दूध से भरे ड्रम में गिरे दो चूहों की बात
एक बार, दो चूहे खाने की तलाश में एक डेयरी में पहुंच गए। वो उछल कूद करते हुए दूध से भरे ड्रम में गिर गए। दोनों में से एक भी तैरना नहीं जानता था। इस वजह से दोनों दूध में डूबने लगे। इनमें से एक ने दूसरे से कहा, दोस्त लगता है कि हम डूब रहे हैं। यहां से बाहर निकलने के काफी संघर्ष करना होगा।
दूसरे ने कहा, दोस्त हम तैरना तो जानते नहीं और यहां कोई हमारी मदद के लिए भी नहीं आएगा, लगता है हम ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रह पाएंगे। अब तो कोई करिश्मा ही हमें बचा सकता है। जवाब में पहले वाले चूहे ने कहा- दोस्त, हमें घबराना नहीं चाहिए। प्रयास जारी रखने चाहिए। हम इस मुसीबत से बाहर निकल जाएंगे।
कुछ मिनट बाद, दूसरा चूहा, जो निराश होकर घबरा गया था, ने हाथ पैर चलाने बंद कर दिए। वह थोड़ी देर की कोशिश के बाद ही हार मान बैठा और डूब गया। जबकि उसका साथी लगातार पैर चला रहा था। वह लगातार पिछले पंजों को इस तरह चला रहा था, मानो आगे बढ़ने की कोशिश कर रहा हो। वह डूबना नहीं चाहता था और अंतिम दम तक प्रयास करना चाहता था। क्योंकि उसने उम्मीद बांध रखी थी कि कुछ समय बाद वह दूध से भरे ड्रम से बाहर निकल जाएगा।
उसके प्रयास रंग लाने लगे। उसके पंजे चलाने के क्रम में दूध मथने लगा और सतह पर क्रीम की मोटी परत बनने लगी। अब वह मोटी परत के ऊपर था और डूब नहीं रहा था। थोड़ी देर में ही वह कूदकर दूध से भरे ड्रम से बाहर निकल आया। अब इस चूहे को इस बात का एहसास हो गया कि भगवान भी उसी की मदद करते हैं, जो स्वयं की मदद के लिए प्रयास करते हैं। इसलिए किसी करिश्मे या किस्मत के भरोसे रहकर प्रयास नहीं छोड़ने चाहिए।