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राज्य के हर घर तक बिजली की निर्बाध आपूर्ति सरकार की प्राथमिकताः सीएम

मुख्यमंत्री धामी आईआईटी रुड़की में सोलर एनर्जी पर आधारित सम्मेलन में वर्चुअल रूप से शामिल हुए

देहरादून। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने बुधवार को आईआईटी रुड़की में सोलर एनर्जी पर आधारित ‘पेरोवस्काइट सोसाइटी ऑफ इंडिया मीट-2023’ में खटीमा से वर्चुअल प्रतिभाग किया। उन्होंने कहा, अनुकूल मौसम होने के कारण उत्तराखंड में सौर ऊर्जा से संबंधित परियोजनाएं विकसित करने की अपार संभावनाएं हैं। राज्य सरकार सौर ऊर्जा के उचित प्रयोग से प्रदेश में “ऊर्जा क्रांति“ लाने के लिए प्रयासरत है।

मुख्यमंत्री धामी ने कहा, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भारत में वैकल्पिक ऊर्जा संसाधनों को बढ़ावा देकर ऊर्जा के क्षेत्र में पूर्ण सुरक्षा और स्वतंत्रता प्राप्त करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। उत्तराखंड को 2025 तक देश का अग्रणी राज्य बनाने के लिए राज्य सरकार “विकल्प रहित संकल्प” के साथ आगे बढ़ रही है। प्रदेश सरकार की प्राथमिकता राज्य के प्रत्येक घर तक बिजली की निर्बाध आपूर्ति सुनिश्चित करना है।

उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा, सेमिनार के माध्यम से प्रदेश में सौर ऊर्जा के कुशल संचालन के लिए  बहुमूल्य सुझाव प्राप्त होंगे। यह सेमिनार एक रोडमैप विकसित करने में मददगार साबित होगा, जिससे हम उत्तराखंड राज्य के साथ-साथ सम्पूर्ण भारतवर्ष में सौर ऊर्जा का अधिक से अधिक उपयोग कर सकेंगे।

इस अवसर पर वर्चुअल माध्यम से विधायक रुड़की प्रदीप बत्रा, आईआईटी रूड़की के निदेशक प्रो. केके पन्त, सेमिनार के संयोजक प्रो. सौमित्र सतपति एवं विभिन्न प्रदेशों से आए वैज्ञानिक उपस्थित थे।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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