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दूध से भरे ड्रम में गिरे दो चूहों की बात

एक बार, दो चूहे खाने की तलाश में एक डेयरी में पहुंच गए। वो उछल कूद करते हुए दूध से भरे ड्रम में गिर गए। दोनों में से एक भी तैरना नहीं जानता था। इस वजह से दोनों दूध में डूबने लगे। इनमें से एक ने दूसरे से कहा, दोस्त लगता है कि हम डूब रहे हैं। यहां से बाहर निकलने के काफी संघर्ष करना होगा।

दूसरे ने कहा, दोस्त हम तैरना तो जानते नहीं और यहां कोई हमारी मदद के लिए भी नहीं आएगा, लगता है हम ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह पाएंगे। अब तो कोई करिश्मा ही हमें बचा सकता है। जवाब में पहले वाले चूहे ने कहा- दोस्त, हमें घबराना नहीं चाहिए। प्रयास जारी रखने चाहिए। हम इस मुसीबत से बाहर निकल जाएंगे।

कुछ मिनट बाद, दूसरा चूहा, जो निराश होकर घबरा गया था, ने हाथ पैर चलाने बंद कर दिए। वह थोड़ी देर की कोशिश के बाद ही हार मान बैठा और डूब गया। जबकि उसका साथी लगातार पैर चला रहा था। वह लगातार पिछले पंजों को इस तरह चला रहा था, मानो आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हो। वह डूबना नहीं चाहता था और अंतिम दम तक प्रयास करना चाहता था। क्योंकि उसने उम्मीद बांध रखी थी कि कुछ समय बाद वह दूध से भरे ड्रम से बाहर निकल जाएगा।

उसके प्रयास रंग लाने लगे। उसके पंजे चलाने के क्रम में दूध मथने लगा और सतह पर क्रीम की मोटी परत बनने लगी। अब वह मोटी परत के ऊपर था और डूब नहीं रहा था। थोड़ी देर में ही वह कूदकर दूध से भरे ड्रम से बाहर निकल आया। अब इस चूहे को इस बात का एहसास हो गया कि भगवान भी उसी की मदद करते हैं, जो स्वयं की मदद के लिए प्रयास करते हैं। इसलिए किसी करिश्मे या किस्मत के भरोसे रहकर प्रयास नहीं छोड़ने चाहिए।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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