
- पं अतुल कंडवाल
- स्वतंत्र विचारक, धर्मप्रेमी
हिन्दू धर्म में पितरों को विशेष स्थान है। सूर्य जब कन्या राशि में आता है, तब श्राद्ध पक्ष शुरू होता है। इस ग्रह योग में पितृलोक पृथ्वी के करीब होता है, यह ग्रह योग अश्विन कृष्ण पक्ष में बनता है। श्राद्ध पक्ष को महालय और पितृपक्ष के नाम से भी जाना जाता है। श्राद्ध पक्ष में अपने वंश परिवार, पितरों के प्रति श्रद्धा प्रकट करने का अवसर प्राप्त होता है।
पितृ पक्ष 17 सितम्बर से दो अक्टूबर 2024 तक है।
अपनी क्षमता और श्रद्धा के अनुसार जरूर करें पितृ पूजन
पितृ पूजन से परिवार में सुख शांति और समृद्धि आती है। शास्त्रों के अनुसार मनुष्य पर देव, ऋषि, पितृ ऋण मुख्यतः होते है। पितृ ऋण से मुक्ति पाने के लिए श्राद्धपक्ष प्रमुख अवसर है।
पूजन, तर्पण, पितृ यज्ञ आप घर, तीर्थ गंगातट पर करा सकते हैं। शास्त्रों एवं लोकाचार के अनुसार, हरिद्वार में नारायणी शिला, चमोली जिले में श्री बद्रीनाथ धाम और बिहार में गया जी, ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट स्थित ऋषि कुंड पितृ पूजन के लिए विशेष महत्व रखते हैं।
विशेष पूजन
प्रजापति कश्यप सोम, वरुण तथा योगेश्वरों के रूप में स्थित पितरों को सदा हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं। चन्द्रमा के आधार पर प्रतिष्ठित तथा योगमूर्तिधारी पितृगणों को मैं प्रणाम करता हूं।
इन्द्रादीनां च नेतारो दक्षमारीचयोस्तथा..!
सप्तर्षीणां तथान्येषां तान् नमस्यामि कामदान्..!!
जो इन्द्र आदि देवताओं, दक्ष आदि सप्तर्षियों तथा दूसरों के भी नेता हैं। कामनापूर्ति करने वाले उन पितरों को मैं प्रणाम करता हूं। तथा सम्पूर्ण जगत के पिता सोम को मैं प्रणाम करता हूं।
मन्वादीनां च नेतार: सूर्याचन्दमसोस्तथा!
तान् नमस्यामहं सर्वान् पितृनप्युदधावपि !!
जो मनु आदि राजर्षियों, मुनिश्वरों तथा सूर्य और चन्द्रमा के भी नायक हैं। उन समस्त पितरों को मैं जल और समुद्र में भी नमस्कार करता हूं।
नक्षत्राणां ग्राहणां च वाय्वग्न्योर्नभसस्तथा !
धावापृथिवोव्योश्रच तथा नमस्यामि कृताञजलि: !!
नक्षत्रो ग्रहों, वायु, अग्नि, आकाश और पृथ्वी के भी जो नेता हैं, उन पितरों को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं। वे हमारे देवर्षियों के जन्म दाता, समस्त लोकों द्वारा वादित तथा सदा अक्षय फल के दाता हैं। उन पितरो को मैं हाथ जोड़कर प्रणाम करता हूं। पितृ पक्ष संयमित जीवन और जीवित माता-पिता की सेवा का दिव्य पितृ यज्ञ है।
पंडित अतुल कंडवाल वर्तमान में ऋषिकेश के पास मुनिकी रेती में निवास करते हैं। आप मूल रूप से गांव ठंठोली, पौड़ी गढ़वाल के निवासी हैं। आप प्रमुख भागवत कथा वाचक हैं।