Featuredimprovement yourself

इनके शब्द बदल देते हैं जिंदगी

मोटिवेशनल स्पीकर अपने शब्दों से आपमें कुछ ऐसा कार्य करने के लिए सकारात्मक ऊर्जा का संचार कर देते हैं, जिसे अाप कठिन समझते हो। वह आपको जाग्रत करने का काम करते हैं। वो आपको चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करते हैं। आपमें वो साहस पैदा करते हैं, जिसकी जीवन को बदलने में जरूरत होती है। उनको सुनना वाकई यादगार पल होता है। हम आपका दुनिया के कुछ शीर्ष मोटिवेशनल स्पीकर से परिचय कराते हैं। हमारी यह सीरीज आगे भी जारी रहेगी।  
निक वुजिकिक ऑस्ट्रेलिया के निवासी हैं। इनका जन्म  4 दिसंबर 1982 को मेलबोर्न में हुआ था। जन्म के समय वुजिकिक टेट्रा-अमेलिया सिंड्रोम से ग्रस्त थे। जन्म से ही उनके हाथ-पैर नहीं हैं। इसमें कोई शक नहीं है, निक के लिए यह स्थिति वाकई जीवन को बहुत कठिन बना रही हैं। उनको मानसिक और शारीरिक रूप से संघर्ष करना पड़ा। इसी बात ने उन्होंने लाइफ विदआउट लिंब्स संस्था की स्थापना के लिए प्रेरित किया। यह नॉन प्राफिट आर्गेनाइजेशन है। निक सभी के लिए एक सच्ची प्रेरणा हैं। यू ट्यूब पर इनके प्रेरक भाषणों को सुना जा सकता है। 
“यह सोचना भी गलत है कि आप पर्याप्त नहीं हैं। यह सोचना भी गलत है कि आप किसी चीज़ के लायक नहीं हैं। “– निक वुजिकिक
ब्रायन ट्रेसी का जन्म 5 जनवरी 19 44 को वैंकूवर, कनाडा में हुआ था। वह ब्रायन ट्रेसी इंटरनेशनल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हैं, जो विशेष रूप से व्यक्तियों और संगठनों को प्रशिक्षित करने और विकसित होने में सहायता करता है। ब्रायन का टारगेट लोगों को अपने लक्ष्यों को अधिक कुशलता से प्राप्त करने और पूरी क्षमता हासिल करने में मदद करना है। उनकी जीवनभर की उपलब्धियां अभूतपूर्व हैं। बड़ी संख्या में व्यवसायों को परामर्श करते हैं। बड़ी संख्या में सेमिनारों की मेजबानी करते हैं। हर मिनट जो आप किसी प्लान पर खर्च करते हैं, वह क्रियान्वयन में दस मिनट बचाता है। यह उस कार्य में लगने वाली ऊर्जा का 1000 फीसदी रिटर्न करता है। ब्रायन ट्रेसी 
पेशे से वकील रॉबिन शर्मा का 1964 में नेपाल में जन्म हुआ था। शर्मा ने 199 5 से 2011 तक 15 पुस्तकें लिखी हैं, जो आत्म सहायता और नेतृत्व के विषय में हैं। उनकी सबसे लोकप्रिय किताबों में से एक; ‘द मांक हू सॉल हिज फेरारी’ की दुनियाभर में 50 लाख से अधिक प्रतियां बिक चुकी हैं। यह पुस्तक जूलियन नाम के पात्र पर है, जो अचानक दिल का दौरा पड़ने के बाद अपने घर और फेरारी को बेचकर आध्यात्मिक यात्रा पर जाने का फैसला करती है। रॉबिन शर्मा की 12 किताबें वैश्विक स्तर पर बेस्ट सेलर रहीं। वह नेतृत्व और आत्म विकास पर लिखने वाले दुनिया के जाने माने लेखक हैं। 
“सपने देखने वालों को अव्यवहारिक रूप से मजाक किया जाता है। सच्चाई यह है कि वे सबसे व्यावहारिक हैं, क्योंकि उनके नवाचार हम सबके लिए प्रगति और जीवन का बेहतर तरीका बन जाते हैं। “– रॉबिन एस शर्मा
डॉ. वेन डयेर  का जन्म 10 मई 1940 को डेट्रायट में हुआ था, और उन्होंने बचपन एक अनाथालय में बिताया था। डेयर ने अपनी शिक्षक की नौकरी छोड़ दी और मॉटिवेशनल स्पीकर का करिअर शुरू किया। पहली बार डेयर ने जो पुस्तक लिखी, उसकी अब तक 35 लाख से अधिक प्रतियां बिकी हैं। 
“जुनून वह अहसास है, जो आपको बताता है कि यह करना सही बात है। मेरे रास्ते में कोई भी बाधा नहीं आ सकती। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता है कि कोई क्या कहता है। यह अहसास इतना अच्छा है कि इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता। मैं अपनी इच्छा के इस कार्य को करने जा रहा हूं, जो मुझे सकारात्मक बनाता है।”– डॉ. वेन डयेर 

ज़िग ज़िगलर का जन्म 6 नवंबर 1926 को अलबामा में हुआ था। 28 नवंबर,2012 में  उनका निधन हो गया। ज़िग ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सेना में काम किया। युद्ध के बाद कई अलग-अलग कंपनियों में  बतौर सेल्समैन किया। बाद में एक ऑटोमोटिव परफॉरमेन्स कंपनी के उपाध्यक्ष बने। प्रेरित करने वाले सेमिनारों को संबोधित करने लगे। 1975 में पहली पुस्तक ‘ सी यू एट द टॉप ‘ लिखी। 1975 और 2012 की अवधि के दौरान कम से कम 15 पुस्तकें लिखीं। उन्होंने नेतृत्व  विकास पर काफी लिखा। “आप जीवन में वह सब कुछ हासिल कर लोगे, जो आप चाहते हो, यदि आप अन्य लोगों को वो सब पाने में मदद करते हो, जो वो चाहते हैं।” – ज़िग ज़िगलर

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button