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मिल्की डे आइसक्रीमः उत्तराखंड के उद्यमी के हौसले की कहानी

कोविड के लॉकडाउन में 35 से 40 लाख का नुकसान, घर-जेवर रखने पड़े गिरवी

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

“हमने नवंबर 2019 में मिल्की डे (Milky Day) ब्रांड से, आइसक्रीम फैक्ट्री की शुरुआत की, गर्मियों में आइसक्रीम की बढ़ती मांग को देखते हुए लगभग 35-40 लाख का उत्पादन किया गया। हमें क्या पता था कि कोविड संक्रमण इतना फैल जाएगा कि हमारा व्यवसाय शुरू होते ही धड़ाम हो जाएगा।

“मार्च, 2020 में लॉकडाउन लग गया। हमने पूरे साल आइसक्रीम बिकने का इंतजार किया, कोल्ड रूम में रखी गई 24-25 लाख की आइसक्रीम दिसंबर 2020 तक एक्सपायर हो गई। हमें भर मन से इतने उत्पाद को बड़ा गड्ढा खोदकर दबाना पड़ा। उस साल 35-40 लाख रुपये का नुकसान झेलना पड़ा, जिसमें डिस्ट्रीब्यूटर्स को सप्लाई उत्पाद की कीमत, कर्मचारियों की तनख्वाह, बैंक की किस्तें, बिजली-पानी के बिल सहित कई जिम्मेदारियां शामिल हैं।”

देहरादून के कालूवाला गांव में ,आइसक्रीम फैक्ट्री सुंदरम डेयरी के स्वामी बुद्धि सिंह ज्याड़ा, तीन साल पहले स्थापित आइसक्रीम फैक्ट्री से जुड़े संघर्ष को साझा कर रहे थे। बुद्धि सिंह ज्याड़ा को भारत में, दूध और आइस्क्रीम के बड़े ब्रांड अमूल में लगभग 24 साल की सेवाओं का अनुभव है। 47 साल के ज्याड़ा अमूल के इंजीनियरिंग विभाग में थे।

बताते हैं, “उस साल मुझे लगा कि हम इस फैक्ट्री को और ज्यादा दिन नहीं चला पाएंगे। हम फैक्ट्री को सेल करना चाह रहे थे। पत्नी के जेवर, घर गिरवी रखने पड़े। पर, हमें अपने उन साथियों से सहयोग मिला, जिनके साथ 24 साल गुजरात, राजस्थान में अमूल ब्रांड की सेवाओं के दौरान बिताए थे।”

सुंदरम डेरी के स्वामी बुद्धि सिंह ज्याड़ा। फोटो- राजेश पांडेय

“रिश्तेदारों से, परिवार से और खासकर बैंक से मदद मिली, और फिर सोचा, देखा जाएगा, इसको आगे बढ़ाते हैं। आज भी हमें अपनी साख की वजह से कच्चा माल दो से तीन माह के क्रेडिट पर मिल जाता है। धीरे- धीरे ही सही, हम हताशा से बहुत आगे उस बड़ी उम्मीद के सहारे आगे बढ़ रहे हैं, जो लगभग तीन साल पहले जगाई। दोस्तों, शुभचिंतकों के फोन आते हैं, वो यहां विजिट करते हैं, सलाह देते हैं, मार्गदर्शन करते हैं।”

“फिर से नई शुरुआत की,  2021-22 में हमारा टर्नओवर 30 से 35 लाख रहा, जो 2022-23 में लगभग सवा करोड़ पहुंच गया। अब 2023-24 में लक्ष्य इस टर्नओवर को लगभग साढ़े तीन करोड़ तक पहुंचाना है, देखते हैं, इसमें कितना सफल होते हैं।”

सुंदरम डेयरी के आइसक्रीम ब्रांड मिल्की डे के कुछ फ्लेवर। फोटो- राजेश पांडेय

“वर्तमान में कालूवाला और आसपास के गांवों से 20 लोगों को प्रत्यक्ष तथा लगभग 40 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से आइसक्रीम रोजगार से जोड़ा है। यदि, यह कारोबार सफल हो जाता है तो 70 लोगों को प्रत्यक्ष और लगभग 500 लोगों को अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देने की योजना है।”

मिल्की डे (Milky Day) ब्रांड 85 फ्लेवर में आइसक्रीम उपलब्ध करा रहा है। आठ हजार लीटर प्रति दिन की क्षमता वाले प्लांट में इन दिनों दिनरात की शिफ्ट में आइसक्रीम बनाई जा रही है, देशभर में आइसक्रीम मार्केट के ट्रेंड को देखते हुए उम्मीद है कि इस साल मांग पिछले साल से अधिक होगी।

ज्याड़ा बताते हैं, “आइसक्रीम में बुरांश का प्रयोग पहली बार हो रहा है। टिहरी गढ़वाल की डागरपट्टी के दो गांवों के कुछ लोगों को असम भेजकर बुरांश कलेक्शन का प्रशिक्षण दिया है। इसको ठीक उसी तरह कलेक्ट किया जाता है, जैसे चाय की पत्तियों को। बुरांश हमारे खानपान से जुड़ा है। हम चाहते हैं कि देश-विदेश से उत्तराखंड आने वाले पर्यटक बुरांश की आइसक्रीम को स्वाद जरूर चखें।”

उनके अनुसार, “उत्तराखंड में आइसक्रीम के कारोबार की काफी संभावना है। यहां आइसक्रीम का बाजार लगभग 500 करोड़ का है, जिसमें हर साल लगभग 20 फीसदी बढ़ोतरी हो रही है। जबकि यहां मांग के अनुरूप उत्पादन काफी कम है।”

भारत में आइसक्रीम का बाजार कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है, IMARC Group की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में यह INR 194.1 बिलियन तक पहुंच गया। उम्मीद है कि 2028 तक बाजार 508.4 बिलियन तक पहुंच जाएगा। 2023-2028 के दौरान 17.5% की वृद्धि दर प्रदर्शित करेगा।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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