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विश्वविख्यात चिपको आंदोलन की सक्रिय कार्यकर्ता कमला देवी नहीं रहीं
बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी की धर्मपत्नी कमला देवी सशक्तिकरण की मिसाल थीं
देहरादून। न्यूज लाइव
बीज बचाओ आंदोलन के प्रणेता विजय जड़धारी, जिनको हम बीजों के गांधी भी कहते हैं, की हर कदम पर प्रेरणा रहीं कमला देवी। विश्व विख्यात चिपको आंदोलन रहा हो या फिर बीज बचाओ आंदोलन, कमला देवी हमेशा सक्रिय रहीं। दुखद बात यह है कि कमला देवी अब हमारे बीच नहीं हैं।
हम सभी के प्रेरणास्रोत विजय जड़धारी जी की धर्मपत्नी कमला देवी सशक्तिकरण की मिसाल थीं। सादगी पसंद सरल स्वभाव की कमला देवी का स्वास्थ्य कई दिन से खराब चल रहा था। दो दिन पहले उनका निधन हो गया।
उनसे हमारी मुलाकात लगभग ढाई साल पहले उनके गांव जड़धार गांव में हुई थी। जड़धार गांव टिहरी जिले का गांव है। हमने उनसे जब खेतीबाड़ी में दिक्कतों के बारे में पूछा था, तो उनका कहना था खेतीबाड़ी में दिक्कतें तो आती ही हैं, पर हमें खेती को नहीं छोड़ना चाहिए।
चिपको और बीज बचाओ आंदोलन में हर कदम पर कमला देवी ने जड़धारी जी को सहयोग किया। उन्होंने खेतीबाड़ी में जितने भी प्रयोग किए, बीजों के संरक्षण के लिए जो भी कार्य किए, उनमें कमला देवी हरकदम उनके साथ रहीं। कमला देवी हमेशा उनकी प्रेरणा रहीं।
अपनी पुस्तक बारहनाजा की प्रस्तावना में जड़धारी जी ने लिखा है, सामाजिक क्षेत्रों में अनेक आंदोलनों व संघर्षों में हिस्सा लेते हुए विविधता एवं बारहनाजा संरक्षण व संवर्धन को आगे बढ़ाना संभव नहीं होता, यदि मेरी सहधर्मिणी कमला देवी मदद नहीं करतीं। उन्होंने अपनी बेटियों को खेती के संस्कार देने की कोशिश की और बेटियों ने खेती की विविधता के संरक्षण में मेरी भरपूर मदद की।
उस समय हमने कमला देवी से बात की थी। उन्होंने बारहनाजा के साथ नौरंगी, राजमा के बीजों के बारे में बताया था। बगैर खाद की खेती की जानकारी दी।
वार्ता में कमला देवी ने चिपको आंदोलन को याद किया था, जब पेड़ों को बचाने के लिए महिलाएं इकट्ठा होती थीं। आपको मालूम होगा, चिपको आंदोलन में जड़धारी जी भी काफी सक्रियता से जुड़े रहे। कमला देवी ने बताया था, उन्होंने पुरानी टिहरी में पुल के पास सुंदरलाल बहुगुणा जी के साथ धरना दिया था।