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हवाई अड्डे पर चेकिंग में 80 करोड़ की कोकीन जब्त, एक महिला सहित दो गिरफ्तार

तंजानियाई नागरिक बिजनेस वीजा और महिला यात्री अंगोला से पर्यटक वीजा पर हैदराबाद पहुंचे

नई दिल्ली। राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) के अधिकारियों ने 1 मई 2022 की देर रात कार्रवाई में हैदराबाद अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर कोकीन की बरामदगी के दो मामलों का खुलासा किया है।

एक मई को दो हवाई यात्रियों को मादक पदार्थ लाने के संदेह में डीआरआई ने गिरफ्तार किया। इनमें से एक पुरुष तंजानियाई नागरिक है, जो बिजनेस वीजा पर दुबई के रास्‍ते केपटाउन से हैदराबाद पहुंचा। वहीं, एक महिला यात्री, जो अंगोला से पर्यटक वीजा पर अंगोला – मोजाम्बिक – लुसाका एवं दुबई होते हुए हैदराबाद पहुंची।

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इन यात्रियों के ट्रॉली बैग के सबसे निचले नकली या बनावटी हिस्‍से में छि‍पाए गए पैकेटों से कुल 8 किलो कोकीन जब्‍त की गई। इनमें से प्रत्येक यात्री से चार किलो कोकीन जब्‍त की गई। जब्त कोकीन की अनुमानित कीमत अवैध बाजार में 80 करोड़ रुपये है।.

हवाई यात्रा पर लगे प्रतिबंधों में ढील दिए जाने और यात्री यातायात में वृद्धि होने के साथ ही हवाई मार्ग से नशीली दवाओं की तस्करी की घटनाएं बढ़ गई हैं।

वैसे तो, भारतीय कस्‍टम विभाग ने क्‍लीयरेंस को काफी सुगम बना दिया है, लेकिन सतर्क अधिकारियों ने देश भर में कई मौकों पर नशीली दवाओं की तस्करी करने वाले गिरोह का भंडाफोड़ किया है और इनसे जुड़े लोगों को अपनी गिरफ्त में ले लिया है।

मादक द्रव्यों को लाने-ले जाने के चालाकी भरे तरीकों का पता यात्रियों के बैग में बड़ी बारीकी से रखी गई नशीली दवाओं की लेमिनेटिंग के जरिए देखा गया है, जिन्‍हें सामान्‍य रूप से देख पाना लगभग असंभव होता है या इन्‍हें शैंपू और खाद्य पदार्थों में छि‍पाकर ले जाया जाता है या कभी-कभी कई यात्री लैमिनेटेड कैप्सूल में या अपने शरीर में किसी तरह से छि‍पाकर ले जाते हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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