Blog LiveFeaturedUttarakhandWomen

नियो नारीः 19 साल की सृष्टि से महिलाएं करती हैं अपने मन की बात

लक्खीबाग में हर माह महिलाओं से जुड़े मुद्दों पर होती है खुली चर्चा

राजेश पांडेय। न्यूज लाइव

शाम करीब साढ़े पांच बजे, नियो नारी की पाठशाला में 50 से अधिक महिलाएं उपस्थित हैं, जिनको 19 साल की सृष्टि स्वच्छता और स्वास्थ्य पर जानकारियां दे रही हैं। देहरादून शहर के घने इलाके लक्खीबाग के एक तंग गलीनुमा मोहल्ले की बड़ी आबादी को जागरूक करने के लिए उनकी यह पहल इसी साल फरवरी से शुरू हुई है। नियो नारी पाठशाला हर माह लगती है, जिसमें महिलाएं अपने मन की बात कहती हैं। यहां महिलाओं के मुद्दों पर बात होती है। सृष्टि स्वास्थ्य और स्वच्छता पर बात जरूर करती हैं। चमोली जिला के नगरासू की रहने वाली सृष्टि देहरादून में श्री गुरुरामराय महाविद्यालय में बीएससी फर्स्ट ईयर की छात्रा हैं।

नियो नारी का विचार कैसे आया और यह महिलाओं की जागरूकता के लिए क्या प्रयास कर रहा है। महिलाओं से इस पहल को कितना समर्थन मिल रहा है। यह अभियान उनके लिए कितना लाभकारी है, इन्हीं कुछ सवालों के जवाब जानने के लिए हमने सृष्टि से मिलने का निर्णय लिया। लक्खीबाग की जिस गली के अंतिम छोर में बने दो कमरों में नियो नारी की पाठशाला चल रही थी, वह इतनी संकरी है कि वहां दोपहिया भी नहीं चला सकते। दोनों तरफ घरों के बीच से होकर बह रही नालियों के ऊपर से, कभी किनारे से होते हुए अंतिम छोर पर पहुंच पाएंगे। नियो नारी, उसी नियो विजन संस्था की एक विंग है, जिसका संचालन सॉफ्टवेयर इंजीनियर गजेंद्र रमोला लगभग 13 वर्ष से कर रहे हैं। कमाल की बात यह है कि यह निशुल्क स्कूल किसी प्रोजेक्ट का हिस्सा नहीं है, इसके लिए कहीं से कोई पैसा नहीं मिलता, बल्कि गजेंद्र स्वयं के प्रयासों से इसको चला रहे हैं।

देहरादून के लक्खीबाग इलाके में 19 साल की सृष्टि स्वच्छता और स्वास्थ्य पर जानकारियां दे रही हैं। फोटो- मोगली

नियो नारी पाठशाला में उपस्थित अधिकतर महिलाएं, बिहार के दरभंगा और मुजफ्फरपुर जिलों की रहने वाली हैं, जो रोजगार के सिलसिले में वर्षों से देहरादून में रह रहे हैं। असंगठित क्षेत्रों में रोजगार कर रहे ये परिवार रोजमर्रा की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए चुनौतियों का सामना करते हैं।

जब हम वहां पहुंचे, उस समय सृष्टि उनको स्वच्छता और स्वास्थ्य के बीच संबंध को बता रही थीं। सृष्टि कह रही थीं कि स्वच्छता रहेगी तो स्वास्थ्य अच्छा रहेगा, स्वास्थ्य अच्छा रहेगा तो दवाइयों पर पैसा खर्च नहीं होगा। स्वच्छता का संबंध आपकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने से भी है। उन्होंने पास-पड़ोस और मोहल्ले में स्वच्छता के साथ व्यक्तिगत स्वच्छता पर भी जोर दिया। उन्होंने महिलाओं से पिछले महीने की पाठशाला में हुई गतिविधियों पर भी चर्चा की।

