
Start-ups India: लैवेंडर की खेती से जम्मू कश्मीर में बैंगनी क्रांति
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले के सुदूर गांव खिलानी के युवा भारत भूषण ने पेश की मिसाल
जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले का सुदूर गांव खिलानी के युवा भारत भूषण सफलता की अनुकरणीय कहानी बन चुके हैं। उन्होंने सीएसआईआर-आईआईआईएम के सहयोग से लगभग 0.1 हेक्टेयर भूमि में लैवेंडर की खेती शुरू की। इसके बाद, जैसे-जैसे लाभ होना शुरू हुआ, उन्होंने अपने घर के आस-पास मक्के के खेत के एक बड़े क्षेत्र को भी लैवेंडर के बागान में बदल दिया। आज उनके पास 20 कर्मचारी हैं, जो लैवेंडर के खेतों और पौधशाला में काम कर रहे हैं। वहीं, उनके जिले के लगभग 500 किसानों ने भी मक्के को छोड़कर बारहमासी फूल वाले लैवेंडर पौधे की खेती शुरू करके भारत भूषण का अनुसरण किया है।
केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने “स्टार्ट-अप इंडिया” में “बैंगनी क्रांति” में जम्मू-कश्मीर का योगदान बताया और युवा भारत भूषण के स्टार्ट अप को साझा किया। उन्होंने बताया कि इस पहल की शुरुआत 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की थी। आज हम पहला राष्ट्रीय स्टार्ट अप दिवस मना रहे हैं।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के जरिए अरोमा मिशन की शुरुआत की थी, जिसने भारत में प्रसिद्ध “बैंगनी क्रांति” को जन्म दिया है।
सीएसआईआर ने कई जिलों में खेती के लिए जम्मू स्थित अपनी प्रयोगशाला- इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंटीग्रेटिव मेडिसिन (आईआईआईएम) के जरिए उच्च मूल्य की जरूरी तेल वाली लैवेंडर फसल की शुरुआत की थी। शुरुआत में डोडा, किश्तवाड़, राजौरी और इसके बाद अन्य जिलों, जिनमें रामबान और पुलवामा आदि शामिल हैं, इसे शुरू किया गया था। थोड़े ही समय में अरोमा/लैवेंडर की खेती कृषिगत स्टार्ट-अप के लिए कृषि में लोकप्रिय विकल्प बन गई है।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने एक तथ्य, जिसके बारे अधिकतर लोगों को जानकारी नहीं है, साझा किया। उन्होंने बताया कि भारत भूषण नाम के जिले के लगभग 500 किसानों ने भी मक्के को छोड़कर लैवेंडर पौधे की खेती शुरू की है।
उन्होंने कहा, दुर्भाग्यपूर्ण है कि स्थानीय मीडिया में यह कभी नहीं बताया गया कि आईआईआईएम, जम्मू अरोमा और लैवेंडर की खेती में लगे स्टार्ट-अप्स को उनकी उपज बेचने में सहायता कर रही है।
मुंबई स्थित अजमल बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड, अदिति इंटरनेशनल और नवनैत्री गमिका जैसी प्रमुख कंपनियां इसकी प्राथमिक खरीदार हैं।
आजादी का अमृत महोत्सव पर डॉ. जितेंद्र सिंह ने घोषणा की कि सीएसआईआर ने अरोमा मिशन का पहला चरण पूरा होने के बाद इसका दूसरा चरण शुरू किया है।
आईआईएम के अतिरिक्त अब सीएसआईआर-आईएचबीटी, सीएसआईआर-सीआईएमएपी, सीएसआईआर-एनबीआरआई और सीएसआईआर-एनईआईएसटी भी अरोमा मिशन में हिस्सा ले रही हैं।
अरोमा मिशन पूरे देश से स्टार्ट-अप्स और कृषकों को आकर्षित कर रहा है। इसके पहले चरण के दौरान सीएसआईआर ने 6000 हेक्टेयर भूमि पर खेती में सहायता की। इस मिशन को देश के 46 आकांक्षी जिलों में संचालित किया गया। इसके तहत 44,000 से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया और किसानों को कई करोड़ रुपये की आय की प्राप्ति हुई है।
वहीं, अरोमा मिशन के दूसरे चरण में पूरे देश के 75,000 से अधिक कृषक परिवारों को लाभान्वित करने के उद्देश्य से 45,000 से अधिक कुशल मानव संसाधनों को इसमें शामिल करने का प्रस्ताव है।