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स्वास्थ्य सचिव ने स्वास्थ्य कार्मिकों और जनहित में लिए बड़े फैसले

उत्तराखंड स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति की 38वीं कार्यकारिणी समिति की बैठक

देहरादून। कुमाऊं मंडल के चार दिवसीय दौरे से लौटने के बाद राज्य सचिवालय में शुक्रवार को स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर राजेश कुमार ने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण समिति की 38वीं कार्यकारिणी समिति की बैठक ली। सचिव चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा डॉ. आर. राजेश कुमार की अध्यक्षता में हुई कार्यकारिणी की बैठक में कई बड़े फैसलों पर मुहर लगी। राज्य के कई अस्पतालों में अभी भी स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी है, जिसको देखते हुए यू कोट वी पे का चौथा चरण जल्द शुरू होगा, ताकि सभी जनपदों में प्राथमिकता के आधार पर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की तैनाती हो सके।

जल्द शुरू होगा यू कोट वी पे का चौथा चरण
स्वास्थ्य सचिव डॉ. आर. राजेश कुमार ने बताया, प्रदेश की चिकित्सा इकाइयों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की नियुक्ति के लिए संचालित यू कोट वी पे मॉडल का चौथा चरण जल्द शुरू किया जाएगा, जिसमें सर्जन, गायनोलॉजिस्ट, रेडियोलॉजिस्ट, ऑर्थाेपेडिक, एनेस्थेटिक, पैथोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशन, मनोवैज्ञानिक आदि पदों पर विशेषज्ञ चिकित्सकों को नियुक्त कर सीमांत जनपदों में आमजन को स्वास्थ्य लाभ हेतु सेवाएं दी जाएगी।

एनएचएम के कर्मचारियों को तोहफा
स्वास्थ्य सचिव ने दीपावली से पहले एनएचएम कर्मियों को बड़ा तोहफा दिया है। राज्य के विभिन्न अस्पतालों में भ्रमण के दौरान एनएचएम कर्मियों ने स्वास्थ्य सचिव के सामने यह मांग रखी थी, जिस पर आज उन्होंने अपनी मुहर लगा दी। कार्यकारिणी समिति की बैठक में प्रेदश में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन में कार्यरत पात्र कार्मिकों को पितृत्व अवकाश, बाल्य देखभाल अवकाश व बाल दत्तक अवकाश का लाभ उत्तराखंड शासन नियमावली के अनुसार दिए जाने पर सहमति प्रदान की गई।

बैठक में स्वाति भदौरिया मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन, अमनदीप कौर अपर सचिव स्वास्थ्य, सुनीता टम्टा निदेशक स्वास्थ्य, प्रभारी अधिकारी डॉ. अमित शुक्ला, डॉ. राजन अरोड़ा, डॉ. पकंज कुमार, डॉ. फरीदुज़फ़र, डॉ. मुकेश रॉय, महेंद्र मौर्य, राज्य कार्यक्रम अधिकारी एनएचएम, कविता कौशल कंसल्टेंट मानव संसाधन सहित अन्य अधिकारी व कर्मचारी उपस्थित रहे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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