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लाल-हरी गंधारी, सुनसुनिया, मुचरी, फुटकल, पोई, बेंग हैं पोषण का खजाना

गोभी, पालक, मटर, शिमला मिर्च, गाजर और आलू जैसी सब्जियां देशभर में खाई जाती हैं। वहीं, देश के विभिन्न हिस्सों में ऐसी सैकड़ों विशिष्ट सब्जी प्रजातियां हैं, जो पोषण से भरपूर होने के बावजूद आलू, गोभी, मटर, पालक, भिंडी, लौकी, कद्दू और इनके जैसी अन्य सब्जियों की तरह लोकप्रिय नहीं हो सकीं।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के पटना एवं रांची स्थित पूर्वी अनुसंधान परिसर के शोधकर्ताओं ने झारखंड के स्थानीय आदिवासियों द्वारा उपयोग की जाने वाली पत्तेदार सब्जियों की 20 ऐसी प्रजातियों की पहचान की है, जो पौष्टिक गुणों से युक्त होने के साथ-साथ भोजन में विविधता को बढ़ावा दे सकती हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि पोषण एवं खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी सब्जियों की ये स्थानीय प्रजातियां मददगार हो सकती हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से अधिकतर सब्जियों के बारे में देश के अन्य हिस्सों के लोगों को जानकारी नहीं है।
इस अध्ययन के दौरान रांची, गुमला, खूंटी, लोहरदगा, पश्चिमी सिंहभूमि, रामगढ़ और हजारीबाग समेत झारखंड के सात जिलों के हाट (बाजारों) में सर्वेक्षण कर वहां उपलब्ध विभिन्न मौसमी सब्जियों की प्रजातियों के नमूने एकत्रित किए गए।
इन सब्जियों में मौजूद पोषक तत्वों, जैसे- विटामिन-सी, कैल्शियम, फॉस्फोरस, मैग्निशयम, पोटैशियम, सोडियम और सल्फर, आयरन, जिंक, कॉपर एवं मैगनीज, कैरोटेनॉयड्स और एंटीऑक्सीडेंट गुणों का पता लगाने के लिए नमूनों का जैव-रासायनिक विश्लेषण किया गया है।
ये पत्तेदार सब्जियां स्थानीय आदिवासियों के भोजन का अहम हिस्सा होती हैं। इनमें फाइबर की उच्च मात्रा होती है, जबकि कार्बोहाइड्रेट एवं वसा का स्तर बेहद कम पाया गया है।
शोध पत्रिका करंट साइंस में प्रकाशित यह अध्ययन अनुराधा श्रीवास्तव, आर.एस. पैन और बी.पी. भट्ट द्वारा किया गया है।
सब्जियों की इन प्रजातियों में लाल गंधारी, हरी गंधारी, कलमी, बथुआ, पोई, बेंग, मुचरी, कोईनार, मुंगा, सनई, सुनसुनिया, फुटकल, गिरहुल, चकोर, कटई/सरला, कांडा और मत्था आदि शामिल हैं।
शोधकर्ताओं ने पाया है कि जनजातीय लोग लाल गंधारी, हरी गंधारी और कलमी का भोजन में सबसे अधिक उपयोग करते हैं। वहीं, गिरहुल अपेक्षाकृत रूप से कम लोकप्रिय है।
बरसात एवं गर्मियों के मौसम में विशेष रूप से जनजातीय समुदाय के लोग खाने योग्य विभिन्न प्रकार के पौधे अपने आसपास के कृषि, गैर-कृषि एवं वन्य क्षेत्रों से एकत्रित करके सब्जी के रूप में उपयोग करते हैं।
इन सब्जियों को विभिन्न वनस्पतियों, जैसे- झाड़ियों, वृक्षों, लताओं, शाक या फिर औषधीय पौधों से प्राप्त किया जाता है।
सब्जियों को साग के रूप में पकाकर, कच्चा या फिर सुखाकर खाया जाता है। सुखाकर सब्जियों का भंडारण भी किया जाता है, ताकि पूरे साल उनका भोजन के रूप में उपभोग किया जा सके।
अलग-अलग स्थानों पर विभिन्न मौसमों में भिन्न प्रकार की सब्जियां उपयोग की जाती हैं। इनकी पत्तियों, टहनियों और फूलों को मसालों अथवा मसालों के बिना पकाकर एवं कच्चा खाया जाता है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि “उपयोगिता के बावजूद इन्हें गरीबों का भोजन माना जाता है, और व्यापक रूप से कृषि चक्र में ये सब्जियां शामिल नहीं हैं। जबकि, सब्जियों की ये प्रजातियां खाद्य सुरक्षा, पोषण, स्वास्थ्य देखभाल और आमदनी का जरिया बन सकती हैं। एक महत्वपूर्ण बात यह है कि बेहद कम संसाधनों में इनकी खेती की जा सकती है।”  साभार- इंडिया साइंस वायर

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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