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प्रधानमंत्री ने शौर्य चक्र विजेता वरुण सिंह के पत्र का जिक्र किया, हर छात्र को पढ़ना चाहिए यह पत्र

नई दिल्ली। रविवार को मन की बात की 84 वीं कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु में हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद हुए ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह के एक पत्र का जिक्र किया। कैप्टन वरुण सिंह ने यह पत्र इस साल अगस्त में शौर्य चक्र से सम्मानित होने के बाद अपने स्कूल के प्रिंसिपल को लिखा था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, महाभारत के युद्ध के समय, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कहा था – ‘नभः स्पृशं दीप्तम्’ यानि गर्व के साथ आकाश को छूना। ये भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य भी है। माँ भारती की सेवा में लगे अनेक जीवन आकाश की इन बुलंदियों को रोज़ गर्व से छूते हैं, हमें बहुत कुछ सिखाते हैं।
ऐसा ही एक जीवन रहा ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह का। वरुण सिंह, उस हेलीकॉप्टर को उड़ा रहे थे, जो इस महीने तमिलनाडु में हादसे का शिकार हो गया। उस हादसे में, हमने, देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी समेत कई वीरों को खो दिया। वरुण सिंह भी हमें छोड़कर चले गए।
इस साल अगस्त में ही उन्हें शौर्य चक्र से सम्मानित किया गया था। इस सम्मान के बाद उन्होंने अपने स्कूल के प्रिंसिपल को एक चिट्ठी लिखी थी। इस चिट्ठी को पढ़कर मेरे मन में पहला विचार यही आया कि सफलता के शीर्ष पर पहुँचकर भी वे जड़ों को सींचना नहीं भूले। दूसरा, जब उनके पास celebrate करने का समय था, तो उन्होंने आने वाली पीढ़ियों की चिंता की।
वो चाहते थे कि जिस स्कूल में वो पढ़े, वहाँ के विद्यार्थियों की जिंदगी भी एक celebration बने। अपने पत्र में वरुण सिंह जी ने अपने पराक्रम का बखान नहीं किया बल्कि अपनी असफलताओं की बात की। कैसे उन्होंने अपनी कमियों को काबिलियत में बदला, इसकी बात की।
इस पत्र में एक जगह उन्होंने लिखा है – “ It is ok to be mediocre. Not everyone will excel at school and not everyone will be able to score in the 90s. If you do, it is an amazing achievement and must be applauded. However, if you don’t, do not think that you are meant to be mediocre. You may be mediocre in school but it is by no means a measure of things to come in life. Find your calling – it could be art, music, graphic design, literature, etc. Whatever you work towards, be dedicated, do your best. Never go to bed, thinking, I could have put-in more efforts.
(” सामान्य होना ठीक है। हर कोई स्कूल में उत्कृष्ट नहीं होगा और हर कोई 90 में स्कोर नहीं कर पाएगा। यदि आप ऐसा करते हैं, तो यह एक अद्भुत उपलब्धि है और इसकी सराहना की जानी चाहिए। हालाँकि, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं, तो यह न सोचें कि आप सामान्य हैं। आप स्कूल में सामान्य हो सकते हैं, लेकिन यह जीवन में आने वाली चीजों का कोई पैमाना नहीं है। आप वो चुनें, जो आप चाहते हैं, यह कला, संगीत, ग्राफिक डिज़ाइन, साहित्य आदि हो सकता है। आप जो भी काम करते हैं, समर्पित रहें, अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करें।
इसी पत्र में ग्रुप कैप्टन वरुण सिंह ने लिखा है –
“Never lose hope. Never think that you cannot be good at what you want to be. It will not come easy, it will take sacrifice of time and comfort. I was mediocre, and today, I have reached difficult milestones in my career. Do not think that 12th board marks decide what you are capable of achieving in life. Believe in yourself and work towards it.”
(“कभी उम्मीद मत छोड़ो। यह कभी न सोचें कि आप जो बनना चाहते हैं उसमें आप अच्छे नहीं हो सकते। यह आसान नहीं होगा, इसमें समय लगेगा और आराम को छोड़ना होगा। मैं सामान्य था, और आज, मैं अपने करियर में कठिन लक्ष्य तक पहुँच गया हूँ। ऐसा मत सोचो कि 12वीं बोर्ड के अंक तय करते हैं कि आप जीवन में क्या हासिल करने में सक्षम हैं। खुद पर विश्वास रखें और उस दिशा में काम करें।”)
वरुण ने लिखा था कि अगर वो एक भी student को प्रेरणा दे सकें, तो ये भी बहुत होगा। लेकिन, आज मैं कहना चाहूँगा – उन्होंने पूरे देश को प्रेरित किया है। उनका letter भले ही केवल students से बात करता हो, लेकिन उन्होंने हमारे पूरे समाज को सन्देश दिया है।
हर साल मैं ऐसे ही विषयों पर विद्यार्थियों के साथ परीक्षा पर चर्चा करता हूँ। इस साल भी exams से पहले मैं students के साथ चर्चा करने की planning कर रहा हूँ। इस कार्यक्रम के लिए दो दिन बाद 28 दिसंबर से MyGov.in पर registration भी शुरू होने जा रहा है। ये registration 28 दिसंबर से 20 जनवरी तक चलेगा। इसके लिए क्लास 9 से 12 तक के students, teachers, और parents के लिए online competition भी आयोजित होगा। मैं चाहूँगा कि आप सब इसमें जरूर हिस्सा लें। आपसे मुलाक़ात करने का मौका मिलेगा। हम सब मिलकर परीक्षा, career, सफलता और विद्यार्थी जीवन से जुड़े अनेक पहलुओं पर मंथन करेंगे। साभार- पीआईबी

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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