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बड़ी खबरः AIIMS Rishikesh में की गई खतरनाक परजीवी से फैलने वाले दुर्लभ रोग की सर्जरी

इस रोग में शरीर के किसी भी अंग में सिस्ट बनने लगती है, जिसमें परजीवी के अंडे होते हैं

ऋषिकेश। न्यूज लाइव

एम्स ऋषिकेश में एक ऐसी दुर्लभ रोग की सर्जरी की गई, जो परजीवी से फैलता है। यह खतरनाक बीमारी मुख्य रूप से दिल और फेफड़ों में होती है और मस्तिष्क व अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकती है। इससे शरीर के किसी भी अंग में सिस्ट बनने लगती है, जिसमें परजीवी के अंडे होते हैं। हानिकारक रोगजनक परजीवी जानवरों से मनुष्यों में फैलता है। यह मनुष्यों में आमतौर पर संक्रमित कुत्तों के मल के संपर्क में आने से होता है, क्योंकि इनके मल में टेपवर्म के अंडे मौजूद होते हैं।

एम्स में आए उत्तर प्रदेश निवासी 20 साल के युवक, जिनको सांस फूलने एवं बलगम में खून आने की शिकायत थी। चिकित्सकीय जांच से मालूम हुआ कि उनके दोनों फेफड़ों के साथ साथ दिल में भी जलस्फोट यानि hydatid नामक व्याधि है। यही नहीं सघन स्वास्थ्य परीक्षण के बाद पता चला कि इस जटिल बीमारी के कुछ अंश राइट वेंट्रिकल (Right Ventricle) से टूटकर फेफड़ों की नसों में भी पहुंच चुके हैं।

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युवक एक साल से भी अधिक समय से विभिन्न चिकित्सकों से लगातार उपचार ले रहा था, मगर कोई आराम नहीं हुआ। लिहाजा दिन प्रतिदिन बढ़ती बीमारी के चलते मरीज ने ऋषिकेश एम्स की ओर रुख किया।

संस्थान के कार्डियोलॉजी विभागाध्यक्ष डॉ. भानु दुग्गल एवं डॉ. यश श्रीवास्तव ने पेशेंट की इको जांच कराई। पल्मोनोलॉजी विभाग में डॉ. मयंक मिश्रा एवं डॉ. रूचि दुआ ने उसकी ब्रोंकोस्कोपी जांच की। इसके बाद केस को शल्य चिकित्सा के लिए सीटीवीएस विभाग के पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन को रेफर कर दिया गया। इस मरीज का संस्थान के पीडियाट्रिक कॉर्डियक सर्जन डॉ. अनीश गुप्ता की टीम ने जटिलतम सर्जरी कर जलस्फोट को दिल और दोनों फेफड़ों से एक साथ निकाला।

इस हाई रिस्क ऑपरेशन में डॉ. अनीश गुप्ता की टीम ने सफलता हासिल की और मरीज को नया जीवन दिया।

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शल्य चिकित्सा के बाद से मरीज पूरी तरह से स्वस्थ हैं। उनको स्वास्थ्य संबंधी पूर्व में होने वाली कोई दिक्कतें नहीं हैं। इस जटिलतम सर्जरी में एनेस्थीसिया विभाग से डॉ. अजय मिश्रा आदि चिकित्सकों ने अहम भूमिका निभाई। साथ ही, डॉ. अभिशो, डॉ. ईशान एवं डॉ. शुभम, नर्सिंग विभाग से केशव, मोहन, धरम, चांद व संतोष ने सहयोग प्रदान किया।

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संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर (डॉ.) मीनू सिंह ने इस जटिल शल्य चिकित्सा की सफलता व मरीज को जीवनदान देने के लिए डॉ. अनीश गुप्ता और उनकी टीम की सराहना की। उन्होंने बताया कि एम्स संस्थान में हृदय और वक्ष संबंधी सभी व्याधियों के उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं।

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क्या है दिल का जलस्फोट (hydatid )

यह एक विशेष पैरासाइट से होने वाला गंभीर संक्रमण है, जो संभावित रूप से मरीज के जीवन के लिए घातक हो सकता है। hydatid रोग मुख्यरूप से जिगर और फेफड़ों में होता है, कुछ मामलों में यह मस्तिष्क या अन्य अंगों को भी प्रभावित कर सकता है।

Life cycle of echinococcus granulosus. This graphic has been provided by AIIMS Rishikesh.

दिल के अंदर इस बीमारी का पाया जाना बेहद दुर्लभ है। यह दिल के दाएं या बाएं भाग में पाया जा सकता है। इस रोग से ग्रसित मरीज में शरीर के किसी अंग में सिस्ट (सिस्ट) बनने लगती है, जिसमें परजीवी के अंडे (लार्वा ) होते हैं।

ऐसे फैलता है हाइडेटिड रोग (hydatid )

हाइडेटिड रोग एक परजीवी संक्रमण है, जो जीनस एकाइनोकॉकस (Genus Echinococcus) के टेपवर्म से होता है। यह एक हानिकारक रोगजनक परजीवी है, जो कि जानवरों से मनुष्यों में फैलता है।

यह मनुष्यों में आमतौर पर संक्रमित कुत्तों के मल के संपर्क में आने से होता है, क्योंकि इनके मल में टेपवर्म के अंडे मौजूद होते हैं।

टेपवर्म या उनके अंडों से संपर्क मुख्य रूप से भोजन, पानी और जानवरों के बाल आदि से होता है।

संक्रमित कुत्तों की पूंछ व गुदा के आस-पास के बालों में टेपवर्म के अंडे चिपके रह जाते हैं और उन्हें उठाने या हाथ लगाने से यह अंडे हाथों पर लग जाते हैं। खाना खाने, पानी पीने या सामान्य तौर पर मुंह पर हाथ लगाने से यह अंडे मुंह तक पहुंच कर शरीर के अंदर प्रवेश कर जाते हैं। जिससे व्यक्ति इस खतरनाक बीमारी से ग्रसित हो जाता है। ऐसे में खासकर पशु पालकों और पशु प्रेमियों को सतर्क रहने की आवश्यकता है, अन्यथा वह इस खतरनाक बीमारी के शिकार हो सकते हैं।

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर मानव भारती संस्था में सेवाएं शुरू कीं, जहां बच्चों के बीच काम करने का अवसर मिला। संस्था के सचिव डॉ. हिमांशु शेखर जी ने पर्यावरण तथा अपने आसपास होने वाली घटनाओं को सरल भाषा में कहानियों के माध्यम से प्रस्तुत करने के लिए प्रेरित किया। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। जब भी समय मिलता है, अपने मित्र मोहित उनियाल व गजेंद्र रमोला के साथ पहाड़ के गांवों की यात्राएं करता हूं। ‘डुगडुगी’ नाम से एक पहल के जरिये, हम पहाड़ के विपरीत परिस्थितियों वाले गांवों की, खासकर महिलाओं के अथक परिश्रम की कहानियां सुनाना चाहते हैं। वर्तमान में, गांवों की आर्थिकी में खेतीबाड़ी और पशुपालन के योगदान को समझना चाहते हैं। बदलते मौसम और जंगली जीवों के हमलों से सूनी पड़ी खेती, संसाधनों के अभाव में खाली होते गांवों की पीड़ा को सामने लाने चाहते हैं। मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए ‘डुगडुगी’ नाम से प्रतिदिन डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे। यह स्कूल फिलहाल संचालित नहीं हो रहा है। इसे फिर से शुरू करेंगे, ऐसी उम्मीद है। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी वर्तमान में मानव भारती संस्था, देहरादून में सेवारत संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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