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आक्सीजन के निर्बाध उत्पादन के लिए सात दिन में बिछाई पांच किमी. भूमिगत विद्युत केबल

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रदेश में आक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए लिंडे इंडिया के लिक्विड आक्सीजन प्लांट को निर्बाध विद्युत आपूर्ति के लिए रिकार्ड समय में अंडरग्राउंड केबलिंग कराई। 
पांच किमी. अंडर ग्राउंड केबलिंग सात दिन में करने पर मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों की सराहना की है। मुख्यमंत्री ने कहा कि ऑक्सीजन प्लांटों से उनकी क्षमता के अनुरूप पूर्ण उत्पादन संभव कराने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्ध है। 
देहरादून स्थित सेलाकुई क्षेत्र में लिंडे इंडिया वर्तमान में प्रतिदिन औसतन 160 टन लिक्विड ऑक्सीजन का उत्पादन कर रहा है, जो कि वर्तमान में ऑक्सीजन की माँग के दृष्टिगत अत्यन्त महत्वपूर्ण है।
23 अप्रैल 2021 के बाद आठ मई के बीच 33 केवी विद्युत लाइन में पांच ट्रिपिंग और अंडर वोल्टेज के कारण लिंडे इंडिया के प्लांट में उत्पादन बाधित होने की सूचना मिली। 
पता चला कि 33 केवी लाइन का लगभग तीन किमी. भाग ऐसे क्षेत्र से गुजरता है, जहाँ कूड़ा और एनीमल वेस्ट फेंकने के कारण बड़ी संख्या में पक्षी उड़ते हैं। बर्डफाल्ट के कारण 33 केवी लाइन पर ट्रिपिंग दर्ज की जा रही थी।
वर्तमान में एक-एक लीटर ऑक्सीजन की महत्ता के दृष्टिगत मुख्यमंत्री रावत ने इस समस्या का समाधान जल्द से जल्द सुनिश्चित करने के निर्देश दिए।
राज्य की सचिव (ऊर्जा) राधिका झा ने स्थलीय निरीक्षण के बाद उक्त क्षेत्र से कूड़ा औऱ एनीमल वेस्ट तत्काल हटाने के निर्देश दिए।
जिला प्रशासन को भी निर्देशित किया गया कि उक्त क्षेत्र में कोई भी व्यक्ति कूड़ा न डाले। साथ ही, यह निर्णय भी लिया गया कि आक्सीजन प्लांट को पोषित करने वाली विद्युत लाइन को भूमिगत किया जाए, जिसके लिए लगभग 5 किमी. भूमिगत केबिल बिछाई जानी आवश्यक थी।
भूमिगत केबल बिछाने के व्यय लगभग  3.2 करोड़ रुपये की स्वीकृति केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय के माध्यम से गृह मंत्रालय, भारत सरकार से कराई गई। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए सात दिन का समय निर्धारित किया गया।
जब तक भूमिगत केबल का कार्य पूर्ण हो, इस लाइन पर ट्रिपिंग रोकने के लिए स्थानीय प्रशासन के सहयोग से लाइन के प्रत्येक विद्युत पोल पर कर्मचारियों की तैनाती करके पक्षियों को लाइन के निकट आने से रोका गया।
नौ मई, 2021 को पांच किमी. भूमिगत केबल बिछाने का काम शुरू हुआ, जो रिकार्ड सात दिन के भीतर 15 मई को पूर्ण कर दिया गया।
कोविड के कारण उत्पन्न विपरीत परिस्थितियों में भी केबल अलवर तथा दिल्ली, एचडीपी पाइप गाजियाबाद, ज्वाइंटिंग किट लखनऊ से मंगाई गई। रात-दिन युद्धस्तर पर यह कार्य एक सप्ताह के अल्प समय में पूर्ण कराया गया।
मुख्यमंत्री ने सभी कार्यों को कराने के लिए विशेष स्वीकृति प्रदान की, ताकि कोविड महामारी के दौर में एक लीटर ऑक्सीजन की भी हानि न हो।
केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय तथा गृह मंत्रालय आक्सीजन प्लान्ट को होने वाली ट्रिपिंग की समीक्षा कर रहे हैं। केंद्र की टास्क फोर्स ने इन सभी कार्यों को सही पाया है। उक्त कार्य बिना किसी शटडाउन के पूर्ण कराया गया।
मात्र 3.5 घंटे का शटडाउन केबल को जोड़ने के लिए लिया गया था। इन साढ़े तीन घंटे में भी 10 किमी. की ओवरहेड लाइन में यथाआवश्यक कार्य पूर्ण किए गए, जिससे विद्युत आपूर्ति में निरन्तरता सुनिश्चित की जा सके।
मुख्यमंत्री रावत ने अत्यंत अल्प समय में यह कार्य पूर्ण किए जाने पर सचिव (ऊर्जा) राधिका झा, प्रबन्ध निदेशक यूपीसीएल डॉ. नीरज खैरवाल, निदेशक (परियोजना) जगमोहन सिंह, निदेशक (परिचालन) अतुल कुमार अग्रवाल तथा अन्य समस्त अधिकारियों की सराहना की। 

 

Key words:- Chief Minister, Tirath Singh Rawat, Underground cabling in record time, Uninterrupted power supply, liquid oxygen plant of Linde India, Increasing demand for oxygen in Uttarakhand State, State Government, Selaqui region of Dehradun, Bird falts, State Secretary (Energy), Radhika Jha, COVID Epidemic, The Union Ministry of Power, Ministry of Home Affairs 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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