देवी ( Maa Mann Ichchha Devi Mandir) के मंदिर में प्रतिदिन 41 दिन तक आकर दर्शन करने औऱ सच्चे मन से की गई मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर के कपाट प्रतिदिन सुबह छह बजे पूजा अर्चना के लिए खुलते हैं। शाम को पांच बजे माता की विशेष पूजा आरती होती है। उन्होंने बताया, मंदिर परिसर में विशेष पूजा अर्चना की व्यवस्था की गई है।
मंदिर की व्यवस्था संभाल रहे पंडित हर्षमणि नौटियाल बताते हैं कि भक्ति में भाव की प्रधानता होती है। आप कहीं भी हों, सच्चे मन से माता का भावपूर्ण स्मरण करने से आपकी मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर में माता के चरणों से जलधारा निकलती है। इसी जल से मंदिर में भंडारा से लेकर सभी कार्य संपन्न होते हैं। यहां आसपास पानी के लिए कोई ट्यूबवैल, पाइप लाइन जैसी कोई व्यवस्था नहीं है। पूर्व में भूगर्भ वैज्ञानिक यहां आए थे, उन्होंने इस पहाड़ पर कुछ यंत्रों की सहायता से अध्ययन के बाद बताया कि इस भूमि पर आसपास जल की संभावना नहीं है। यहां जलधारा निकलना आश्चर्य की बात है।
मंदिर तक पहुंचने का मार्ग
मां मनइच्छा देवी का मंदिर देहरादून से करीब 32 किमी. दूर है। देहरादून की ओर से ऋषिकेश जाते समय डांडी गांव से थोड़ा आगे बाई ओर नरेंद्रनगर बाइपास दिखता है। यहां से आप सीधा नरेंद्रनगर जा सकते हैं, वो भी ऋषिकेश जाए बिना। वनों के बीच से होते हुए नरेंद्रनगर की ओर ले जा रही यह सड़क शानदार है। सर्पीली सड़क पर नजारे बहुत अच्छे हैं। करीब डेढ़ किमी. चलने के बाद बाई ओर मां मनइच्छा के मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंच जाएंगे।
यहां से कुछ सीढ़ियां चढ़कर आप पहुंचेंगे मां के दरबार में, जहां प्रकृति का वास है। बहुत शांत और स्वच्छ पर्यावरण में पहुंचकर सभी को अच्छा लगता है। कुछ वर्ष पहले ही यहां से होकर सड़क का निर्माण हुआ। सड़क से माता के मंदिर तक सीढ़ियों का निर्माण हुआ। श्रद्धालुओं के पूजा अर्चना एवं विश्राम करने के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराई गईं।
मंदिर परिसर से थोड़ा ऊंचाई पर सीढ़ियां चढ़कर आप पहुंच सकते हैं भैरव बाबा जी की गुफा तक। जहां आपको प्रज्ज्वलित ज्योति के दर्शन होने का सौभाग्य प्राप्त होगा।
मंदिर में इन बातों का ध्यान रखें
मंदिर परिसर में पॉलीथिन न ले जाएं। वहां स्वच्छता का ध्यान रखें। मां के मंदिर में बिना इजाजत फोटोग्राफी न करें। मंदिर में मां मनइच्छा की मूर्ति का फोटो खींचना मना है। मंदिर में चमड़े से बनी वस्तुएं बेल्ट, पर्स आदि ले जाना मना है। मंदिर समिति के नियमों का पालन करना हम सभी का कर्तव्य बनता है।
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