CAREWomen

कंप्यटूर के कारण बीमार हो रहीं महिलाएं

अगर आप भी लंबे समय तक डेस्क पर काम करती हैं तो सावधान रहें। डेस्क जॉब करने वाले हर 1 पुरुष के मुकाबले 10 महिलाएं पीठ के ऊपरी हिस्से, कंधे और गर्दन में दर्द का अनुभव करती हैं। डॉक्टरों की मानें तो अगर आप उठने बैठने के तौर तरीकों को बदल लें तो दर्द से छुटकारा मिल सकता है।
डॉक्टरों के अनुसार डेस्क जॉब अब पहले की तुलना में अधिक परेशानी पैदा कर रहे हैं। काम के घंटे लंबे होते हैं, तनाव अधिक रहता है और कंप्यटूर पर काम करने के कारण लोगों को एक विशेष पोश्चर में ही रोजाना 8-10 घंटे काम करना पड़ता है।’ डॉक्टर्स की मानें तो महिलाएं दफ्तर से घर जाने के बाद, घर के काम निपटाती हैं और फिर लैपटॉप लेकर बैठ जाती हैं। अक्सर वे बिस्तर पर भी लैपटॉप का इस्तेमाल करती हैं और इस दौरान उनका पोश्चर गलत होता है।
व्यायाम की जरूरत
महिलाएं व्यायाम के लिए भी मुश्किल से समय निकाल पाती हैं। जब शरीर का दर्द असहनीय हो जाता है तो महिलाएं पेनकिलर खा लेती हैं और जब यह पैटर्न बन जाता है तो इसका असर शरीपर पर पड़ना शुरू हो जाता है। डॉक्टरों के अनुसार आपके शरीर के ऊपरी हिस्से में होने वाला दर्द इस बात का संकेत है कि आप अब उठकर थोड़ा टहलें। इसके साथ ही नियमित रूप से व्यायाम करें। आपको पहले से ज्यादा सक्रिय होने की जरूरत है। अगर आप ऐक्टिव नहीं रहेंगे, तो आपको मोटापा, मसल्स कमजोर होने जैसी अन्य समस्याओं के होने का खतरा हो सकता है। इससे आपको कई दूसरे तरह के दर्द के साथ-साथ हार्ट प्रॉब्लम्स, डाइबीटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां हो सकती हैं।
अपने डेस्क की जांच करें
सबसे पहले, अपने डेस्क की जांच करें। सही पोजिशन यह है कि आप अपनी कुर्सी पर बैठें तो आपकी पीठ को पीछे से सहारा मिलता रहे। आपके पैर जमीन के समानांतर हों और आपके पांव जमीन पर फ्लैट रखे होने चाहिए। हर 30 से 40 मिनट पर अपनी मुद्रा को बदलते रहना चाहिए। कीबोर्ड और माउस आपकी जांघ से सिर्फ कुछ इंच ऊपर होने चाहिए और वे इस प्रकार रखे होने चाहिए कि उसे चलाने में आपके हाथ के अगले हिस्से को कोई परेशानी न हो। क्रीन का ऊपर का हिस्सा आंख के लेवल पर होना चाहिए और क्रीन एक हाथ की दूरी पर होनी चाहिए। कम्प्यूटर में एWटी-ग्लेयर क्रीन लगाएं, ताकि आपको अपनी गर्दन को आगे करने की जरूरत न पड़े।
दर्द की रोकथाम करें
जरूरी है हमारे लिए सही पोश्चर में बैठकर काम करना। ऐसा करना सभी मांसपेशियों का इस्तेमाल कर संभव है। ऐसा करने के लिए, अपना फोन हैंड्स-फ्री कर दें, ताकि आप फोन पर बात करते समय अपने ऑफिस में टहल सकें। इसके अलावा, हर घंटे कुछ आसान व्यायाम और स्ट्रेचिंग जरूर करें।
व्यायाम करें
रोटेशन अपने कंधे, गर्दन, कलाई और कोहनी को घड़ी की दिशा में और घड़ी की विपरीत दिशा में बारी-बारी करीब 10 बार घुमाएं। आप टखने और कूल्हे को भी घुमा सकती हैं।
फॉरवर्ड फोल्ड कुर्सी पर बैठ जाएं। हाथों को सिर के पीछे ले जाकर आपस में कसकर पकड़ लें और नीचे की ओर लाने की कोशिश करें। कुछ सेकंड तक उसी स्थिति में रहें और फिर वापस आ जाएं।
कंधे को स्ट्रेच करे: हाथ को ऊपर उठाएं और हथेली को पीछे की दिशा में रखते हुए पीछे की ओर ले जाएं। बहुत ही आराम के साथ दूसरे हाथ से कोहनी को नीचे की ओर दबाएं।
प्रतिरोध व्यायाम अपने हाथ को गर्दन के पीछे की तरफ रखें और कुछ सेकंड के लिए आराम के साथ दबाएं।
डॉक्टर की सलाह लें
आपको दर्द हो रहा है तो बेहतर यह है कि आप डॉक्टर को दिखाएं। वह आपको कुछ व्यायाम बताएंगे, जिन्हें आप रोज कर सकती हैं। वह आपको कुछ पेनकिलर गोलियां भी दे सकते हैं और आप उन्हें केवल डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही सेवन करें। उनसे मसल्स स्ट्रॉग बनाने वाले कमर की एक्सरसाइज के बारे में भी पूछें। अगर आपका दर्द खत्म हो गया हो, तब भी व्यायाम जारी रखें। सभी व्यायाम बॉडी के दोनों साइड से करें। बीच-बीच में कुछ सेकंड के लिए आराम करें।
योग करें
योग से लचीलापन के साथ-साथ शरीर को मजबूती भी मिलती है। इसलिए योग करने की शुरुआत करना अच्छा है। अगर आप योग और व्यायाम लगन के साथ करती हैं, तो आपको कुछ कार्डियोवैस्कुलर व्यायाम भी नियमित रूप से करने की जरूरत होगी। जैसे- चलना, दौड़ना, साइकल चलाना ताकि आपकी मसल्स स्ट्रॉग हो। साथ ही याद रखें कि आपका पोश्चर सही होना भी उतना ही जरूरी है (एजेंसी)

