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नंदकेसरी गांव में मां नंदा का पौराणिक मंदिर

  • जेपी मैठाणी

गढ़वाल तथा कुमाऊं के मध्य बसे नंद केसरी गांव में मां नंदा का पौराणिक मंदिर है। यहां की बोली भाषा एवं रीति रिवाज भी कुमाऊं से मिलते हैं। नंदा देवी के जागरों में वर्णित किया गया है कि मां पार्वती ने अपनी आंखों के केसों को झाड़कर केसरी देवी काे उत्पन्न किया था, उनके नाम पर इनका नाम नंद केसरी हुआ।

जेपी मैठाणी

वस्तुतः नंद केसरी जनपद चमोली के ब्लाक थराली और देवाल के मध्य सड़क मार्ग के दोनों ओर बसा हुआ एक गांव है। यहां पर मां नंदा देवी का पौराणिक मंदिर है।मंदिर की प्रमुख विशेषता है कि इस मंदिर में पूजा ठाकुर पुजारी करते हैं। यह बात मंदिर के पुजारी दयाल सिंह ने बताई। किवदंती है कि पिंडारी ग्लेशियर से निकलने वाली पिंडर नदी के किनारे एक दैत्य से छिपकर मां नंदा यानी मां पार्वती नदी किनारे गुफा में छिप गई थीं, उस गुफा के मुंह पर रखा गया पत्थर दैत्य ने अपने सींग से फाड़ दिया था, यह पत्थर आज भी वहां पड़ा है। तब मां भगवती ने इस दैत्य का वध किया। जिस खेत में मां नंदा और दैत्य का युद्ध हुआ, वो खेत आज भी बड़े ही रहस्य का केंद्र है, क्योंकि मंदिर के पास स्थित खेत के चारों ओर अन्य खेतों में गेहूं उगता है, लेकिन आज भी उस खेत में जिसमें युद्ध हुआ था, फसल नहीं उगती।

फोटो- संजय भंडारी
फोटो- संजय भंडारी

    इस मंदिर में कई पौराणिक मूर्तियां हैं, जिनमें भगवती नंदा की मूर्ति, शंकराचार्य काल, पांडवों के समय की मां काली की मूर्ति विराजमान हैं।  लाटू देवता लिंग रूप में स्थित हैं। बासुदेव जी की आधी मूर्ति है, जिसमें कृष्ण जी उनके सिर पर सूप में विराजमान हैं। अष्टभैरव लिंग स्वरूप में हैं। इस स्थान पर स्थित शिव मंदिर में दक्षप्रजापति का आधा सिर कटा हुआ बकरी की तरह दृष्टिगोचर होता है। यहां एक विचित्र संयोग है कि मंदिर परिसर में एक विशाल वृक्ष है, जिसकी उम्र का सही अनुमान नहीं लग पाया है, लेकिन पांच प्रकार के वृक्ष जिसमें सुरई, पैयां, पिलुखा, आकाश बेल औऱ आम हैं। ये पांचों वृक्ष एकसाथ उगे हैं यानी इनकी एक ही जड़ दिखाई देती है। हालांकि 1972 में बज्रपात की वजह के वृक्ष के कुछ हिस्से को नुकसान पहुंचा था।  पेड़ के चारों और चबूतरा बना है। माना जाता है कि यह मां नंदा का निवास स्थल है।

कैसे पहुंचे नंदकेसरी- ऋषिकेश से लगभग 250 किमी., हरिद्वार से 270 किमी., देहरादून से 295 किमी. की दूरी पर स्थित है। नंदकेसरी कर्णप्रयाग से देवाल मोटर मार्ग पर स्थित है।

कब आएं- यह मंदिर 12 महीने दर्शनों के लिए खुला रहता है।

 

Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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