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मुख्यमंत्री धामी ने पांच माह में पांच वर्ष के बराबर कार्य कियाः तेजस्वी सूर्या

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि युवाओं में अपने कार्य के प्रति जुनून होना चाहिए, अपने जीवन में उन्होंने जो भी संकल्प लिया है, उसमें विकल्प न आने दें। संकल्प में विकल्प आने से भटकाव आने लगता है। लगातार चलने से निश्चित ही सफलता मिलती है।
सोमवार को अपने आवास स्थित मुख्य सेवक सदन भेंट कक्ष में आयोजित यूथ कैन लीड कार्यक्रम में शामिल मुख्यमंत्री ने विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाले युवाओं को संबोधित करते हुए कहा, युवाओं को अपने कार्य क्षेत्र में दक्षता के साथ कार्य करना होगा, किसी की भी प्रतिभा को छिपाया नहीं जा सकता, मनुष्य नहीं उसका कार्य एवं व्यवहार बोलता है।
इस अवसर पर सांसद तेजस्वी सूर्या ने कहा कि उत्तराखंड देव भूमि है। आदि शंकराचार्य ने कर्नाटक में श्रृंगेरी मठ तथा बद्रीनाथ व केदारनाथ में धर्म पुनर्रोत्थान का कार्य कर कर्नाटक और उत्तराखंड को जोड़ने का भी कार्य किया। उत्तराखंड वीर भूमि भी है। इंडियन मिलिट्री एकेडमी से पास आउट होने वाले सैन्य अफसरों में 10 प्रतिशत उत्तराखंड से होते हैं, जबकि राष्ट्रीय जनसंख्या में उत्तराखंड का औसत एक प्रतिशत ही है।
उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की भूमि ने देश को पहला सीडीएस दिया। उन्होंने दिवंगत सीडीएस जनरल बिपिन रावत का भी स्मरण कर उनको नमन किया। सूर्या ने युवा मुख्यमंत्री धामी के कार्यों की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने 5 माह में 5 वर्ष के बराबर कार्य किया है। वो युवा राजनीति के प्रेरणास्त्रोत बन गए हैं।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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