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Uttarakhand Election: हरीश रावत ने माफी मांगी, यूजर बोले- मेरे मुंह से निकल गई भैया…

देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने अपनी एक बात के लिए माफी मांगी है। इसके लिए उन्होंने एक ट्वीट किया है। रावत कहते हैं कि उन्होंने प्रेस के सामने घमंडपूर्ण उद्बोधन किया था। मेरे शब्द से अहंकार झलकता है।

रावत ट्वीट करते हैं,  कल प्रेस कान्फ्रेंस में थोड़ी गलती हो गई, मेरा नेतृत्व शब्द से अहंकार झलकता है। चुनाव मेरे नेतृत्व में नहीं बल्कि मेरी अगुवाई में लड़ा जाएगा। मैं अपने उस घमंडपूर्ण उद्बोधन के लिए क्षमा चाहता हूं, मेरे मुंह से वह शब्द शोभा जनक नहीं है।
उनके इस ट्वीट पर यूजर्स की प्रतिक्रिया बड़ी मजेदार हैं। एक यूजर लिखते हैं- मेरे मुंह से निकल गई भैय्या।
एक अन्य यूजर लिखते हैं – राहुल गांधी को पसंद नहीं आया होगा ये बयान तभी क्षमा मांग रहे हो। बाकी कांग्रेस आपसे है उत्तराखंड में ना की आप कांग्रेस से हैं। 
एक यूजर्स लिखते हैं- दरअसल रावत जी जुबां पर दिल की बात चली आई। एक पहाड़ी और कांग्रेस समर्थक होने के नाते मैं आपकी इज्जत करता हूं, लेकिन आप पिछले कुछ दिनों के कार्यकलाप से दिल में सिर्फ खटास पैदा हुई है। शायद यही बात आप कुछ बेहतर अंदाज से भी कह सकते थे।
एक और यूजर ने लिखा- हरदा जी यह तो वही बात है अरे मेरे मुंह से निकल गई।
एक यूजर ने लिखा, वाह! क्या बात है। गर्वित शब्द को वापस लेना आजकल के राजनेताओं में बहुत कम ही दिखता है। हम काँग्रेसीजनों को गर्व है कि जमीनी नेता हमारी अगुवाई कर रहा है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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