सी. एलिगेंस (Caenorhabditis elegans) नाम के एक सूत्रकृमि पर किए गए शोध के लिए कई वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिले हैं। यह एक छोटा, पारदर्शी कीड़ा है जिसे प्रयोगशाला में आसानी से पाला जा सकता है और इसकी सरल शरीर रचना के कारण, यह आनुवंशिकी और विकास जीव विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मॉडल जीव बन गया है।
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एक छोटा सा पारदर्शी कीड़ा जिस पर रिसर्च करके वैज्ञानिकों को मिल रहे नोबेल प्राइज

सरल शरीर रचना के कारण सी. एलिगेंस आनुवंशिकी और विकास जीव विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मॉडल जीव बन गया

न्यूज लाइव डेस्क

सी. एलिगेंस (Caenorhabditis elegans) नाम के एक सूत्रकृमि पर किए गए शोध के लिए कई वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिले हैं। यह एक छोटा, पारदर्शी कीड़ा है जिसे प्रयोगशाला में आसानी से पाला जा सकता है और इसकी सरल शरीर रचना के कारण, यह आनुवंशिकी और विकास जीव विज्ञान में एक महत्वपूर्ण मॉडल जीव बन गया है।

Caenorhabditis elegans (सी. एलिगेंस) निमाटोड राउंडवॉर्म है। आमतौर पर गीली मिट्टी में पाया जाता है। यह बहुत छोटा जीव है और नंगी आंखों से देख पाना मुश्किल होता है। वैज्ञानिक इसे प्रयोगशाला में पालते हैं क्योंकि यह एक मॉडल जीव है, जिसका उपयोग कई तरह के जैविक अध्ययनों के लिए किया जाता है।

सी. एलिगेंस का जीवन चक्र अत्यंत छोटा होता है, जो इसे जीव विज्ञान के अध्ययन के लिए एक आकर्षक मॉडल बनाता है। इसका जीवन चक्र पर्यावरणीय कारकों और आनुवंशिक परिवर्तनों से प्रभावित होता है।

सी. एलिगेंस एक छोटा सा कीड़ा हो सकता है, लेकिन इसने जीव विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला दी है। इस पर किए गए शोध के लिए कई नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं और यह आने वाले वर्षों में भी वैज्ञानिक अनुसंधान का एक महत्वपूर्ण विषय बना रहेगा।

क्यों है सी. एलिगेंस इतना खास?

  • सरलता: सी. एलिगेंस में केवल 959 कोशिकाएं होती हैं और इसके पूरी जीवन चक्र को देखा जा सकता है। यह वैज्ञानिकों के लिए इसके विकास और व्यवहार का विस्तृत अध्ययन करना आसान बनाता है।
  • आनुवंशिक सरलता: यह वैज्ञानिकों को इसके जीनों का अध्ययन करने और उनके कार्यों को समझने में मदद करता है।
  • तेजी से विकास: सी. एलिगेंस बहुत तेजी से बढ़ता है और अंडे से निकलने के कुछ ही दिनों में वयस्क हो जाता है। इससे वैज्ञानिक एक ही समय में कई पीढ़ियों का अध्ययन कर सकते हैं।
  • आगे बढ़ने की क्षमता: इस कीड़े को प्रयोगशाला में आसानी से उत्परिवर्तित किया जा सकता है, जिससे वैज्ञानिक जीनों के कार्यों का अध्ययन कर सकते हैं।
  • मॉडल जीव: यह एक आदर्श मॉडल जीव है जिसका उपयोग अधिक जटिल जीवों में होने वाली प्रक्रियाओं को समझने के लिए किया जा सकता है।

सी. एलिगेंस की विशेषताएं:

  • आकार: लगभग 1 मिमी लंबा।
  • जीवनकाल: लगभग 2-3 सप्ताह।
  • प्रजनन: अंडे देता है।
  • भोजन: बैक्टीरिया और अन्य सूक्ष्मजीवों को खाता है।

    जीवन चक्र के प्रमुख चरण:

    1. अंडा: मादा सी. एलिगेंस अंडे देती है।
    2. लार्वा: अंडे से लार्वा निकलता है। लार्वा चार चरणों से गुजरता है, जिन्हें L1, L2, L3 और L4 कहा जाता है।
    3. वयस्क: अंतिम चरण में लार्वा वयस्क बन जाता है। वयस्क मादा अंडे देना शुरू कर देती है और इस प्रकार जीवन चक्र दोहराया जाता है।

सी. एलिगेंस पर शोध करने से क्या फायदे हैं?

