FeaturedPoliticsUttarakhand
उत्तराखंड चुनाव 2022ः जनता से जुड़ने के लिए बचपन में लौट गए हरीश रावत
उत्तराखंड में 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। राजनीति में जनता और कार्यकर्ताओं से जुड़ाव के लिए सोशल मीडिया से बेहतर कोई विकल्प फिलहाल इस समय नजर नहीं आता, क्योंकि सबसे ज्यादा लोग, खासकर युवा यहीं पर हैं। सोशल मीडिया का इस्तेमाल रावत अच्छी तरह जानते हैं, अपने प्रतिद्वंद्वियों के लिए भी और जनता से जुड़ने के लिए भी।
हरीश रावत ने एक शुरुआत की है, जिसको वो यादों का सिलसिला हैशटैग के साथ पेश कर रहे हैं। एक पोस्ट में रावत अपने बचपन का एक किस्सा साझा करते हैं। यह किस्सा इतने रोचक तरीक से लिखा गया है कि कोई भी इसे पूरा पढ़े बिना नहीं छोड़ेगा।
आप भी पढ़िएगा-
जब आप मन को कुरेदते हैं तो यादों का एक सिलसिला चल पड़ता है। मैं छोटा #बच्चा था, तब मैं 5-6 साल का रहा हूंगा। किसी बात में मुझे डाट पड़ गई तो मैं नाराज होकर के एक #पिरूल के ढेर में छिप गया, बड़ी आवाजें लगी।
नैनिहाल नजदीक में था, मैं भागकर के बहुधा #नैनिहाल में अपनी माँ की माँ चंद्रा अम्मा की गोद में चला जाता था, वहाँ मुझे खाने के लिए गुड़-घी बहुत अच्छी-अच्छी चीजें मिलती थी, तो लोगों ने समझा कि वहीं गया होगा, वहां आवाज लगाई उन्होंने कहा यहां नहीं आया है तो मेरी चारों तरफ खोज होने लगी कि मैं गया कहाँ!
जहाँ मैं छिपा पड़ा था, उसके बगल में आकर के एक बड़ी सी #बिल्ली बैठ गई। मैं पूरी बिल्ली तो देख नहीं पाया, लेकिन उसकी कुछ धारियां जैसी दिखाई दी तो मुझे लगा #बाघ आ गया और मैं डर के मारे बिल्कुल चुप-चाप, शायद सांस तक नहीं ले रहा था कि कहीं बाघ मुझ पर झपट न पड़े, उसी समय मेरी एक चाची घोठ में #गाय-भैसों को घास (चारा) देने के लिए आयी तो मुझे वहीं मौका लगा।
फेसबुक पर पूर्व सीएम हरीश रावत की पोस्ट पढ़ने के लिए क्लिक करें
मैंने कहा “#काकी_मैं_यां_छौं” मतलब चाची मैं यहां हूँ तो चाची ने सबसे कहा हरीश तो यहाँ छिपा है, तब तक वो बिल्ली भाग गई, क्योंकि जब बिल्ली ने आवाज सुनी और उधर चाची की आवाज सुनी तो, बिल्ली तो भाग गई, लेकिन मैं पकड़ में आ गया और उस दिन मेरी बड़ी पिटाई हुई कि तुमने सबको परेशान कर दिया करके, और भी बहुत सारी बचपन की यादे हैं, मैं उनको भी जल्दी ही आपके साथ साझा करूंगा।
इस पोस्ट के साथ उन्होंने अपने बचपन की एक फोटो भी साझा की है। फोटो और पोस्ट आपको सीधा पर्वतीय गांवों से जोड़ते है। रावत ने शब्दों और वाक्यों को भी पर्वतीय गांवों से जुड़ाव का माध्यम बनाया है। जैसा कि उन्होंने बताया, मैं पिरूल के ढेर में छिप गया। उन्होंने बिल्ली को बाघ समझने और उससे डरने का भी जिक्र किया। “#काकी_मैं_यां_छौं” के जरिये सभी को भाषा बोली से जोड़ा।
सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्होंने पर्वतीय गांवों में बाघ (गुलदार) के खतरे के प्रति भी आगाह किया।
रावत ने बचपन की और भी बहुत सारी यादों को साझा करने का वादा किया है। इस पोस्ट को पढ़ने के बाद तो, निश्चित रूप से सभी को उनकी अगली पोस्ट का इंतजार रहेगा। इसे कहते हैं सभी को अपने से जोड़ना।
हालांकि यह पोस्ट राजनीतिक नहीं है, पर आगामी चुनाव को देखते हुए Public Engagement के लिए बेहतर जरिया तो है।
Keywords:- #Harishrawat, #Childhood, #Uttarakhandelection2022, #Uttarakhand2022, #HarishrawatSocialmedia