 

Rajesh Pandey

राजेश पांडेय, देहरादून (उत्तराखंड) के डोईवाला नगर पालिका के निवासी है। पत्रकारिता में  26 वर्ष से अधिक का अनुभव हासिल है। लंबे समय तक हिन्दी समाचार पत्रों अमर उजाला, दैनिक जागरण व हिन्दुस्तान में नौकरी की, जिनमें रिपोर्टिंग और एडिटिंग की जिम्मेदारी संभाली। 2016 में हिन्दुस्तान से मुख्य उप संपादक के पद से त्यागपत्र देकर बच्चों के बीच कार्य शुरू किया।   बच्चों के लिए 60 से अधिक कहानियां एवं कविताएं लिखी हैं। दो किताबें जंगल में तक धिनाधिन और जिंदगी का तक धिनाधिन के लेखक हैं। इनके प्रकाशन के लिए सही मंच की तलाश जारी है। बच्चों को कहानियां सुनाने, उनसे बातें करने, कुछ उनको सुनने और कुछ अपनी सुनाना पसंद है। पहाड़ के गांवों की अनकही कहानियां लोगों तक पहुंचाना चाहते हैं।  अपने मित्र मोहित उनियाल के साथ, बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से डेढ़ घंटे के निशुल्क स्कूल का संचालन किया। इसमें स्कूल जाने और नहीं जाने वाले बच्चे पढ़ते थे, जो इन दिनों नहीं चल रहा है। उत्तराखंड के बच्चों, खासकर दूरदराज के इलाकों में रहने वाले बच्चों के लिए डुगडुगी नाम से ई पत्रिका का प्रकाशन किया।  बाकी जिंदगी की जी खोलकर जीना चाहते हैं, ताकि बाद में ऐसा न लगे कि मैं तो जीया ही नहीं। शैक्षणिक योग्यता - बी.एससी (पीसीएम), पत्रकारिता स्नातक और एलएलबी, मुख्य कार्य- कन्टेंट राइटिंग, एडिटिंग और रिपोर्टिंग

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button