DHARMAReligion

उपवास और आशीर्वाद लेने से मिलती है ऊर्जा

प्राचीनकाल से चली आ रही परंपराओं को हम आज भी निभाते हैं। इनका अपने आप में महत्व है साथ ही इन्हें वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी फायदेमंद पाया गया है। अगर इन परम्पराओं का अध्ययन करें तो आप पाएंगे कि ऋषि-मुनियों और पूर्वजों ने गहन अध्ययन के बाद इंसान के लाभ के लिए इनको शुरू किया था। ये परंपराएं ईश्वर के प्रति आस्था बढ़ाने के साथ ही बहुत सी बीमारियों और समस्याओं से भी बचाती हैं। इसे वैज्ञानिक भी प्रमाणित कर चुके हैं। ऐसी ही कुछ परंपराओं में शामिल है उपवास तथा बड़ो का आशीर्वाद लेना। सबसे पहले व्रत या उपवास से होने वाले लाभ की बात करते हैं।
व्रत या उपवासः धार्मिक महत्व हिन्दू धर्म में व्रत रखने का बहुत महत्व है। लोग अपनी श्रद्धा और आस्था के अनुसार अलग-अलग देवी, देवताओं को मानते हैं। लोग सप्ताह में एक दिन या खास मौकों पर अपने ईष्ट के लिए व्रत रखते हैं। धर्मिक मान्यता के अनुसार व्रत रखने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं। कष्टों और परेशानियों को दूर करके, मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं।
वैज्ञानिक तर्कः सप्ताह में एक दिन व्रत रखना वैज्ञानिक दृष्टि से भी फायदेमन्द है। आयुर्वेद के अनुसार व्रत रखने से पाचन क्रिया को आराम मिलता है, जिससे पाचन तत्र ठीक रहता है। शरीर से हानिकारक तत्व बाहर निकल जाते हैं, जिससे शरीर और सेहत ठीक रहती है।
भारत में पैर छूना या चरण स्पर्श करना सदियों पुरानी परंपरा है।
पैर छूना या चरण स्पर्श
धार्मिक महत्वः बड़ों, बुजुर्गो का सम्मान और उनका आदर करने के लिए उनके पैर छूते हैं। पैर छूना या चरण स्पर्श करना भारतीयों संस्कारो का एक हिस्सा है। ये परंपरा सदियों से चली आ रही है। यही संस्कार बच्चों को भी सिखाये जाते हैं ताकि वे भी अपने बड़ों का आदर करें और सम्मान करें। पैर छूने से बुजुर्गों का आशीर्वाद मिलता है, बुजुर्गों के आशीर्वाद से भगवान भी प्रसन्न होते हैं।
वैज्ञानिक तर्कः इंसान के शरीर में मस्तिष्क से लेकर पैरों तक लगातार ऊर्जा का संचार होता है, जिसे कॉस्मिक ऊर्जा कहते हैं। जब हम किसी के पैर छूते हैं तब उस व्यक्ति के पैरों से होती हुई ऊर्जा हमारे शरीर में और हमारे हाथों से होते हुए उसके शरीर में पहुंचती है। जब वो व्यक्ति आशीर्वाद देते समय हमारे सिर पर हाथ रखता है तब वो ऊर्जा दोबारा उसके हाथों से होती हुई हमारे शरीर में आती है। इस तरह पैर छूने से हमें दूसरे व्यक्ति की ऊर्जा मिलती है। इससे नकारात्मक ऊर्जा नष्ट होती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इससे मन को शांति मिलती है।

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button