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रिसर्चः आपके भोजन का नींद और बुद्धि से नाता

सप्ताह में एक बार मछली खाने से उच्च बौद्धिक क्षमता (आईक्यू) और बेहतर नींद में वृद्धि होती है। नए शोध में यह पता चला है। ओमेगा -3 फैटी एसिड और बेहतर नींद के बीच संबंध है। 

साइ ब्लॉग में प्रकाशित एक रिपोर्ट में इस अध्ययन के लेखक डा. जियानगोंग लियू के हवाले से कहा गया है  कि इस तरह का अनुसंधान क्षेत्र अच्छी तरह से विकसित नहीं है, लेकिन यह उभर रहा है। यहाँ हम ओमेगा 3 एस को खुराक के बजाय भोजन में शामिल करके इस परिणाम को देखते हैं। 

अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने चीन में 9 से 11 वर्ष की आयु में 541 बच्चों को फॉलो किया। इन बच्चों ने एक हफ्ते में एक बार मछली खाने की जानकारी दी। इन बच्चों की बौद्धिक क्षमता लगभग 5 आईक्यू अधिक थी। या फिर उन बच्चों की जिन्होंने कम या मछली नहीं खाई थी। 

अध्ययन के सह लेखक प्रोफेसर एड्रियन रईन के अनुसार मछली का अधिक सेवन नींद कम आने की परेशानी से जुड़ा पाया गया। “नींद का अभाव असामाजिक व्यवहार से जुड़ा हुआ है। खराब अनुभूति असामाजिक व्यवहार से जुड़ी है। हमने पाया कि ओमेगा -3 की खुराक असामाजिक व्यवहार को कम करती है, इसलिए यह आश्चर्यजनक नहीं है कि मछली इसके पीछे है। सिर का आकार दर्शाता है इंटेलीजेंस

अध्ययन के सह लेखक प्रोफेसर जेनिफर पिंटो-मार्टिन के हवाले से साइ ब्लॉग मे ंकहा गया है कि मछली की खपत का स्वास्थ्य लाभ से संबंध है। उन्होंने बच्चों के भोजन में मछली को शामिल करने की सलाह दी।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

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