
ऋषिकेश। 18 फरवरी, 2025
उल्टी और खांसी की शिकायत पर एम्स की बाल रोग विभाग की ओपीडी में पहुंचे सात साल के बच्चे की डॉक्टर ने जांचें कराईं तो उसके फेफड़े में एक पेंच फंसा हुआ मिला। अभिभावकों ने बताया कि बच्चे ने खेल खेल में पेंच निकल लिया था।
एम्स के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की ब्रोंकोस्कोपी लैब में चिकित्सकों की टीम ने फेफड़े में फंसे पेंच को निकालकर बच्चे को खतरे से बाहर निकाल लिया। यह बच्चा अब पूरी तरह से स्वस्थ है।
पल्मोनरी मेडिसिन डिपार्टमेंट की प्रोफेसर डॉ. रुचि दुआ के अनुसार बालरोग विभाग के चिकित्सक डॉ. व्यास कुमार राठौड़ से जानकारी मिली थी कि रुड़की निवासी सात वर्ष के बच्चे को उसके अभिभावक ओपीडी में चेकअप के लिए लाए हैं। टेस्ट में पता चला कि बच्चे के फेफड़े में पेंच फंसा हुआ है।
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परिजनों ने बाल रोग विभाग के चिकित्सक को बताया कि बच्चे को 15 दिन से उल्टी ओर खांसी की शिकायत है।
बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. व्यास कुमार राठौड़ के मुताबिक, बच्चे की कुछ प्रारंभिक जांचें कराई गईं, जिसमें उसकी छाती के एक्स-रे एवं सीटी स्कैन में फेफड़े में एक पेंच दिखाई दिया है।
पल्मोनरी मेडिसिन विभाग की ब्रोकोस्कोपी प्रयोगशाला में Flexible Bronchoscopy के माध्यम से बच्चे के फेफड़े से सफलतापूर्वक पेंच को निकाल लिया गया । अब बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ एवं सुरक्षित है ।
इस टीम ने निकाला बच्चे के फेफड़े में फंसा पेंच
पल्मोनरी मेडिसिन की विशेषज्ञ चिकित्सक प्रोफेसर डॉ. रुचि दुआ के निर्देशन में टीम के सदस्य डॉ. प्रखर शर्मा, डॉ. दीपांश गुप्ता, डॉ. ऋत्विक सिंगला, डॉ. अश्वथी साबू, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. व्यास कुमार राठौड़, डॉ. मान सिंह, डॉ. श्रीजन, एनेस्थीसिया विशेषज्ञ डॉ. प्रियंका गुप्ता, डॉ. रीना , डॉ. अजहर, बाल शल्य चिकित्सा विशेषज्ञ डॉ. शौर्या व रेडियोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. राहुल देव।
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पल्मोनरी मेडिसिन के प्रोफेसर एवं विभागाध्यक्ष डॉ. गिरीश सिंधवानी के अनुसार इससे पहले भी कई जटिल मामलों का संयुक्त चिकित्सकीय दल ने सफलतापूर्वक निस्तारण किया है। ब्रोंकोस्कोपी लैब में मरीजों के फेफड़ों में फंसे बल्ब के फिलामेंट एवं पिनट्स के टुकड़े के साथ-साथ अन्य वस्तुओं को भी ब्रोंकोस्कोपी के माध्यम से निकाल कर मरीजों को स्वास्थ्य लाभ दिया गया है।
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने बताया कि एम्स,ऋषिकेश में मरीजों को विश्वस्तरीय स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराई जा रही हैं। संस्थान का प्रयास है कि किसी भी जटिल स्वास्थ्य संबंधी मामले के लिए मरीजों को अन्य राज्यों के स्वास्थ्य संस्थानों में नहीं जाना पड़े, इसके लिए जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं निरंतर उपलब्ध कराई जा रही हैं।