इस महीने की पाठशाला का विषय है संस्कृति, यानी भाषा-बोली, तीज-त्योहार। सृष्टि का कहना था, आप अपनी भाषा बोली से हमेशा जुड़े रहें। अपनी मातृभाषा बोली में बात करिए। इसमें हिचकिचाने की जरूरत नहीं है। बच्चों को भी भोजपुरी और मैथिली में बात करने के लिए प्रेरित करें। पाठशाला में लक्खीबाग की आरती कहती हैं, मुझे मैथिली में बात करने में कोई हिचकिचाहट नहीं है। यह मेरी मातृभाषा है। मुझे अच्छा लगता है, जब कोई मेरे साथ मैथिली में बात करता है। मुझे मैथिली गीत पसंद है, जिनको मैं गुनगुनाती हूं। आरती ने छठ पर्व के बारे में बताया।

सृष्टि ने पूछा, अपनी संस्कृति से हमें क्यों प्यार होना चाहिए, पर एक महिला कहती हैं, संस्कृति तो हमारी जड़ों की तरह हैं। बच्चों को अपनी भाषा बोली, रीति रिवाज और पर्व के बारे में बताना इसलिए जरूरी है, क्योंकि कल वो पूछेंगे कि हम कहां से हैं। एक अन्य महिला कहती हैं, अपनी भाषा बोली को लेकर हिचकिचाना क्यों।

लक्खीबाग निवासी आरती ने मैथिली में “शिवगुरु के टेढ़ी मेढ़ी राहिया…” सुनाया। फोटो- मोगली

लक्खीबाग निवासी आरती ने मैथिली में “शिवगुरु के टेढ़ी मेढ़ी राहिया…” सुनाया। उन्होंने इस गीत का अर्थ भी समझाया। लक्खीबाग की ही रहने वालीं राजकुमारी ने “मिथिला में खुली है दुकान, राधा रानी क्या चाहिए…” सुनाया। छठी मैया की आराधना करते हुए राजकुमारी और महिलाओं ने “छठी मईया होई न सहईया…” भक्ति गीत गाया।

सृष्टि ने महिलाओं से जानना चाहा कि वर्तमान में उनकी प्राथमिकताएं क्या हैं। इस पर रूपम ने कहा, वह घरों में कामकाज करती हैं। बिहार के एक गांव से परिवार के साथ देहरादून इसलिए आई हैं, ताकि उनके बच्चों को अच्छी पढ़ाई मिल सके। यहां किराये के मकान में रहते हैं। उनका एक बेटा और दो बेटियां हैं। बच्चों की पढ़ाई उनकी पहली आवश्यकता है। वो नहीं चाहती कि बच्चों को जीवन में उनकी तरह संघर्ष करना पड़े। इसलिए उनकी पढ़ाई पर ज्यादा ध्यान है। उनको विश्वास है कि एक दिन बच्चे उनका नाम रोशन करेंगे। उनको बच्चों की पढ़ाई के लिए मदद की जरूरत है।

नियो नारी की पाठशाला में लक्खीबाग निवासी राजकुमारी ने “मिथिला में खुली है दुकान, राधा रानी क्या चाहिए…” सुनाया। फोटो- मोगली

लक्खीबाग निवासी राजकुमारी बताती हैं, उनका बेटा ओपन यूनिवर्सिटी से एमबीए कर रहा है। उसने देहरादून के एक कॉलेज से बीबीए किया था। वो पढ़ाई के साथ पार्ट टाइम कुछ काम करना चाहता है, जिससे उसकी पढ़ाई का खर्चा निकल सके।

