यमकेश्वर के इस गांव में कुछ दिन रुके थे भगवान श्रीराम
तीन सौ साल पुराने मंदिर में स्थापित है भगवान श्रीराम की शिला
राजेश पांडेय। न्यूज लाइव
पौड़ी गढ़वाल (Pauri Garhwal) जिले के यमकेश्वर ब्लाक (Yamkeshwar Block) की ग्राम सभा रामजी वाला (Ram ji wala) का नाम भगवान श्रीराम (Lord Rama) के नाम पर रखा गया है। मान्यता है कि भगवान श्रीराम वनवास के समय इस क्षेत्र से होकर गए थे और उन्होंने यहां कुछ दिन विश्राम किया था। जिस शिला पर भगवान राम विश्राम करते थे, वो आज भी यहां है। लगभग 300 साल पहले, ग्रामीणों ने स्वयं यहां भगवान राम का मंदिर (Shri Ram Temple) बनाया है और शिला, जिस पर चरणपादुका के निशान भी हैं, तो मंदिर के गर्भगृह में प्रतिष्ठित किया गया है।
जिस गांव में मंदिर है, उसको रामजी गुठ (Ram Ji Guth) नाम से जाना जाता है, यह गांव रामजी वाला ग्राम सभा में है। इसी ग्रामसभा का दूसरा गांव रामजी रैकर (Ramji Rakar) है, जिसमें वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार 55 घरों में 219 आबादी थी, यह गांव 98.4 हेक्टेअर में फैला है, जबकि 87.3 हेक्टेअर में फैले रामजी गुठ गांव में 47 घरों में 191 लोग रहते हैं। हालांकि, कुछ वर्षों में काफी लोग गांव से पलायन कर गए हैं।
ग्रामीण भगवती शुक्ला बताते हैं, गांव में स्थित श्रीराम मंदिर में दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। विवाह के बाद वर वधु सबसे पहले आशीर्वाद के लिए मंदिर में ही आते हैं। प्रभु श्रीराम के समक्ष गुड़ का प्रसाद अर्पित किया जाता है। मंदिर में दोनों समय पूजा अर्चना होती है। मंदिर में घर में बने शुद्ध देशी घी की धूप चढ़ाई जाती है। दशहरा पर मंदिर में महापूजा होती है। यहां सच्चे हृदय से की गई मनोकामना अवश्य पूर्ण होती है।
उन्होंने बुजुर्गों से सुना है, भगवान श्री राम की शिला के संबंध में ग्रामीणों को स्वपन में पता चला। इसके बाद शिला वाले स्थान पर मंदिर बनाया गया। उस समय यहां ईंटें प्रचलन में नहीं थीं। पत्थरों को काटकर मंदिर बनाया गया। चूने व सीमेंट के स्थान पर उड़द की दाल की पिट्ठियों से चिनाई की गई। मंदिर की चौखट भी पत्थरों की कटिंग से बनी हैं। मंदिर की छत गुंबदनुमा है, पहले के समय में ऐसे ही निर्माण होता था।
कैसे पहुंचें रामजी वाला
रामजीवाला पहुंचने के लिए ऋषिकेश से चीला नहर के किनारे होते हुए कुनाऊं इलाके से राजाजी टाइगर रिजर्व एरिया में प्रवेश करके पहले कौड़िया- किमसार जाना होगा। राजाजी पार्क एरिया का 12 किमी. का रास्ता तय करने के बाद यमकेश्वर ब्लाक के तल्ला बणास, मल्ला बणास, किमसार गांव पहुंचेंगे। जहां से लगभग चार से पांच किमी. दूर है रामजीवाला ग्रामसभा के गांव। यह रोड आगे भृगुखाल होते हुए कोटद्वार से जुड़ा है। इन रूट पर थोड़ा संभलकर वाहन चलाने की आवश्यकता है।
पर्यटन स्थल बन सकती है भीम के हुक्के की गिट्टी
रामजी वाला में बड़ी चट्टानों का समूह है, जिनमें एक बड़ी चट्टान पर बड़ा चौकोर पत्थर रखा है, जिसे भीम के हुक्के की गिट्टी के नाम से पहचाना जाता है। ग्रामीण शशिकांत कंडवाल बताते हैं, हुक्के की गिट्टी, हुक्के में पानी और तंबाकू के बीच होती है, जो तंबाकू या आग को पानी में गिरने से रोकती है।
कंडवाल बताते हैं, पहले यहां बड़ी संख्या में लोग भीम के हुक्के की गिट्टी को देखने आते थे, पर अब तो गांव ही पलायन करने लग गया। यहां आसपास झाड़ झंकाड़ उग गया। इस स्थान को टूरिस्ट के आकर्षण का केंद्र बनाया जा सकता है। इतने सारी चट्टानों का समूह पर्यटकों को बहुत पसंद आएगा।
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नियोविजन संस्था के संस्थापक सॉफ्टवेयर इंजीनियर गजेंद्र रमोला भीम के हुक्के की गिट्टी को देखकर इस बात पर आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि, अभी तक इस शानदार पर्यटन एवं पौराणिक महत्व के स्थल को प्रचारित नहीं किया गया। जबकि इसको पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करते स्थानीय लोगों की आर्थिकी का स्रोत विकसित किया जा सकता है।
वहीं कंडवाल बताते हैं, इन पत्थरों के समूह से ठीक लगभग पांच से सात किमी. गहराई में एक जलधारा है, जिसमें तंबाकू की खुश्बू आती है। हो सकता है, इस जलधारा का इस तंबाकू की गिट्टी से कोई संबंध हो।