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उत्तराखंड को Most Film Friendly State का पुरस्कार

राष्ट्रपति ने फिल्म फेयर अवार्ड समारोह में महानिदेशक बंशीधर तिवारी को पुरस्कार प्रदान किया

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू ने उत्तराखंड को Most Film Friendly State (Special Mention) पुरस्कार प्रदान किया है। यह पुरस्कार दिल्ली में आयोजित 68वें फिल्म फेयर अवाड् र्स 2022 में राज्य की ओर से सूचना महानिदेशक बंशीधर तिवारी ने प्राप्त किया।
सूचना महानिदेशक व उत्तराखण्ड फिल्म विकास परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी तिवारी ने कहा कि कहा, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने फिल्म उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए हैं। यह पुरस्कार मिलने के बाद प्रदेश में फिल्म शूटिंग को और अधिक प्रोत्साहन मिलेगा।
महानिदेशक तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री प्रदेश की फिल्म नीति को और अधिक आकर्षक और व्यावहारिक बना रहे हैं। इससे राज्य में फिल्म निर्माण क्षेत्र को और अधिक प्रोत्साहित किया जा सकेगा।
उत्तराखंड फिल्म विकास परिषद के नोडल अधिकारी डॉ. नितिन उपाध्याय ने बताया कि उत्तराखंड को यह पुरस्कार राज्य में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए दिया गया है। राज्य सरकार ने फिल्म निर्माताओं की सुविधाओं के दृष्टिगत आकर्षक फिल्म नीति लागू की है। राज्य में एक साल में डेढ़ सौ से अधिक फिल्मों, धारावाहिकों, डाक्यूमेंट्री आदि की शूटिंग की गई है। इनमें द कश्मीर फाइल, मीटर चालू, बत्ती गुल, परमाणु, बाटला हाउस, कबीर सिंह, केदारनाथ, नरेन्द्र मोदी, रागदेश, तड़प, वार, Man vs Wild जैसे कई नाम शामिल हैं।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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