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हरीश रावत ने राहुल गांधी को चिट्ठी में बता डाली ‘दिल की बात’

देहरादून। उत्तराखंड में 2022 में विधान सभा चुनाव होने हैं। राजनीतिक दलों की सक्रियता बढ़ गई है। सोशल मीडिया पर देखें तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सबसे आगे दिखते हैं।

पूर्व सीएम रावत ने सोशल मीडिया पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी को संबोधित पत्र में पहले 2002 में ना कह देने और फिर 2012 में उनको नहीं पूछे जाने के दर्द को भी बयां कर दिया। उन्होंने लिखा है, 2014 में भी हिमालयन त्रासदी के बाद पुनर्वास और पुनर्निर्माण का सवाल नहीं होता तो शायद मैं मुख्यमंत्री नहीं होता, लेकिन मैं मुख्यमंत्री बना।

रावत की सोशल मीडिया पर राहुल गांधी को लिखी चिट्ठी यह है-

#राहुल जी, हम भी राहुल हैं और जीवन की अंतिम सांस तक कांग्रेस का झंडा थाम करके खड़े रहने वाले लोग हैं। सुश्री सुष्मिता देव के तृणमूल का दामन थामने से मुझे न आश्चर्य हुआ, न दु:ख हुआ। ये कुछ अंग्रेजी दां, कंप्यूटर दां, सुविधाओं के आदि हैं इनको जहां अच्छा पद मिला, ये वहां भागने वाले लोग हैं।

ये #हरीश_रावत नहीं हैं, 2002 में पार्टी ने ना कहा तो पार्टी का झंडा थाम करके खड़ा रहा, 2007 में बहुमत बना लिया था जोड़-तोड़ से ही सही, दिल्ली से पार्टी ने बयान जारी किया कि मैंडेट भाजपा के पक्ष में है, कांग्रेस जोड़-तोड़ की राजनीति नहीं करती है, हमने अपने साथ खड़े लोगों को कहा आप स्वतंत्र हैं, हमारे साथ रहना चाहें या जहां चाहें, भाजपा की सरकार बनी।

2012 में CLP व PCC अध्यक्ष भी अपनी-2 सीटों पर संघर्ष में जुटे रहे, हरीश रावत हेलीकॉप्टर लेकर गाढ़-गधेरे, दांडे-कांडों में चुनाव प्रचार में जुटा रहा।

मुख्यमंत्री चयन की बात आई तो मुझसे एक शब्द पूछा तक नहीं गया, 2014 में भी हिमालयन त्रासदी के बाद पुनर्वास और पुनर्निर्माण का सवाल नहीं होता तो शायद मैं आज भी मुख्यमंत्री नहीं होता लेकिन मैं मुख्यमंत्री बना, कांग्रेस ने बनाया हमेशा उसका ऋणी रहूंगा और इस समय भी कोरोना से बुरी तरीके से संतप्त शरीर को लेकर के भी कांग्रेस की आवाज बुलंद कर रहा हूंँ।

आप युवाओं को जोड़ने का अपना अभियान मत छोड़िये, उससे हतोत्साहित नहीं होना है। ये अमीर घरों के अमीर जादे थे, गरीब घरों के नौजवान जो संघर्ष से निकल करके आये हैं, वो पहले भी और आज भी, आगे भी कांग्रेस का झंडा थाम करके रहेंगे।

एक जा रहा है तो आगे आने वाले लोगों के लिए रास्ता प्रशस्त हो रहा है, लोग और शिद्दत के साथ “#कांग्रेस_लाओ-राहुल लाओ” के नारे को बुलंद कर रहे हैं।

आज भी ऐसे लाखों कांग्रेस कार्यकर्ता हैं जिन्होंने आपकी दादी के साथ कांग्रेस लाने का संघर्ष किया है, जिन्होंने आपके पिताजी के साथ सांप्रदायिकता और विभाजन की ताकतों से लड़कर के 21वीं सदी के भारत बनाने के संकल्प को आगे बढ़ाने का काम किया है, आपकी माताश्री के साथ संघर्ष करके कांग्रेस को फिर से सत्ता में लाने का काम किया है।

जरा उन योद्धाओं का एक बार आवाहन करिए, उन बूढ़ी हड्डियों में संघर्ष से तपा हुआ तेज है, बल है, वो आज भी जब सोनिया जी कह रही हैं कि यह #लोकतंत्र बचाने का संघर्ष है, यह अपनी आजादी को बचाने का संघर्ष है तो ऐसे संघर्ष में वो पीछे नहीं रहेंगे और आपके पीछे झंडा लेकर के खड़े होंगे।

आपने ठीक कहा है जो जाना चाहते हैं जाएं, जो मोदी जी से डरे हुये हैं वो आज नहीं तो कल चले जाएं, लेकिन जो संघर्ष से तपे हुये लोग हैं वो झंडा थाम करके आपके साथ रहेंगे और जो संघर्ष करना चाहते हैं, वो सब नई पीढ़ी के लोग भी आपके पीछे आकर के खड़े होंगे।

“जय हिंद”

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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