  • मूलभूत समझ: इस कीड़े पर किए गए शोध ने हमें जीवन के मूलभूत प्रक्रियाओं जैसे कि कोशिका विभाजन, विकास और मृत्यु के बारे में बेहतर समझ दी है। इसका उपयोग तंत्रिका तंत्र के अध्ययन में किया जाता है। इसका उपयोग बुढ़ापे और जीवनकाल के अध्ययन में किया जाता है।
  • चिकित्सा अनुप्रयोग: शोध का उपयोग कैंसर, न्यूरोडीजेनेरेटिव रोगों और अन्य मानव रोगों के अध्ययन में किया जा रहा है।
  • कृषि: सी. एलिगेंस का उपयोग फसलों के विकास और कीटों के नियंत्रण के लिए भी किया जा रहा है।
  • आनुवंशिकी: सी. एलिगेंस के जीनोम को पूरी तरह से सीक्वेंस किया गया है।

सी. एलिगेंस इतना सरल और अध्ययन करने में आसान है, इसलिए इसे अक्सर एक मॉडल जीव के रूप में उपयोग किया जाता है। वैज्ञानिक इस पर किए गए शोध के परिणामों को अधिक जटिल जीवों, जैसे कि मनुष्यों पर लागू करने की कोशिश करते हैं।

शोध के लिए किन-किन क्षेत्रों में नोबेल पुरस्कार मिले हैं?

  • आनुवंशिकी: सी. एलिगेंस में जीन नियमन और कोशिका विभाजन के अध्ययन के लिए कई नोबेल पुरस्कार दिए गए हैं।
  • विकास जीव विज्ञान: इस कीड़े का उपयोग करके वैज्ञानिकों ने कोशिकाओं के भेदभाव और ऊतक निर्माण के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त की है।
  • तंत्रिका विज्ञान: सी. एलिगेंस की सरल तंत्रिका तंत्र ने वैज्ञानिकों को तंत्रिका तंत्र के विकास और कार्य के बारे में मूलभूत प्रश्न पूछने और उनका उत्तर देने में मदद की है।

सी. एलिगेंस पर शोध के लिए नोबेल पुरस्कार विजेता

सी. एलिगेंस पर किए गए शोध के लिए कई वैज्ञानिकों को नोबेल पुरस्कार मिल चुका है। यह एक छोटा सा सूत्रकृमि है, लेकिन जीव विज्ञान के क्षेत्र में इसकी अहमियत बहुत ज्यादा है। इस कीड़े पर किए गए शोध ने हमें जीवन के मूलभूत प्रक्रियाओं जैसे कि कोशिका विभाजन, विकास और मृत्यु के बारे में बेहतर समझ दी है।

कुछ प्रमुख वैज्ञानिक और उनके योगदान:

  • जॉन सुलस्टन: सुलस्टन को सी. एलिगेंस के पूरे जीनोम को मैप करने के लिए 2002 में फिजियोलॉजी या मेडिसिन का नोबेल पुरस्कार मिला था। उन्होंने कोशिका मृत्यु और विकास जैसी महत्वपूर्ण जैविक प्रक्रियाओं को समझने में अहम भूमिका निभाई। सुल्स्टन को मिले नोबेल पुरस्कार ने सी. एलिगेंस पर शोध की वैज्ञानिक समुदाय में मान्यता को बढ़ाया। इसने अन्य वैज्ञानिकों को इस जीव पर शोध करने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप जीव विज्ञान के कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई।
  • सिडनी ब्रेनर (Sydney Brenner): दक्षिण अफ्रीका के जन्मे इस ब्रिटिश जीवविज्ञानी को 2002 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने सी. एलिगेंस को एक मॉडल जीव के रूप में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने इस कीड़े के तंत्रिका तंत्र का विस्तृत मानचित्र तैयार किया, जिसने तंत्रिका विज्ञान के क्षेत्र में क्रांति ला दी।
  • रॉबर्ट होर्वित्ज़ (Robert Horvitz): अमेरिकी जीवविज्ञानी रॉबर्ट होर्वित्ज़ को भी 2002 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने सी. एलिगेंस में प्रोग्राम्ड सेल डेथ (यानी, कोशिकाओं की नियंत्रित मृत्यु) के बारे में महत्वपूर्ण खोज की।
  • विक्टर एंब्रोस (Victor Ambros) और गेरी रुवकुन (Gary Ruvkun): इन दोनों अमेरिकी वैज्ञानिकों को 2024 में चिकित्सा का नोबेल पुरस्कार मिला। उन्होंने माइक्रोआरएनए की खोज की, जो जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने सी. एलिगेंस का उपयोग करके यह खोज की थी।

सी. एलिगेंस शोध: चिकित्सा क्षेत्र में अनुप्रयोग

सी. एलिगेंस, एक सूक्ष्म कृमि, जीव विज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मॉडल जीव के रूप में उभरा है। इस पर किए गए शोध ने न केवल जीव विज्ञान के मूलभूत सिद्धांतों को समझने में मदद की है, बल्कि चिकित्सा विज्ञान में भी अहम योगदान दिया है।

सी. एलिगेंस शोध के चिकित्सा क्षेत्र में अनुप्रयोग:

  • न्यूरोडीजेनेरेटिव रोग: सी. एलिगेंस की सरल तंत्रिका तंत्र ने वैज्ञानिकों को अल्जाइमर और पार्किंसन जैसी न्यूरोडीजेनेरेटिव बीमारियों के अध्ययन में मदद की है। इस कीड़े में तंत्रिका कोशिकाओं के मरने और तंत्रिका तंत्र के विकारों के मॉडल विकसित किए गए हैं, जिससे इन बीमारियों के कारणों और संभावित उपचारों को समझने में मदद मिली है।
  • कैंसर: सी. एलिगेंस पर कोशिका वृद्धि और मृत्यु के नियंत्रण के अध्ययन ने कैंसर जैसी बीमारियों में असामान्य कोशिका वृद्धि के तंत्र को समझने में मदद की है। इस कीड़े में कैंसर के मॉडल विकसित करके, वैज्ञानिक नए कैंसर रोधी दवाओं की खोज कर रहे हैं।
  • उम्र बढ़ना और दीर्घायु: सी. एलिगेंस का उपयोग उम्र बढ़ने की प्रक्रिया और दीर्घायु को नियंत्रित करने वाले जीनों और तंत्रों का अध्ययन करने के लिए किया जाता है। इस शोध से उम्र से संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए नए तरीके विकसित करने में मदद मिल सकती है।
  • दवा खोज: सी. एलिगेंस का उपयोग नई दवाओं की खोज के लिए एक मॉडल जीव के रूप में किया जाता है। इस कीड़े में विभिन्न बीमारियों के मॉडल विकसित करके, वैज्ञानिक नए दवाओं की प्रभावकारिता और सुरक्षा का परीक्षण कर सकते हैं।
  • जीन अभिव्यक्ति और रोग: सी. एलिगेंस में माइक्रो आरएनए की खोज ने जीन अभिव्यक्ति को नियंत्रित करने में इन छोटे अणुओं की भूमिका को उजागर किया है। यह खोज कैंसर, हृदय रोग और अन्य बीमारियों में जीन अभिव्यक्ति के असामान्यताओं को समझने में मदद करती है।
  • विकास संबंधी विकार: सी. एलिगेंस का उपयोग विकास संबंधी विकारों, जैसे कि जन्म दोषों के अध्ययन के लिए भी किया जाता है। इस कीड़े में विकास के विभिन्न चरणों का अध्ययन करके, वैज्ञानिक इन विकारों के कारणों और उपचारों को समझने की कोशिश कर रहे हैं।- AI Generated

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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