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सोशल मीडिया में प्रसारित होने वाली तथ्यहीन जानकारियों का खंडन करें विभाग

मुख्यमंत्री धामी ने कुमाऊं मंडल के जिलों में आपदा से हुए नुकसान और राहत कार्यों की समीक्षा की

खटीमा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कुमाऊं मंडल के जिलों में आपदा से हुए नुकसान के मद्देनजर जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों के साथ वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से राहत कार्यों की समीक्षा की। मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि कहीं सड़क क्षतिग्रस्त या भूस्खलन होने की तथ्यहीन जानकारी सोशल मीडिया में आती है तो संबंधित विभागों को उनका खंडन भी करना चाहिए, ताकि लोगों में भ्रामकता की स्थिति ना हो।

खटीमा स्थित यूजीवीएनएल के गेस्ट हाउस में समीक्षा के दौरान सीएम ने जिलाधिकारियों को आपदाग्रस्त क्षेत्रों में मौके पर पहुंचकर नेतृत्व करते हुए रेस्क्यू टीम का मनोबल बढ़ाने तथा प्रभावितों की हरसंभव मदद करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री धामी ने जिलाधिकारियों से नदियों के जलस्तर, लैंड स्लाइड, बन्द सड़कों, जानमाल की क्षति मुआवजा वितरण की गहनता से समीक्षा करते हुए निर्देश दिए कि राजमार्गों के साथ ग्रामीण सड़कों को खोलने की सुचारू व्यवस्था के साथ आवश्यक उपकरणों की प्रभावित स्थलों पर व्यवस्था की जाए।

उन्होंने कहा कि आपदा राहत एवं बचाव कार्यों में सभी विभाग टीम भावना एवं सकारात्मक ऊर्जा के साथ कार्य करें तथा इसे अपनी जिम्मेदारी समझें। यह समय पीड़ितों के साथ खड़े होने का है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि आपदा की स्थिति में बचाव कार्य और भी तेजी से हों, इसके लिए लाइफ़ सेविंग उपकरण सहित अत्याधुनिक उपकरण संबंधित विभागों को उपलब्ध कराए जाएं। अधिकारियों को जलभराव वाले क्षेत्रों या नालों और नदियों के ड्रेनेज प्लान बनाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा,आपदा से खेती व बागवानी को हुए नुकसान का आकलन करते हुए अनुमन्य मदद तत्काल पहुंचाई जानी चाहिए।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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