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धंसता जोशीमठः प्रभावित परिवारों को डेढ़ लाख रुपये अंतरिम सहायता, धामी पहुंचे जोशीमठ

131 परिवार शिफ्ट किए, दो होटल के अलावा किसी भवन को नहीं तोड़ा जा रहाः मीनाक्षी सुंदरम

देहरादून।  जोशीमठ शहर के धंसने की आपदा को लेकर उत्तराखंड सरकार ने प्रभावित परिवारों के लिए तात्कालिक तौर डेढ़ लाख रुपये की अंतरिम सहायता देने का निर्णय लिया है। सचिव मुख्यमंत्री आर. मीनाक्षी सुंदरम ने प्रेस वार्ता में बताया, प्रभावित परिवारों को तात्कालिक तौर पर 1.50 लाख रुपये अंतरिम सहायता के रूप में दिए जा रहे हैं, जिसमें 50 हजार रुपये घर शिफ्ट करने तथा एक लाख रुपये आपदा राहत मद से एडवांस हैं। उधर, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने जोशीमठ में प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया और स्थानीय नागरिकों से मुलाकात की।

उन्होंने बताया, कि जोशीमठ में अभी तक भू-धंसाव के कारण दो होटल जिनसे आस-पास के भवनों के लिए भी खतरा उत्पन्न हुआ है, उनको डिस्मेंटल करने का आदेश दिया गया है। इसके अलावा, अभी किसी का भी भवन नहीं तोड़ा जा रहा है।

सचिव मुख्यमंत्री के अनुसार, भू-धंसाव से प्रभावित भवनों का सर्वे किया जा रहा है। जो लोग किराये के घर पर जाना चाहते हैं, उनको सरकार द्वारा छह माह तक ₹4000 प्रति माह किराया दिया जा रहा है। भू-धंसाव के कारण 723 भवनों को चिन्हित किया गया है और सुरक्षा के दृष्टिगत आज तक 131 परिवारों के 462 लोगों को अस्थाई राहत शिविरों में विस्थापित किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि स्थानीय लोगों के हितों का पूरा ध्यान रखा जाएगा। भू-धंसाव से जो भी प्रभावित हुए हैं, उन्हें बाज़ार दर पर मुआवजा दिया जाएगा।

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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