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चुनाव ड्यूटी में लगी गाड़ियों का किराया बढ़ाया, ड्राइवरों को भी मिलेगा मानदेय

लोकसभा चुनाव 2024ः राज्य में अभी तक 3.60 करोड़ मूल्य की सामग्री जब्त की गई

देहरादून। न्यूज लाइव

अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी विजय कुमार जोगदंडे ने सचिवालय स्थित मीडिया सेंटर में प्रेस ब्रीफिंग करते हुए कहा कि अभी तक इलेक्शन सीजर मैनेजमेंट सिस्टम (ई.एस.एम.एस) के अंतर्गत राज्य में अभी तक 3.60 करोड़ मूल्य की जब्ती हुई है।

अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि निर्वाचन टीमों को पोलिंग बूथ तक ले जाने के लिए जिन वाहनों का इस्तेमाल किया जाएगा, इस बार उनका किराया बढ़ाया गया है।

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उन्होंने बताया कि पहले छोटे वाहनों के लिए ₹750, बड़े वाहनों के लिए ₹1800 शुल्क तय किया गया था, इस बार इसको बढ़ाते हुए छोटे वाहनों के लिए ₹1430, बड़े वाहनों के लिए ₹2840 और 30 सीटर से बड़े वाहनों के लिए ₹3800 प्रतिदिन के हिसाब से किराया शुल्क तय किया गया है।< अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि सभी वाहनों को ईंधन का शुल्क अलग से वहन किया जाएगा। वाहन चालकों के लिए पहली बार ₹150 प्रतिदिन उनके खान-पान के लिए और ₹200 प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय उपलब्ध कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि पोलिंग पार्टियों के साथ जाने वाले वाहनों के चालकों को रहने और खाने की व्यवस्था संबंधित जिला निर्वाचन अधिकारियों के माध्यम से की जाएगी। अपर मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने कहा कि जानकारी मिली है कि निर्वाचन के समय शादियों की तिथियां भी आ रही है, इसको देखते हुए जिला निर्वाचन अधिकारियों, RTO व ARTO को निर्देश दिए गए हैं कि इस तरह से वाहनों का प्रबंध करें कि वैवाहिक कार्यक्रमों हेतु पर्याप्त संख्या में वाहन उपलब्ध रहें।

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    राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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