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वाणिज्यिक ट्रकों के चालकों के लिए ड्राइविंग के घंटे तय होंः गडकरी

नई दिल्ली। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने थकान की वजह से होने वाली सड़क दुर्घटनाओं को कम करने के लिए पायलटों के समान वाणिज्यिक वाहनों के ट्रक चालकों के लिए वाहन चलाने (ड्राइविंग) के घंटे तय करने पर जोर दिया है।

गैर-सरकारी सह-चयनित व्यक्तिगत सदस्यों के साथ राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा परिषद (एनआरएससी) की बैठक में उन्होंने अधिकारियों को यूरोपीय मानकों के अनुरूप वाणिज्यिक वाहनों में ऑन-बोर्ड स्लीप डिटेक्शन सेंसर लगाने की नीति पर काम करने का निर्देश दिया।

केंद्रीय मंत्री ने परिषद को हर दो महीने में बैठक करने और अपने अपडेट साझा करने का निर्देश दिया। गडकरी ने कहा कि जिला सड़क समिति की बैठकें नियमित रूप से सुनिश्चित करने के लिए मुख्यमंत्रियों और जिलाधिकारियों को भी पत्र लिखेंगे।

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मंत्रालय ने  28 जुलाई 2021 को नए एनआरएससी का गठन किया गया था। बैठक में सभी 13 गैर-सरकारी सह-चयनित व्यक्तिगत सदस्यों ने भाग लिया। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों ने बैठक में हिस्सा लिया। बैठक के दौरान सदस्यों ने सड़क सुरक्षा में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण सुझाव दिए।

मंत्री ने सभी सदस्यों को सड़क सुरक्षा के विविध क्षेत्रों में काम करने की सलाह दी, ताकि सड़कों पर लोगों की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित की जा सके और सदस्यों से एक दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करने का भी अनुरोध किया।

उन्होंने मंत्रालय के अधिकारियों को एनआरएससी सदस्यों के साथ करीबी समन्वय में काम करने और उनके सुझावों को प्राथमिकता से लागू करने का भी निर्देश दिया। सड़क सुरक्षा के क्षेत्र में प्राप्त उपलब्धियों को एक मासिक पत्रिका में पेश किया जाएगा।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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