मीनू का कहना है, बच्चों की परवरिश बेहतर हुई तो हमारा संघर्ष सफल हो जाएगा। यहां करीब 13 साल पहले नियोविजन संस्था के गजेंद्र रमोला ने बच्चों की निशुल्क पाठशाला शुरू की थी। बच्चों को इस पाठशाला तक लाने में उनको बहुत दिक्कतें उठानी पड़ी। यहां इधर-उधर घूमने वाले, स्कूल नहीं जाने वाले बच्चों की संख्या अधिक थी। आज आसपास ऐसी स्थिति नहीं है, बच्चे स्कूल जा रहे हैं। अभिभावकों में भी बच्चों की शिक्षा को लेकर जागरूकता बढ़ी है। नियो नारी की पाठशाला में, जितनी भी महिलाएं उपस्थित हैं, सभी के बच्चे स्कूल जा रहे हैं।

लक्खीबाग में नियो नारी की पाठशाला में महिलाओं ने अपनी संस्कृति पर चर्चा की। फोटो- मोगली

मीना पासवान, जो कभी नियोविजन की पाठशाला में पढ़ती थीं, ने संस्था की मदद से बीएससी एनिमेशन किया। वर्तमान में निजी कंपनी में जॉब कर रही हैं और शाम को इस पाठशाला में बच्चों को पढ़ाती हैं। मीना कहती हैं, यहां हालात बदल रहे हैं और अभिभावक बच्चों की पढ़ाई को लेकर जागरूक हैं।

हमने महिलाओं से पूछा, नियो नारी की पाठशाला उनके लिए कितनी लाभकारी है। वो बताती हैं, यहां सभी महिलाओं को एक साथ मिलने का अवसर मिलता है। एक दूसरे से अपने मन की बात कर लेती हैं। अपनी बात कहने से मुश्किलें दूर हो जाती हैं।  सृष्टि बताती हैं, नियो नारी महिलाओं का मंच है, जहां उनको अपनी बात कहने के लिए प्रेरित किया जाता है। संकोच में बातों को साझा नहीं करने से मुश्किलें बढ़ सकती हैं। यहां सभी एक दूसरे को सहयोग करते हैं।

लक्खीबाग में नियो नारी की पाठशाला में महिलाओं ने अपनी संस्कृति पर चर्चा की। फोटो- मोगली

सृष्टि महिलाओं से कहती हैं, मैं आपके परिवार की सदस्य हूं। मैं आपको भाभी कहती हूं, आपको मेरे सामने अपनी बात कहने में हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। वो महिलाओं से स्वच्छता एवं स्वास्थ्य पर खुलकर चर्चा करती हैं।

“यहां संवाद का तरीका बहुत सरल है और हम महिलाओं के साथ हल्के फुल्के अंदाज में बात करते हैं। हमारा मकसद जागरूकता और सशक्तिकरण को बढ़ावा देना है। फरवरी में नियो नारी की पहली पाठशाला लगी थी, जून में यह पांचवां सत्र था। इसकी कोई तिथि निर्धारित नहीं है, पर हमें महीने में एक दिन अवश्य मिलना होता है,” सृष्टि कहती हैं।

देहरादून के लक्खीबाग में नियो नारी की पाठशाला में सृष्टि, मीना पासवान और सोमेश के साथ। फोटो- मोगली

नियो नारी की पाठशाला के समापन पर सृष्टि और उनकी टीम महिलाओं को सैनेटरी नैपकीन बांटते हैं। साथ ही, यह भी समझाती हैं,  महिलाएं स्वस्थ रहेंगी तो परिवार की जिम्मेदारी बेहतर तरीके से निभा पाएंगी। परिवार की खुशहाली और बच्चों की अच्छी परवरिश के लिए महिलाओं का स्वास्थ्य बेहतर रहना अत्यंत आवश्यक है। इसलिए संकोच करने की आवश्यकता नहीं है।

नियो विजन के संस्थापक गजेंद्र रमोला बताते हैं, नियो नारी की पाठशाला में रचनात्मक गतिविधियां कराने की योजना है, जिनके माध्यम से महिलाओं को उनके अधिकारों के बारे में बताया जाएगा।

हम यहां रहते हैं-

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button