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पृथ्वी पर इंसानों का इस समय जितना दबदबा कभी नहीं रहा, यूएनडीपी ने चेताया

संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP) की एक ताज़ा और प्रमुख रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर प्राकृतिक दुनिया और पर्यावरण को नुक़सान में कमी लानी है तो, तमाम देशों को अपने विकास रास्तों पर फिर से ग़ौर करना होगा, नहीं तो पूरी मानवता के लिये प्रगति व्यवधान पैदा हो जाने का जोखिम है।

यूएनडीपी ने मंगलवार को इस वर्ष की मानव विकास रिपोर्ट – The Next Frontier: Human Development and the Anthropocene जारी की। 

संयुक्त राष्ट्र समाचार के अनुसार, इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोनावायरस फिलहाल एक ताज़ा संकट है जिसका सामना पूरी दुनिया कर रही है, और हर जगह के समाजों को “प्रकृति पर अपनी पकड़ ढीली करनी होगी”, नहीं तो इसी तरह के और भी ख़तरों का जोखिम है।

यूएन विकास कार्यक्रम के प्रशासक अख़िम स्टीनर का कहना है, “पृथ्वी ग्रह पर इस समय, इंसानों का इतना दबदबा है, जितना कभी नहीं रहा।” रिकॉर्ड ऊँचाई पर पहुँच चुके तापमान और लगातार बढ़ती असमानताओं के कारण, अब सही समय है कि हम उस दबदबे या ताक़त का इस्तेमाल, फिर से ये परिभाषित करने के लिये करें कि प्रगति से हमारा क्या तात्पर्य है, जहाँ हमारे कार्बन और उपभोग पदचिह्न, छिपे ना हों।”
उन्होंने कहा, “जैसा कि रिपोर्ट दर्शाती है कि दुनिया में किसी भी देश ने, ग्रह पर भारी दबाव उत्पन्न किए बिना, अभी तक बहुत ऊँचा मानव विकास हासिल नहीं किया है, लेकिन हम, इस ग़लती को सुधारने वाली पहली पीढ़ी हो सकते हैं. ये मानव विकास के लिये अगला मोर्चा होगा।”

यूएनडीपी की मानव विकास रिपोर्ट के इस 30वें वर्षगाँठ-संस्करण में मानव प्रगति पर एक ऐसा नया प्रायोगिक सूचकाँक शामिल किया गया है, जो देशों के कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन और भौतिक पदार्थों के पदचिह्नों पर भी नज़र रखता है।

एंथोरोपोसीन भूवैज्ञानिक काल की एक अधिकारिक इकाई है, जो उस दौर को परिभाषित करती है जिसमें इंसान पृथ्वी ग्रह के भविष्य को आकार देने वाली प्रबल शक्ति हैं।

मानव विकास सूचकाँक के ज़रिये किसी देश के स्वास्थ्य, शिक्षा और रहन-सहन के मानकों को मापा जाता है। इस वार्षिक सूचकाँक में दो और तत्व शामिल किए गए हैं – देश की कार्बन डाइ ऑक्साइड उत्सर्जन और उसके भौतिक पदचिह्न।

नए सूचकाँक में दिखाया गया है कि मानवों और पृथ्वी ग्रह का बेहतर वजूद व रहन-सहन, अगर मानवता की प्रगति को परिभाषित करने के लिए अहम है, तो वैश्विक विकास का परिदृश्य किस तरह बदल जाएगा।

यूएनडीपी का कहना है कि मानव विकास में प्रगति के लिए प्रकृति के साथ मिलकर काम करना होगा, नाकि उसके ख़िलाफ़, जबकि इस प्रक्रिया में सामाजिक नियम व मान्यताएँ, और सरकारी एवं वित्तीय उत्प्रेरकों में भी बदलाव लाने होंगे।

रिपोर्ट में, देशों के भीतर, और देशों के बीच, मौजूद असमानताओं के प्रभाव, आदिवासी लोगों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल नहीं किए जाने का अभाव और भेदभाव की तरफ़ भी ध्यान खींचा गया है, जिन कारणों ने प्रभावित समुदायों को और भी ज़्यादा पर्यावरण जोखिमों के लिये उजागर कर दिया है।

रिपोर्ट कहती है कि अगर पृथ्वी पर पड़ रहे दबावों को, इस तरह से हल्का करना है कि इस नए दौर में तमाम आबादी ख़ुश रह सके तो उसके लिये सत्ता और अवसरों के क्षेत्र में गहराई से बैठे उन असन्तुलनों को ख़त्म करना होगा, जो बदलाव के रास्ते में बाधा बनकर खड़े हैं।

यूएनडीपी के मानव विकास रिपोर्ट कार्यालय के अग्रणी रिपोर्ट विशेषज्ञ पैड्रो कोन्सीकाओ ने ध्यान दिलाते हुए कहा कि, “इंसानों या पेड़ों के बीच” में से किसी को पसन्द करने या नहीं करने का मामला नहीं है।

“ये आज इस वास्तविकता को स्वीकार करने का मामला है कि असमान, कार्बन-आधारित विकास से सृजित मानव प्रगति अपनी सीमा पर पहुँच चुकी है। असमानता को दूर करके, नवाचार से फ़ायदा उठाकर और प्रकृति के साथ सुलह करके, मानव विकास, समाजों और प्रकृति को एक साथ सहारा व समर्थन देने के रास्ते पर परिवर्तनकारी क़दम उठाया जा सकता है।”

 

 

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Rajesh Pandey

उत्तराखंड के देहरादून जिला अंतर्गत डोईवाला नगर पालिका का रहने वाला हूं। 1996 से पत्रकारिता का छात्र हूं। हर दिन कुछ नया सीखने की कोशिश आज भी जारी है। लगभग 20 साल हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। बच्चों सहित हर आयु वर्ग के लिए सौ से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। स्कूलों एवं संस्थाओं के माध्यम से बच्चों के बीच जाकर उनको कहानियां सुनाने का सिलसिला आज भी जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। रुद्रप्रयाग के खड़पतियाखाल स्थित मानव भारती संस्था की पहल सामुदायिक रेडियो ‘रेडियो केदार’ के लिए काम करने के दौरान पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाने का प्रयास किया। सामुदायिक जुड़ाव के लिए गांवों में जाकर लोगों से संवाद करना, विभिन्न मुद्दों पर उनको जागरूक करना, कुछ अपनी कहना और बहुत सारी बातें उनकी सुनना अच्छा लगता है। ऋषिकेश में महिला कीर्तन मंडलियों के माध्यम के स्वच्छता का संदेश देने की पहल की। छह माह ढालवाला, जिला टिहरी गढ़वाल स्थित रेडियो ऋषिकेश में सेवाएं प्रदान कीं। बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहता हूं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता: बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी संपर्क कर सकते हैं: प्रेमनगर बाजार, डोईवाला जिला- देहरादून, उत्तराखंड-248140 राजेश पांडेय Email: rajeshpandeydw@gmail.com Phone: +91 9760097344

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