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ग्रामीण क्षेत्रों में जनसेवा के लिए बैंक मित्रों की नियुक्ति करें बैंकः सीएस

देहरादून। राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति, उत्तराखंड की 77 वीं बैठक में मुख्य सचिव डॉ. एसएस सन्धु ने बैंकों को बैंक मित्र नियुक्त करने के निर्देश दिए। सचिवालय में आयोजित बैठक की अध्यक्षता करते हुए मुख्य सचिव ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को बैंकिंग सेवाओं के लिए पैदल बहुत लंबा रास्ता तय करना होता है।

उन्होंने कहा कि सरकारी योजनाओं एवं बैंकिंग सुविधाओं का लाभ दूरस्थ क्षेत्रों में रह रहे लोगों को भी मिल सके, इसके लिए बिजनेस कॉरेपॉरेंडेंस (बैंक मित्र) तैनात किए जाएं। स्थानीय युवाओं को प्रशिक्षित किया जाना चाहिए, ताकि उनको रोजगार मिल सके।

मुख्य सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना, प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना एवं अटल पेंशन योजना का लाभ अधिक से अधिक लोगों को मिल सके, इसके लिए जनजागरूकता कार्यक्रम चलाए जाएं।

उन्होंने निर्देश दिए कि वार्षिक ऋण योजना के अन्तर्गत फार्म सेक्टर एवं अन्य प्राथमिक क्षेत्रों पर भी फोकस किया जाए। साथ ही, एसएलबीसी को ऋण जमा अनुपात में सुधार लाने के भी निर्देश दिए।

उन्होंने कहा कि जिन जनपदों में ऋण जमा अनुपात 40 से कम है, उन जनपदों की लगातार मॉनिटरिंग कर इसे बढ़ाने के प्रयास किए जाएं।

मुख्य सचिव ने मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना के अन्तर्गत स्वीकृत आवेदनों के शीघ्र निस्तारण के भी निर्देश दिए। उन्होंने संबंधित विभागाध्यक्षों को निर्देश दिए कि युवा उद्यमियों के प्रस्तावों को तकनीकी दृष्टि से मदद कराकर ही बैंकर्स से स्वीकृत कराने में सक्रिय सहयोग प्रदान करें।

उन्होंने कहा कि पीएम स्वनिधि योजना के तहत यूएलबी द्वारा ऋण आवेदन पत्र बैंक शाखाओं को भेजते समय आवेदक को उनका आवेदन किस बैंक को भेजा गया सहित अन्य आवश्यक जानकारियां अवश्य उपलब्ध कराई जाएं।

Keywords:- State Level Bankers Committee Uttarakhand, Chief Secretary Dr. SS Sandhu, Business Correspondence (Bank Mitra), Pradhan Mantri Suraksha Bima Yojana, Pradhan Mantri Jeevan Jyoti Bima Yojana, Atal Pension Yojana, Young entrepreneurs

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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