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उत्तराखंड के आधारभूत ढांचे का तेजी से विकास हो रहा हैः राष्ट्रपति

उत्तराखंड राज्य स्थापना दिवस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने संबोधित किया

देहरादून। राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने देहरादून में उत्तराखंड राज्य के स्थापना दिवस समारोह में शामिल होकर उत्तराखंड के निवासियों को राज्य के स्थापना दिवस की शुभकामनाएं दीं। उन्होंने इस बात पर प्रसन्नता जताई कि उत्तराखंड के मेहनती लोग अपनी इस नई पहचान के साथ प्रगति और विकास के नए प्रतिमान स्थापित कर रहे हैं।
पुलिस लाइन देहरादून में राज्य स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित भव्य कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने कहा, उत्तराखंड का भौतिक और डिजिटल संपर्क लगातार बढ़ रहा है। राज्य के आधारभूत ढांचे का तेजी से विकास हो रहा है। सरकार आपदा प्रबंधन पर भी विशेष रूप से ध्यान दे रही है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में हुई बहुआयामी प्रगति से निवेशकों में उत्साह का संचार हुआ है।

राष्ट्रपति ने कहा कि उन्हें यह जानकर खुशी हुई कि देहरादून में आगामी ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के लिए रोड-शो के दौरान पिछले सप्ताह तक 81,500 करोड़ रुपए से अधिक के समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने भरोसा जताया कि इन प्रयासों से उत्तराखंड के युवाओं के लिए रोजगार का सृजन होगा।

राष्ट्रपति को इस बात से भी खुशी हुई कि सरकार उत्तराखंड के विकास में पारिस्थितिकी और अर्थव्यवस्था दोनों पर जोर दे रही है। उन्होंने सकल पर्यावरण उत्पाद (जीईपी) का आकलन करने की राज्य सरकार की पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधन मौजूद हैं, ऐसे में राज्य जीडीपी के साथ-साथ राज्य जीईपी पर ध्यान केंद्रित करने से सतत विकास को बल मिलेगा।

राष्ट्रपति ने कहा कि उत्तराखंड वीरों की भूमि रहा है। यहां के युवा देश की सशस्त्र सेनाओं में बड़ी संख्या में भर्ती होते हैं और भारत माता की रक्षा करने में गर्व महसूस करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्र की रक्षा का यह जुनून देश के हर एक नागरिक के लिए अनुकरण करने योग्य है। उन्होंने इस बात को रेखांकित किया कि भारतीय सेना की दो रेजिमेंट – कुमाऊं रेजिमेंट और गढ़वाल रेजिमेंट – का नाम उत्तराखंड के दो प्रमुख क्षेत्रों के नाम पर है। उन्होंने कहा कि यह उत्तराखंड की वीरता परंपरा को रेखांकित करता है।

इस अवसर पर राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने कहा,  हम डिजिटल क्रांति के युग में आगे बढ़ रहे हैं। साइबर सिक्योरिटी हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। इस दिशा में नई से नई टेक्नोलॉजी को सुरक्षा उपायों में शामिल करने की दिशा में आगे बढ़ रहें हैं। सरकार पारदर्शिता को बढ़ावा देने का कार्य कर रही है।

मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आज पूर्व प्रधानमंत्री श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी को स्मरण करना आवश्यक है, उन्हीं के कार्यकाल में उत्तराखंड राज्य का स्वप्न साकार हुआ था। अटल जी द्वारा पुष्पित युवा उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए हम पूरी निष्ठा के साथ निरंतर प्रयासरत हैं।
उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की प्रेरणा से हमारी सरकार उत्तराखंड को देश का श्रेष्ठ राज्य बनाने के लिए दिन रात कार्य कर रही है। हमारी सरकार विकास के लिए प्रतिबद्ध है, जनता के प्रति जवाबदेह है, भरोसेमंद है तथा अपने कार्य में दक्ष है। 23 वर्ष में पहली बार बहुत से काम हुए हैं।
मुख्यमंत्री ने घोषणा की, प्रदेश की मातृशक्ति के समग्र विकास एवं सशक्तिकरण के उद्देश्य से ’’महिला नीति’’ लाई गई है, जिसको शीघ्र लागू किया जाएगा। देवभूमि के भविष्य को सुरक्षित रखने के लिए ’’बाल श्रम उन्मूलन’’ के लिए समस्त विभागों के समन्वय के साथ विशिष्ट कार्ययोजना बनाई जाएगी।
उन्होंने कहा कि ड्रग्स फ्री उत्तराखंड के स्वप्न को साकार करने के लिए हमने ’’नशा मुक्त ग्राम’’ और ’’नशा मुक्त शहर’’ की योजना लाई गई है, ऐसे क्षेत्रों को विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। राज्य निर्माण में मातृशक्ति की महत्वपूर्ण भूमिका रही है और महिलाएं हमारे राज्य की रीढ़ हैं।
इस अवसर पर विधानसभा अध्यक्ष रितु खंडूड़ी, कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी, सुबोध उनियाल, डॉ. धन सिंह रावत, प्रेमचंद अग्रवाल, विधायक खजान दास मुख्य सचिव डॉ. एसएस संधू, डीजीपी अशोक कुमार सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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